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महिला अरक्षण बिल को अधीर रंजन ने कांग्रेस का बताया, तो शाह बोले- ये नया है, पहले वाला खत्म हो गया

नई संसद में शुरू हुए विशेष सत्र के दौरान आज महिला आरक्षण बिल पेश किया गया. इसको लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच गरमा-गरमी हुई. कांग्रेस ने जहां इसे अपना बताया तो अमित शाह ने इसे उनकी सरकार द्वारा लाया गया बताया.

लोकसभा में बोलते अधीर रंजन चौधरी और अमित शाह की फाइल फोटो | संसद टीवी

नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच काफी गरमा-गरमी हुई. सदन में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल को कांग्रेस द्वारा लाया गया बताया तो गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें टोका और इसे बाबत तथ्य पेश करने को कहा. शाह ने कहा कि यह बिल उस समय पास न होने से रद्द हो गया था,  इसे नये सिरे से लाया गया है. यह नया है, पहले वाला खत्म हो गया है.

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि महिला आरक्षण की बात जो पीएम कह रहे हैं, उसकी बात मई, 1989 में राजीव गांंधी ने की थी. उन्होंने पंचायतों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए बिल पेश किया था. यह बिल राज्यसभा में पास हो गया था लेकिन लोकसभा में पास नहीं हो सका था, तब से कांग्रेस इसकी मांग कर रही है.

उन्होंने कहा कि 1993 में नरसिम्हा राव की सरकार, उसके बाद मनमोहन की सरकार ने जो बिल लाया था वह आज तक जीवित है. हमारी हाल ही में हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में भी महिला आरक्षण बिल पास करने का संकल्प लिया गया. उन्होंने कहा कि यह बिल राज्यसभा में पास हो गया था, लेकिन लोकसभा में पास नहीं हो सका था.

इस पर अमित शाह ने अधीर रंजन को टोकते हुए सदन में बोलने लगे. उन्होंने कहा कि यह बिल 2014 में लोकसभा के साथ ही खत्म हो गया था, इसे नये सिरे से लाया गया है. अगर अधीर रंजन के पास इसको लेकर कोई तथ्य हो तो वह सदन में पेश करें.

साथ ही अमित शाह ने ये भी कहा कि अगर उनकी बात तथ्यपूर्ण नहीं है तो इसे सदन की कार्यवाही से हटा दिए जाए, जिसका अधीर रंजन चौधरी ने विरोध किया.

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इसके बाद चौधरी ने दोबारा बोलते हुए कहा, “हमारी पूर्व चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने विशेष सत्र की घोषणा होने पर ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था और उन्होंने इस सत्र में महिला बिल पास कराने की पीएम से मांग की थी.”

वहीं इससे पहले बोलते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “नये सदन की कल्पना नई नहीं है. कांग्रेस के नेताओं ने भी इसकी कल्पना की थी. भाजपा नेता सुमित्रा महाजन भी कहती थीं के एक नये संसद भवन की जरूरत है. अच्छा हुआ हमें देर-सबेर नई संसद मिल गई है. यह सबका है, किसी पार्टी का नहीं है.”

उन्होंने कहा, “हम नहीं रहेंगे, कोई यहां हो न हो, हमारी ये विरासत चलती रहेगी. मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि जो भी करिए वह संविधान से ऊपर नहीं होना चाहिए. यह संविधान सबसे ऊपर है. यह संविधान सत्यमेव जयते की बात करता है. यही सबसे ऊपर रहना चाहिए.”

इस दौरान चौधरी ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और धर्मनिरपेक्ष, समानता, भाईचारे जैसे इसके मूल्यों की याद दिलाई.

उन्होंने कहा कि हमारा संविधान हिंदू, मुसलमान, क्रिश्चियन, जैन सब की बात करता है.

अधीर रंजन ने कहा- संविधान में इंडिया और भारत दोनों एक ही हैं

उन्होंने हाल में ही हुए संविधान से इंडिया की जगह भारत करने के विवाद को लेकर भी बात कही. चौधरी ने कहा, “भारत और इंडिया के बीच कोई फर्क नहीं है. संविधान में दोनों हैं और दोनों का मतलब एक ही है. “इंडिया दैट इज भारत” किसी भी बहाने से इन दोनों नामों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश न की जाए. ऐसा होता है तो देश के लिए ठीक नहीं होगा.”

इससे पहले बोलते हुए अधीर रंजन चौधरी ने नये सदन के लिए सभी सदस्यों को बधाई दी और कहा कि वे संसदीय लोकतंत्र को नये संसद में आगे बढ़ाएंगे.

इस देश को आजादी दिलाने में जिन लोगों ने खून-पसीना बहाया मेहनत की, ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई उन सभी को नमन करता हूं.


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