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अमेरिका ने 6 महीने में ही 550 भारतीयों को देश से निकाला

2017 और 2018 में ट्रंप प्रशासन द्वारा अमेरिका से निकाले गये कुल भारतीयों की संख्या 570 और 790 है.

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इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के अप्रवासन काउंटर का दृश्य | @nishantsharma87 | Twitter

नई दिल्ली : अमेरिका ने 2018 के मुकाबले इस साल करीब 50 प्रतिशत अधिक भारतीयों को देश से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. ट्रम्प सरकार ने साल के शुरुआती 6 महीनों में ही करीब 550 भारतीयों को अमेरिका में गैरकानूनी रूप से रहने का हवाला देते हुए निष्कासित किया है. वहीं 2018 और 2017 में ये संख्या क्रमशः 790 और 570 थी.

इन्फोग्राफिक : अरिंदम मुखर्जी, दिप्रिंट

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने दि प्रिंट को बताया 350 अन्य भारतीयों को अमेरिका के निष्कासन गृहों में रखा गया है जो अपनी अमानवीय स्थिति के कारण निशाने पर हैं. इनकी तुलना नाज़ी शिविरों से भी की गयी है.

सूत्रों की मानें तो ये पिछले साल के मुकाबले दोगुनी हो चुकी है. कबूतरबाज़ आम लोगों को एक बेहतर ज़िन्दगी का सपना दिखाकर बेवक़ूफ़ बनाते हैं. ऐसे में कई लोग आसान रास्ता चुनने के चक्कर में खुद को खतरे में डाल लेते हैं और गैरकानूनी ढंग से दूसरे देशों की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं.

मालूम हो कि एक छह साल की भारतीय बच्ची की अमेरिका-मेक्सिको सीमा पार करते हुए मृत्यु हो गयी थी.


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नयी प्रक्रिया लागू करने की तैयारी

ट्रम्प सरकार के अंतर्गत वीजा कानूनों में कड़े बदलाव किया जाना भी गैरकानूनी प्रवासियों को निकालने के मामलों की बढ़ती संख्या का एक अहम कारण है. बॉर्डर पट्रोल स्टेटिस्टिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 8,997 भारतीयों को अमेरिका के दक्षिणी पश्चिमी सीमा से गिरफ्तार किया गया जबकि 2017 में ये संख्या 2,943 थी. यानी 2018 में वर्ष 2017 की तुलना में तीन गुना अप्रवासियों को पकड़ा गया.

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बीबीसी के मुताबिक अमेरिकी सरकार जल्द ही एक नयी निष्कासन प्रक्रिया अमल में लाने जा रही जिससे इमीग्रेशन कोर्ट की भूमिका ख़त्म की जा सके और प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जा सके. रिपोर्ट के अनुसार ‘नए कानून के मुताबिक उन लोगों को देश से निकल दिया जायेगा जो दो साल से अधिक समय से अमेरिका में रहने का प्रमाण नहीं दे पायेंगे. अब तक सिर्फ उन्ही लोगों को बाहर निकला जा रहा था जो सीमा के पास दो हफ्ते से कम समय से रह रहे थे.’ नया कानून जल्द ही लागू होने की उम्मीद की जा रही है.

पंजाब और गुजरात से हैं अधिकतर लोग

दि प्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार पिछले महीने अवैध प्रवासियों के लिए अमेरिका से भारत के लिए एक विशेष उड़ान का प्रबंध किया गया था.

गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया, पिछले छह महीनों में इसी तरह की चार और उड़ानों का इंतज़ाम किया गया जिसमें प्रत्येक विमान में करीब 100-150 भारतीयों को वापस भारत भेजा गया. पिछले साल ऐसी ही पांच और उड़ानों का इंतज़ाम किया गया था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आमतौर पर अवैध प्रवासियों को सामान्य विमान से भेज दिया जाता है पर अगर संख्या ज्यादा हो तो विशेष उड़ानों का प्रबंध किया जाता है.

अमेरिका से बाहर निकले गए 550 भारतीयों में से 80 प्रतिशत 20 से 45 साल के आयु वर्ग से हैं. वहीं 75 फीसदी लोग पंजाब या गुजरात से हैं. निष्कासित लोगों में महिलाएं शामिल नहीं हैं.

एक अन्य सूत्र ने बताया कि इनमें से कई लोग गुजरात और पंजाब में अपनी ज़मीनें बेच कर गैरकानूनी तरीकों से प्रवेश करते हैं. पकडे़ गए लोगों में से अधिकतर के पास कोई मानी कागज़ात नहीं थे, वहीं 15 प्रतिशत छात्र वीजा पर आये और अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी रह रहे थे.

नए रास्तों के ज़रिये ले जाया जा रहा है

सूत्रों से यह भी पता चला कि पहले एजेंट्स कई भारतीयों को मेक्सिको, ग्वाटेमाला, होंडुरस और एल साल्वाडोर के रास्ते ले जाया करते थे. लेकिन कड़े वीजा नियमों की वजह से अब एजेंट्स लोगों को इक्वाडोर और क्यूटो के रास्ते ले जाते हैं. ‘वे पहले टर्बो पहुचते हैं, फिर कोलंबिया की पोर्ट सिटी पहुंच कर बस से पनामा जाते हैं, वहां से जंगलों के रास्ते होते हुए फिर नाव के सहारे नदी पार कर निकारागुआ, होंडुरस और अंततः ग्वाटेमाला पहुंचते हैं’.


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विश्वभर से निष्कासन में बढ़ोत्तरी

आंकड़ों की माने तो कुल 9,068 भारतीय 2018 में विश्वभर से निष्कासित किये गए. इस साल जून तक यह आंकड़ा 4,010 तक पहुंच चुका है. वहीं 2017 में ये संख्या 9,212 थी.

एक अन्य सूत्र ने बताया कि अधिकतर देशों ने अपने वीजा नियम कड़े कर लिए हैं जिसके कारण विश्वभर से अप्रवासियों को निकला जा रहा है.

भारतीयों को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए सरकार उन सभी एजेंट्स पर नकेल कसना चाहती है जो लोगों को गैरकानूनी तरीकों से बाहर भेजते हैं. पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि इन एजेंट्स पर काबू पाना बेहद ज़रूरी है और सरकार इस पर तेज़ी से काम कर रही है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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