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कोविड के कारण यूपीएससी उम्मीदवारों की मांग- 2020 और 2021 की परीक्षा एकसाथ कराई जाए

9,000 हस्ताक्षरों की एक ऑनलाइन याचिका में कहा गया है कि 4 अक्टूबर को सिविल सर्विसेज़ इम्तिहान कराना उचित नहीं होगा क्योंकि इससे कुछ उम्मीदवार अपना आखिरी मौका गंवा सकते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर | chanakyaiasacademy.com

नई दिल्ली: हज़ारों की संख्या में उम्मीदवार एक ऑनलाइन याचिका को आगे बढ़ा रहे हैं जिसमें 4 अक्टूबर की तय तारीख को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के इम्तिहान कराए जाने को लेकर चिंताएं ज़ाहिर की गई हैं. कोविड-19 महामारी से पैदा हुए व्यवधान का हवाला देते हुए उन्होंने सुझाव दिया है कि इस साल के इम्तिहान का 2021 के इम्तिहान में विलय कर देना चाहिए.

उन्होंने कहा कि उसी हिसाब से इस साल की नौकरियां 2021 के इम्तिहान के लिए नोटिफाई की गई नौकरियों के साथ मिला दी जाएं.

याचिकाकर्ताओं ने आगे कहा कि यदि इम्तिहान को स्थगित करना संभव नहीं है तो ऐसे उम्मीदवारों को प्रतिपूरक के तौर पर एक और प्रयास दिया जाना चाहिए जिनके पास इम्तिहान पास करने के लिए सिर्फ एक मौका बचा है. ऑनलाइन याचिकाओं के पोर्टल चेंज.ओआरजी के ज़रिए शुरू की गई इस मांग के लिए शनिवार तक 9,000 हस्ताक्षर आ चुके थे.

याचिका में कहा गया है कि, ‘हमारा सुझाव है कि बेहतर होगा यदि यूपीएससी 2020 के चक्र को 2021 के साथ मिला दिया जाए और उसी अनुपात में नौकरियों की संख्या बढ़ा दी जाए और साथ ही उन उम्मीदवारों के लिए एक प्रतिपूरक प्रयास दिया जाए जिनका आखिरी प्रयास 2020 में खत्म हो रहा है’.

याचिका में ये भी लिखा है, ‘इस बीच, जैसा कि बहुत सी शोध एजेंसियों का अनुमान है, महामारी की तीव्रता कम हो जाएगी और आम लोगों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी’.

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प्रारंभिक परीक्षा- जो तीन चरणों के सिविल सर्विस इम्तिहान (सीएसई) का पहला चरण है- मूल रूप से 31 मई को होनी थी. लेकिन महामारी फैलने की वजह से यूपीएससी ने उसे 4 अक्टूबर तक स्थगित कर दिया.

लेकिन कोविड-19 के लगातार बढ़ते मामलों का हवाला देते हुए उम्मीदवारों ने दलील दी है कि अक्तूबर की तारीख में इम्तिहान कराना ‘अनुचित’ होगा.

शनिवार तक भारत में कोविड-19 के कुल 6.6 लाख एक्टिव मामले थे जबकि 18 लाख ठीक हो चुके हैं और 49,036 मौतें हो चुकीं हैं.

याचिका में आगे कहा गया, ‘कोविड-19 के मामलों की संख्या स्थिर नहीं हो रही है. आज की तारीख तक वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है. ऐसी अनिश्चितता के दौर में, जहां महामारी धीरे-धीरे 30 लाख के आंकड़े की तरफ बढ़ रही है और शहरों से बाहर फैलने लगी है, हम किसी भी ऐसे कार्य को करने में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं, जिसके लिए हमें अपने पैतृक स्थान को छोड़ना हो’.

याचिका में कहा गया है, ‘दूसरी प्रवेश परीक्षाओं के विपरीत, यूपीएससी इम्तिहान प्रक्रिया तीन चरणों का ढांचा है, जिसमें उम्मीदवार के प्रदर्शन को देखा जाता है. प्रारंभिक परीक्षा देने के बाद, उम्मीदवार को 90 दिन के भीतर मेन्स के लिए तैयारी करनी होती है’.

‘प्रारंभिक परीक्षा के लिए सफर करने की वजह से, मान लीजिए अगर कोई उम्मीदवार कोरोनावायरस से संक्रमित हो जाता है तो वो तैयारी के समय का एक पखवाड़ा गंवा देगा, जिससे उसके मेन इम्तिहान पास करने के मौके पर असर पड़ेगा. इसके ऊपर वो अपना एक प्रयास भी गंवा बैठेगा. ये तो कोरा अन्याय है’.

ये पूछने पर कि क्या इस बात की कोई संभावना है कि इम्तिहान टाले जा सकते हैं, यूपीएससी के अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि वो हर रोज़ स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और ‘तिथि के करीब आने पर ही कुछ फैसला लिया जाएगा’.


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‘अत्यंत अनुचित’

दिप्रिंट से बात करते हुए सिविल सर्विसेज़ के कई उम्मीदवारों ने कहा कि इम्तिहान को एक बार टालने के लिए वो सरकार के आभारी हैं लेकिन अपने स्वास्थ्य के हित में और वायरस के फैलाव को रोकने के लिए उन्होंने एक और स्थगन की मांग की है.

एक उम्मीदवार ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हर साल 6 लाख से ज़्यादा लोग इस इम्तिहान में बैठते हैं…इतनी बड़ी संख्या में लोगों का अलग-अलग परीक्षा केंद्रों तक अपने पेरेंट्स के साथ जाना, ऐसी चिंता के बीच इम्तिहान की तैयारी करना और इनफेक्शन का जोखिम उठाना अत्यंत अनुचित है’.

उम्मीदवार ने आगे कहा, ‘दुनियाभर में सरकारें और यूनिवर्सिटीज़ नए-नए तरीके खोज रही हैं, ये सुनिश्चित करने के लिए कि युवाओं की सेहत खतरे में डाले बिना इम्तिहान कराए जा सकें…हमारी सरकार को इस मामले में एक उदार रुख अपनाना चाहिए’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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