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गुमनाम नायकों, उनकी कुर्बानी व योगदान को मान्यता देने की जरूरत: नायडू

नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को देश के गुमनाम नायकों को मान्यता देने की वकालत करते हुए कहा कि कला के रूप जैसे सिनेमा और संगीत का इस्तेमाल उनके बलिदानों को रेखांकित करने के लिए किया जाना चाहिए।

उन्होंने अफसोस जताया कि लोग रॉबर्ट क्लाइव के बारे में तो जानते हैं लेकिन महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, कोमाराम भीम और अल्लूरी सीताराम राजू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों और ऐतिहासिक हस्तियों के बारे में बहुत कम जानते हैं।

नायडू ने कहा कि कई गुमनाम नायकों ने बलिदान दिया, लेकिन उनकी कहानी से आम जनता काफी हद तक अनभिज्ञ है क्योंकि इतिहास की किताबों में इनपर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।

उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ अज्ञात लोगों को मान्यता देना हमारा कर्तव्य है। सिनेमा, हमारे कला के अन्य रूप, संगीत, साहित्य को इन पहलुओं (गुमनाम नायकों के कृत्यों को रेखांकित करना) पर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। यह हमारे महान सांस्कृतिक अतीत और (गुमनाम नायकों द्वारा) दिए गए बलिदान को जीवंत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’’

यहां आयोजित संगीत नाटक अकादमी और ललित कला अकादमी के पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि मातृ भाषा को हर स्तर पर वाजिब सम्मान दिया जाना चाहिए, चाहे वह सरकारी कामकाज हो या शिक्षा हो या फिर अदालत में।

गुमनाम नायकों और उनके बलिदान को मान्यता देने का आह्वान करते हुए नायडू ने कहा, ‘‘ हमें रॉबर्ट क्लाइव का इतिहास बताया गया है लेकिन राणा प्रताप, शिवाजी, अल्लूरी सीताराम राजू, कोमाराम भीम आदि के बारे में नहीं बताया गया। अब समय आ गया है कि हम इस गलती को ठीक करें और अपने गौरवमयी अतीत के सम्मान को बहाल करें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, औपनिवेशिक मानसिकता की वजह से हमारी पाठ्यपुस्तकों, हमारे इतिहास में इन गुमनाम नायकों को उचित और पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया। अब समय आ गया है कि हम उन्हें मान्यता दें और मैं खुश हूं कि नयी शिक्षा नीति इस ओर ध्यान केंद्रित कर रही है।’’

नायडू ने इन ‘‘विकृति’’ को ठीक करने का आह्वान किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कम ज्ञात नायकों के योगदान को रेखांकित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने जोर दिया कि सरकारी संस्थानों को सभी स्तर पर उन्हें मान्यता देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए।

उन्होंने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ उत्सव का संदर्भ देते हुए सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि हाल में अधिकतर गुमनाम नायकों को महत्व दिया गया है।

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप

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