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नीट-जेईई परीक्षा फिर क्यों टलवाना चाहते हैं छात्र- स्वास्थ्य समस्याएं और कोविड से प्रभावित तैयारी

छात्र कह रहे हैं कि जिन्हें एस्थमा या साइनसाइटिस है, उन्हें मास्क लगाकर सांस लेने में परेशानी होती है, और साथ ही तैयारियां प्रभावित होने से, उनका आत्मविश्वास भी डगमगा गया है.

परीक्षार्थी | फाइल फोटो

नई दिल्ली: रांची की मेडिकल की आकांक्षी मधुलिका डे, नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) इम्तिहान बैठने जा रही हैं, जिसके लिए उन्हें परीक्षा केंद्र पर तीन घंटे तक, मास्क लगाकर सांस लेना होगा.

पूरे समय मास्क लगाए रखना, उन कई नियमों में से एक है, जिनका छात्रों को जेईई और नीट के इम्तिहान देते समय पालन करना है. जो कोविड-19 महामारी के बीच हो रहे हैं

डे उन हज़ारों इंजीनियरिंग और मेडिकल उम्मीदवारों में एक हैं, जो इस साल के लिए इम्तिहानों की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अब मांग कर रहे हैं, कि दूर-दराज़ के परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने की व्यवहारिक चुनौतियों, और तीन घंटे तक मास्क लगाए रखने की मुश्किलों की वजह से, परीक्षाओं को टाल दिया जाना चाहिए.

हालांकि टालने की बढ़ती मांग के बावजूद, सरकार ने लगातार इस बात को कहा है, कि एंट्रेंस इम्तिहान नए शेड्यूल के हिसाब से कराए जाएंगे- एक से 6 सितंबर तक जेईई के लिए, और 13 सितंबर को नीट के लिए.


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तनाव बढ़ा है, आत्मविश्वास की कमी

पश्चिम बंगाल में सिलिगुड़ी के रहने वाले इंजीनियरिंग अभिलाषी, कृष्णा सिंह ने कहा कि जेईई का इम्तिहान देने के बाद, जब वो वापस आएंगे तो उन्हें क्वारंटीन में रहना पड़ेगा.

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उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘दो महीने पहले, जब मैं कोटा में अपने कोचिंग सेंटर से वापस आया था, तो मुझे अपनी सोसाइटी के बाहर, 14 दिन के क्वारंटीन में रखा गया था. इस बार भी मुझे कुछ समय, क्वारंटीन में बिताना पड़ेगा.

सिंह ने कहा, ‘कुछ दूसरे मसले भी हैं…मुझे साइनस की समस्या है, और कभी कभी मेरी छींकें बेक़ाबू हो जाती हैं. अगर परीक्षा केंद्र में ऐसा हो गया, तो मुझपर कोविड पॉज़िटिव होने का शक किया जाएगा, और मुझे दूसरे कोविड पॉज़िटिव उम्मीदवारों के साथ, आईसोलेशन रूम में बैठना पड़ेगा’.

‘मुझे तो ये सोचकर ही तनाव हो रहा है. महामारी के दौरान इम्तिहान कराने को लेकर, बहुत सारी व्यवहारिक दिक़्क़तें हैं, मुझे नहीं लगता कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान दे रही है.’

इम्तिहानों को लेकर ख़बरों, और सोशल मीडिया पर हो रही निरंतर चर्चा ने, छात्रों का ध्यान भटका दिया है, और बहुतों का कहना है, कि वो पहले ही मानसिक रूप से थक गए हैं.

मध्यप्रदेश से एक नीट अभिलाषी, ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘मैं बहुत थक गया हूं, और हर तरफ नीट और जेईई इम्तिहानों की चर्चा ने, मुझे मानसिक रूप से भी थका दिया है’.

‘नीट में स्कोर करना वैसे ही बहुत मुश्किल होता है. पेपर में 180 सवाल होते हैं, और हर जवाब में एक मिनट लगता है. सामान्य हालात में भी, दिए गए समय के अंदर इन सवालों के जवाब देने में, बहुत जान और इच्छा शक्ति लगती है; मास्क और ग्लव्ज़ के साथ तो अब इसमें दस गुना प्रयास लगेगा’.

छात्रों ने ये भी कहा कि अनिश्चितता, और आत्मविश्वास ख़त्म होने के चलते, उनकी तैयारियां पटरी से उतर गईं थीं. चूंकि कुछ कोचिंग सेंटर्स महामारी की वजह से बंद कर दिए गए हैं, इसलिए छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज़ का सहारा लेना पड़ा है, और अविश्वसनीय इंटरनेट कनेक्शंस, व संसाधनों की कमी जैसी दिक़्क़तों के चलते, डाउट-सॉल्विंग और मॉक टेस्ट जैसी गतिविधियों में परेशानी आ रही है.

पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर से अनीश सिंह राठौड़, जो इस साल नीट में बैठने के लिए तैयार हैं, ने कहा: “हर जगह नीट के बारे चर्चाएं सुनकर दिमाग़ थक जाता है. तैयारियां भी प्रभावित हुई हैं, क्योंकि एक सीमा होती है, कि कोचिंग सेंटर्स की ऑनलाइन क्लासेज़ में, हम कितना कर सकते हैं.


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