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अंग्रेजी ठीक करने के लिए यूपी के सरकारी और निजी पॉलिटेक्निक स्कूलों में खुलेंगी लैंग्वेज लैब

इसकी अनिवार्यता के लिए ऑल इंडिया कांउसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) ने कहा है.

चाणक्य अकादमी में छात्रवृत्ति के लिए परीक्षा, प्रतीकात्मक तस्वीर, फाइल फोटो | चाणक्यआईएएसअकेडमी.कॉम

लखनऊः उत्तर प्रदेश के सरकारी व निजी पॉलिटेक्निक संस्थानों में बच्चों की अंग्रेजी और कम्युनिकेशन स्किल को ठीक करने के लिए लैंग्वेंज लैब खोले जाने का निर्णय लिया गया है. सिर्फ सरकारी संस्थान में नहीं बल्कि निजी संस्थानों में इसकी अनिवार्यता के लिए ऑल इंडिया कांउसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) ने कहा है.

प्रावधिक शिक्षा परिषद के सचिव संजीव सिंह ने बताया कि लैंग्वेज लैब खोलने के पीछे हिंदी माध्यम के छात्रों को अंग्रेजी की प्राथमिक जानकारी देने के साथ-साथ उनकी कम्युनिकेशन स्किल को बेहतर करना है.

उन्होंने बताया कि ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों को आगे रोजगार हासिल करने में कोई कठिनाई न हो, इसके लिए यह कदम उठाया जा रहा है. हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को बेहतर ढंग से संवाद करने में सहूलियत हो, इसका भी ध्यान रखा गया है.

संजीव ने बताया कि सरकारी संस्थान के अलावा निजी संस्थानों में इसे लागू करवाया जाएगा जिससे ग्रामीण परिवेश से आने वाले विद्यार्थियों को इसमें परेशानी ना उठानी पड़े. उन्होंने बताया कि इसमें लैब विशेषज्ञों द्वारा विद्यार्थियों को अंग्रेजी का ज्ञान देने के साथ उनकी स्किल निखारने व अन्य जरूरी चीजों को भी ठीक कराने पर फोकस किया जाएगा.

छात्रों के कम आवेदन के चलते लविवि के 5 कोर्स बंदी की कगार पर

वहीं उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय में इस वर्ष छात्रों के आवेदन कम आने के कारण परास्नातक के पांच कोर्स बंद होने की कगार पर हैं. एमएससी मास कम्युनिकेशन, एमए फ्रेंच और एमए बिजनेस इकोनॉमिक्स में कम आवेदनों के चलते काउंसलिंग ही नहीं कराई गई है जबकि दो कोर्सो में आवेदन तो है लेकिन दाखिला लेने छात्र नहीं पहुंचे. इसकी वजह से इन कोर्सो को इस साल नहीं चलाया जाएगा.

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कार्यवाहक कुलसचिव अरुण कुमार यादव ने कहा कि एमए इन डिफेंस स्टडीज, एमएससी इन टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए एक बार कांउसिलिंग करने पर विचार हो सकता है. अगर इन सभी कोसरें में 60 प्रतिशत सीटें भरेंगी तभी कोर्स संचालित होंगे. अन्यथा इन कोसरें को भी एमएससी इन मॉस कॉम, एमए फ्रेंच और बिजनेस इकोनॉमिक्स की तरह बंद करना पड़ेगा.

विश्वविद्यालय के प्रवेश समन्वयक प्रो. अनिल मिश्र ने बताया कि सेल्फ फाइनेंस कोर्स चलाने के लिए कुल सीटों के 60 प्रतिशत पर छात्रों के दाखिले होना जरूरी है. इनमें एमए इन डिफेंस स्टडीज में कुल 25 सीटें हैं, जिसमें 19 ने प्रवेश परीक्षा दी थी, लेकिन काउंसलिंग में 15 से भी कम छात्र शामिल हुए. ऐसे में इस कोर्स को नहीं चलाया जा सकता. एमएससी टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट में 30 सीटों पर 19 ने प्रवेश परीक्षा दी थी लेकिन उसमें भी काउंसलिंग में 18 से कम छात्र शामिल हुए. इसके अलावा एमएससी मास कम्युनिकेशन, एमए फ्रेंच और एमए बिजनेस इकनॉमिक्स में भी बहुत कम आवेदनों के चलते काउंसलिंग नहीं कराई गई.

 

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