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NRIs बंगाल, असम, TN, केरल, पुडुचेरी के चुनावों में वोट क्यों नहीं दे पाएंगे

प्रस्ताव को लागू करने से पहले कई मुद्दों पर विचार किया जाना है, जिसमें मतदाताओं की पहचान और मतदान के लिए स्थल शामिल हैं.

प्रतीकात्मक फोटो: चुनाव आयोग का हेडक्वार्टर/मनीषा मोंडल/दिप्रिंट
प्रतीकात्मक फोटो: चुनाव आयोग का हेडक्वार्टर/मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

नई दिल्ली: प्रवासी भारतीयों (एनआरआईज़) के विदेश से पोस्टल बैलट्स के ज़रिए वोट डालने के चुनाव आयोग (ईसी) के प्रस्ताव को शुरू करने में अपेक्षा से अधिक समय लग सकता है.

विदेश मामलों के मंत्रालय (एमईए) ने चुनाव इकाई से कहा है कि प्रस्ताव को कार्यान्वित किए जाने से पहले, ‘भारी लॉजिस्टिकल चुनौतियों’ से पार पाना होगा और ‘ज़रूरतों का वास्तविक मूल्यांकन’ करना होगा.

एमईए ने जनवरी में ईसी को लिखे एक पत्र में, जिसकी एक कॉपी दिप्रिंट के हाथ लगी है, कहा, ‘मंत्रालय का विचार है कि ये महत्वपूर्ण फैसला लिए जाने और शुरुआती मूल्यांकन किए जाने के बाद, ईसीआई और एमईए/ मिशन आधिकारियों के बीच एक वर्चुअल वर्कशॉप आयोजित की जा सकती है’.

उसने ये भी कहा, ‘उसके बाद एमईए एक बेहतर स्थिति में होगा कि वो इस महत्वपूर्ण और विशाल कार्य के लिए अपनी ज़रूरतों और भारी लॉजिस्टिकल चुनौतियों का एक वास्तविक मूल्यांकर कर सके…हम सुरक्षा, क़ानून और दूसरे संबंधित मुद्दों की भी जांच कर पाएंगे’.

मंत्रालय ने ये भी कहा कि ईसी को इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय और क़ानून एवं न्याय मंत्रालय से भी सलाह मशविरा करना चाहिए.

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ईसी के सूत्रों के अनुसार बहुत सारे मुद्दे हैं जिन्हें सुलझाया जाना है, उसके बाद ही प्रस्ताव को कार्यान्वित किया जा सकता है.

पश्चिम बंगाल, केरल, असम, तमिलनाडु और पुडुचेरी में, विधानसभा चुनावों की तारीख़ें घोषित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि इस बार प्रवासी भारतीयों को, पोस्टल बैलट की सुविधा नहीं मिलेगी.


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वोटर की शिनाख़्त, बूथ सुरक्षा, मॉडल कोड

पिछले साल नवंबर में ईसी ने क़ानून मंत्रालय से कहा था कि आयोग ‘तकनीकी और प्रशासनिक रूप से’, आने वाले विधान सभा चुनावों में, इस सुविधा को शुरू करने के लिए तैयार है.

सूत्रों ने कहा कि इस सुविधा को कार्यान्वित किए जाने से पहले, जिन मुद्दों को संबोधित किए जाने की ज़रूरत है, उनमें एक ये है कि वोटिंग के लिए एनआरआई निर्वाचकों का पंजीकरण कैसे होगा- जिसके लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जाने की ज़रूरत है- वोटिंग की सुविधा कैसे दी जाएगी, मतदाताओं की शिनाख़्त कैसे होगी और अगर दूतावासों तथा वाणिज्य दूतावासों में, सभी वोटर नहीं समा पाते तो वोटिंग स्थल कहां होंगे.

एक ईसी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘मतदाताओं की शिनाख़्त एक बड़ा फैक्टर है, चूंकि जब नियमित वोटिंग होती है, तो वोटर की पहचान सत्यापित करने के लिए बूथ पर ईसीआई के कई अधिकारी मौजूद होते हैं…एनआरआई मतदाताओं के मामले में, देखना होगा कि उनकी पहचान को कैसे सत्यापित किया जाए’.

अधिकारी ने कहा, ‘दूसरे, वोटिंग के स्थान पर राजनीतिक दलों के नुमाइंदे मौजूद नहीं होंगे, इसलिए वो मतदाताओं की शिनाख़्त को लेकर सवाल खड़े कर सकते हैं.

इसके अलावा, ईसी को ये सुनिश्चित करने के उपाय करने होंगे कि इन मतदान स्थलों को किस तरह, पुलिस बंदोबस्त करके सुरक्षित किया जाए.

भारत में मतदान के दौरान क़ानून व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने के लिए, ईसी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा संबंधित राज्यों के पुलिस बलों की तैनाती करता है. लेकिन ईसी को देखना होगा कि विदेशों में मतदान को सुविधाजनक बनाने के लिए क्या उसे दूसरे देशों के बलों की सेवाएं लेनी होंगी.

अधिकारी ने आगे कहा कि आदर्श आचार संहिता भी एक मुद्दा है. उनका कहना था, ‘विदेशी सरकारें मतदान से पहले, साइलेंट पीरियड बनाए रखने के लिए बाध्य नहीं हैं, इसलिए इस पर चर्चा करनी होगी कि एमसीसी के उल्लंघन से किस तरह बचा जाए’.

अधिकारी ने कहा, ‘बजट को लेकर भी चिंताएं हो सकती हैं…इन सब मसलों के लिए, एमईए का रोल महत्वपूर्ण है, इसलिए आने वाले हफ्तों में बैठकें की जाएंगी और इन मसलों पर चर्चा की जाएगी’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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