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इस दीवाली दो तिहाई परिवार नहीं जलाएंगे पटाखे, 53 फीसदी नहीं करते बैन का सपोर्ट- सर्वे में खुलासा

लोकलसर्किल्स के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 42% परिवार पटाखों पर ‘किसी न किसी तरह का प्रतिबंध’ चाहते हैं. जो लोग पटाखे जलाने की तैयारी नहीं कर रहे, उनमें से 63% इसके पीछे वायु प्रदूषण का हवाला देते हैं.

2 नवंबर 2021 को दिल्ली के चांदनी चौक बाजार में बन रहे दीये | सूरज सिंह बिष्ट, दिप्रिंट

नई दिल्ली: देश में औसतन हर तीन में से दो परिवारों ने इस साल दिवाली पर पटाखे न जलाने का मन बना रखा है. एक ताजा नए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.

कम्युनिटी प्लेटफार्म लोकलसर्किल्स के सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि 42 प्रतिशत परिवार त्योहार के दौरान पटाखे जलाने पर ‘किसी न किसी तरह का प्रतिबंध’ चाहते हैं. हालांकि, 53 फीसदी परिवारों का कहना है कि पटाखे जलाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए क्योंकि यह पिछले कुछ सालों में सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण की समस्या का मूल कारण नहीं है.

यह सर्वेक्षण पिछले कुछ वर्षों में दीपावली के आसपास उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में वायु प्रदूषण बढ़ने और वायु गुणवत्ता सूचकांक में तेज वृद्धि—आंकड़ा 1,000 से अधिक तक पहुंचने—के मद्देनजर किया गया था.

सर्वे में बताया गया है, ‘दुनिया के शीर्ष 50 प्रदूषित शहरों में से 35 से अधिक भारत में हैं. इस साल कई उत्तर भारत के कई शहरों में एक्यूआई पहले ही 300 के पार पहुंच चुका है.’

सर्वे के नतीजे पटाखों को जलाने के मुद्दे, वायु प्रदूषण पर उनके प्रभाव, और प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उन पर प्रतिबंध लगाने को लेकर बहस आदि विषयों पर कई तरह की प्रतिक्रिया को दर्शाते हैं.

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लोकलसर्किल्स ने आगे कहा, ‘देश की सर्वोच्च अदालत ने एक सख्त आदेश जारी किया है जिसके तहत एक जहरीले रसायन बेरियम साल्ट वाले पटाखों को जलाने पर पाबंदी है. हालांकि, पटाखों के इस्तेमाल पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और त्योहार के दौरान ग्रीन क्रैकर्स के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है.’


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कोविड महामारी लंबी खिंचने, परिजनों को खो देने से व्यवहार में बदलाव आया

लोकलसर्किल्स ने अपने सर्वे में परिवारों से मूलत: यह जानना चाहा था कि क्या इस दीवाली वे पटाखे जलाने की तैयारी कर रहे हैं. 45 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि वे ‘कोई पटाखा नहीं जलाएंगे’, 15 फीसदी ने कहा कि हरे पटाखे जलाएंगे और केवल छह प्रतिशत ने ही नियमित पटाखे जलाते रहने की बात कही.

सबसे अहम बात यह है कि आठ प्रतिशत परिवारों ने इस सवाल का जवाब ‘लागू नहीं या फिर इस वर्ष दिवाली मनाने की योजना नहीं है’ के रूप में दिया. पिछले कुछ सालों में अधिकांशत: केवल 2-3 प्रतिशत परिवार ही इस तरह की प्रतिक्रिया देते रहे हैं.

लोकलसर्किल्स ने इस पर विस्तार से बताते हुए कहा कि इस वर्ष कई परिवारों ने अपने किसी परिजन को खो दिया है या फिर परिवार का कोई सदस्य लंबे समय से कोविड या अन्य बीमारी से जूझ रहा है, और इसलिए वे जश्न नहीं मना रहे हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि, ‘कुछ अन्य लोग ऐसे हैं जो अपनी आजीविका खोने के कारण वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं.’

सर्वेक्षण के मुताबिक, कुल मिलाकर दो-तिहाई परिवारों ने कहा है कि वे पटाखे नहीं जलाएंगे.

सर्वे में एक और महत्वपूर्ण सवाल यह था कि क्या ये परिवार दिवाली के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध का समर्थन करते हैं. किसी न किसी तरीके की पाबंदी का समर्थन करने वाले 42 प्रतिशत लोगों में से 28 प्रतिशत ने देशभर में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध का समर्थन किया, जबकि बाकी ने राज्य या जिला स्तर पर प्रतिबंध का समर्थन किया

सर्वे में यह भी पता चला कि तमाम परिवार इस बार दीपावली पर पटाखे नहीं जलाने का विकल्प क्यों चुन रहे हैं, सामान्य तौर पर इसका सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण—63 प्रतिशत—बताया गया.

लोकलसर्किल्स के इस सर्वेक्षण में देशभर के 371 जिलों के करीब 28,000 भारतीय परिवारों की प्रतिक्रियाएं शामिल हैं.

सर्वे बताता है, ‘63 प्रतिशत उत्तरदाता पुरुष थे और 37 प्रतिशत महिलाएं थीं; 41 प्रतिशत उत्तरदाता टियर-1 शहरों से थे, जबकि 33 प्रतिशत टियर-2 से और 26 प्रतिशत उत्तरदाता टियर-3, टियर-4 और ग्रामीण जिलों से आते हैं.’

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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