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आधुनिक तकनीक के जरिये पंजाब के दो स्कूली शिक्षक छात्रों को राह दिखा रहे हैं

(तस्वीर के साथ)

चंडीगढ़, 04 सितंबर (भाषा) पंजाब में बरनाला के शिक्षक हरप्रीत सिंह को अपने जीर्ण-शीर्ण स्कूल भवन को ‘स्मार्ट’ बनाने में एक दशक से अधिक का समय लगा, जो अब राज्य के पहले ऐसे स्कूल होने का गर्व कर सकता है, जहां छोटे बच्चों के लिए किंडरगार्टन खंड, भाषा प्रयोगशाला और प्रोजेक्टर के साथ एलईडी स्क्रीन उपलब्ध हैं।

वह राज्य के उन दो शिक्षकों में शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पांच सितंबर को शिक्षक दिवस पर दिए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है।

दूसरे शिक्षक मनसा सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य अरुण कुमार गर्ग हैं, जिन्होंने कोरोना वायरस महामारी के समय छात्रों को गणित में मुफ्त व्याख्यान देने के लिए एक यूट्यूब चैनल शुरू किया था। बरनाला जिले के बिहला गांव के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक हरप्रीत सिंह (43) का कहना है कि उन्होंने 2009 में अपने जर्जर स्कूल भवन को स्मार्ट बनाने की पहल की थी।

उनका कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में स्कूल की इमारत पर 39 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने भी स्कूल के बुनियादी ढांचे के लिए पैसे का योगदान दिया।

सिंह ने बताया, ‘‘यह एक बहुत पुराना स्कूल भवन था। ग्रामीणों और प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के सहयोग से एक नया स्कूल भवन बनाया गया।’’ उन्होंने कहा कि छात्रों को बेहतर तरीके से सीखने के लिए नयी शिक्षण तकनीक लायी गयी।

उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए कक्षाओं में प्रोजेक्टर के साथ एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं।’’ स्कूल में भाषा प्रयोगशाला भी स्थापित की गई है और यह छात्रों के उच्चारण में सुधार करने में मदद करती है।

शिक्षक का कहना है कि स्कूल में एक ‘एजुकेशन एक्टिविटी पार्क’ भी बनाया गया है। राज्य का पहला किंडरगार्टन खंड भी स्कूल में स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य ग्रामीण छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।

वहीं, मानसा के दातेवास गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य अरुण कुमार गर्ग ने कहा कि उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के बाद यूट्यूब के माध्यम से छात्रों को गणित सिखाने का फैसला किया। अब, उनके यूट्यूब चैनल, ‘‘अभ्यास बाइ अरुण सर’’ के लगभग 12,000 सब्सक्राइबर हैं।

वर्ष 2006 से पढ़ा रहे गर्ग कहते हैं, ‘‘‘मेरा विचार है कि ज्यादा से ज्यादा छात्र गणित सीखें और उन्हें इससे डरना नहीं चाहिए।’’ गर्ग कहते हैं, ‘‘कक्षा छह से 12 तक गणित विषय पर उनके व्याख्यान होते हैं और कोई भी इसे देख सकता है।’’

उन्होंने सरकारी डीडी पंजाबी चैनल पर भी व्याख्यान दिया है। वर्ष 2021 में बोलीविया की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल अमेरिका से डी. लिट की डिग्री प्राप्त करने वाले गर्ग ने कहा कि एक छात्र के रूप में वे खुद गणित से डरते थे।

इसके अलावा गर्ग ने अपने कुछ दोस्तों के साथ ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए एनजीओ, ‘पहल फाउंडेशन’ की स्थापना की।

उन्होंने कहा कि मानसा के रल्ली गांव के एक सरकारी स्कूल की आठ छात्राओं ने इसमें दाखिला लिया है।

विषय की बेहतर समझ के लिए मातृभाषा में गणित पढ़ाने पर जोर देने वाले गर्ग कहते हैं, ‘‘उन्होंने अपनी 10वीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए और अब वे चिकित्सा या गैर-चिकित्सा विषयों में पढ़ाई कर रही हैं।’’

गर्ग ने कहा, ‘‘हमने अब फैसला किया है कि जो छात्र मानसा के सरकारी स्कूलों में चिकित्सा या गैर-चिकित्सा विषयों की पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें ऑनलाइन कोचिंग दी जाएगी।

पंजाब के सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से 10 तक के गणित के छात्रों के लिए गर्ग द्वारा लिखित किताबें पढ़ाई जा रही हैं।

भाषा सुरभि सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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