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‘कभी न सराहे जाने वाले’ सुरक्षा गार्डों को हर साल मेडल देगी उद्धव सरकार, इस घटना के बाद आया यह विचार

महाराष्ट्र श्रम विभाग ने उन सुरक्षा गार्डों की पहचान करने के लिए एक योजना शुरू की जो असाधारण तरीके से लोगों की मदद करने के लिए दायित्वों के सीमा से भी से परे चले जाते हैं. अब उन्हें हर साल मेडल से नवाजा जाएगा.

तस्वीर-एएनआई

मुंबई: पिछले साल नवंबर में, अहमदनगर के सिविल अस्पताल में भीषण आग लगी थी, जिसमें 11 कोविड -19 रोगियों की मौत हो गई थी और सात अन्य घायल हो गए थे.

इस मामले के ठंडा पड़ने के बाद, महाराष्ट्र राज्य के श्रम विभाग को पता चला कि कोविड -19 वार्ड से अधिक-से-अधिक रोगियों को बचाने में मदद करने के लिए पांच सुरक्षा गार्डों ने अपनी जान जोखिम में डाल दी थी, और उन सबने आग बुझाने में भी मदद की थी.

अब यह पता चला है कि इस घटना ने महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को राज्य के सुरक्षा गार्डों की तरफ भी ध्यान देने के लिए प्रेरित किया है क्योंकि वे किसी भी प्रतिष्ठान –  चाहे वह सरकारी हो या निजी – में जनता के संपर्क में आने वाले पहले व्यक्ति होते हैं.

राज्य के श्रम विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि विभाग ने ऐसे सभी सुरक्षा गार्डों की पहचान करने के लिए एक योजना शुरू की है जो असाधारण तरीके से लोगों की मदद करने के लिए अपने कर्तव्य से परे जाते हैं और उन्हें पुरस्कार भी दिए जायेंगें.

इस अधिकारी ने कहा, ‘हमने महसूस किया कि अहमदनगर की आग एकमात्र ऐसी घटना नहीं थी जहां सुरक्षा गार्डों ने पहली प्रतिक्रिया करने वालों (फर्स्ट रेसपॉन्डर्स) के रूप में काम किया और लोगों की जान बचायी.’ उन्होंने कहा, ‘कोविड -19 महामारी की तीन लहरों के दौरान, विभिन्न स्थानों पर सुरक्षा गार्डों ने बहुत अच्छा काम किया. वे आम तौर पर ‘अनसंग हीरो’ (सराहे न जाने वाले नायक) होते हैं और उनकी सराहना की जानी चाहिए.’

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अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसे सभी सुरक्षा गार्डों की पहचान करने और उन्हें हर साल मजदूर दिवस के रूप में मनाए जाने वाले 1 मई के दिन एक प्रमाण पत्र और एक सरकारी पदक से पुरस्कृत करने का फैसला किया है.

 नामांकनों की जांच के लिए बनायी गयी एक समिति

इस राज्य में सभी सुरक्षा गार्ड महाराष्ट्र निजी सुरक्षा गार्ड अधिनियम, 1981 के तहत काम करते हैं, और आवश्यकतानुसार विभिन्न सरकारी और निजी संगठनों में तैनात किए जाते हैं.

पुरे राज्य भर में कुल 38,000 पंजीकृत सुरक्षा गार्ड हैं जो जिला स्तर पर विभिन्न ‘मंडलों’ के तहत काम करते हैं.

राज्य सरकार ने इन मंडलों को हर साल फरवरी के अंत तक राज्य के इन पुरस्कारों के लिए गार्डस को नामित करने को कहा है.

माना जाता है कि सरकार ने मोटे तौर पर छह सेवाओं की पहचान की है जिसके आधार पर ये ‘मंडल’ सुरक्षा गार्डों को इन पुरस्कारों के लिए नामित कर सकते हैं.

ये हैं, किसी की जान बचाना, किसी भी आपराधिक गतिविधि को रोकने के लिए अधिकतम प्रयास करना, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मदद करना, आग, वाहन दुर्घटना या किसी अन्य गंभीर दुर्घटना जैसी दुर्घटनाओं के शिकार लोगों की मदद करना, सुरक्षा गार्ड जिस प्रतिष्ठान के लिए काम कर रहा है उसे किसी भी नुकसान से बचाने के लिए कदम उठाना तथा किसी भी राज्य-, राष्ट्रीय-, या अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल में प्रसिद्धि पाना.

राज्य श्रम विभाग ने हर साल 15 मार्च तक किये गए नामांकनों की छानबीन करने और 15 अप्रैल तक इन पुरस्कारों की अंतिम सूची बनाने के लिए राज्य श्रम आयुक्त की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया है. सूत्र ने कहा कि इस पैनल (समिति) को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि जब तक कि परिस्थितियां असाधारण न हों किसी भी एक जिले को तीन से अधिक पुरस्कार न मिले.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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