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सुदर्शन न्यूज के ‘ब्यूरोक्रेसी जिहाद’ वीडियो के खिलाफ IAS-IPS अधिकारियों ने की कार्रवाई की मांग

सिविल सेवा अधिकारियों और आईपीएस एसोसिएशन ने सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके की सिविल सेवाओं में मुसलमानों की 'घुसपैठ' के दावों की निंदा की.

सुदर्शन न्यूज के एडिटर-इन-चीफ सुरेश च्वाहणके, फाइल फोटो | फेसबुक

नई दिल्ली: आईपीएस एसोसिएशन और कई सिविल सेवा अधिकारी गुरुवार को सोशल मीडिया पर सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठा रहे हैं. दरअसल चव्हाणके ने गुरुवार को ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए सिविल सेवाओं में मुसलमानों की कथित ‘घुसपैठ’ की बात करते हुए इसे ‘नौकरशाही जिहाद’ करार दिया और कहा कि शुक्रवार को इस बड़े खुलासे पर एक कार्यक्रम प्रसारित किया जाएगा.

अधिकारियों ने शुक्रवार को प्रसारित होने वाले रिपोर्ट के इस अंश के लिए चव्हाणके के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. आईएएस और आईपीएस अधिकारीयों ने कहा कि यह ‘घृणास्पद भाषण’ सिविल सेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्था, जो सिविल सेवा अधिकारियों का चयन करती है, पर सवाल उठाता है.

आईपीएस एसोसिएशन, जो भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों का केंद्रीय समूह है, ने एक ट्वीट में इसे सांप्रदायिक और गैर ज़िम्मेदाराना पत्रकारिता कहा और इसकी निंदा की.

चव्हाणके ने बुधवार को एक वीडियो ट्वीट करने के बाद नाराज़गी व्यक्त की जिसमें उन्हें सिविल सेवाओं में मुसलमानों की ‘घुसपैठ’ पर सवाल उठाते देखा जा सकता है.

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उक्त वीडियो में चव्हाणके कुछ सवाल उठाते हुए नज़र आते हैं. वो पूछते हैं कि अचानक मुसलमान आईएएस, आईपीएस में कैसे बढ़ गए? ‘सोचिये, जामिया के जिहादी अगर आपके जिलाधिकारी और हर मंत्रालय में सचिव होंगे तो क्या होगा?’

अधिकारी विरोध में

वीडियो वायरल होने के बाद, सोशल मीडिया यूजर्स ने इसका विरोध करते हुए सस्पेंड सुरेश चव्हाणके हैशटैग के साथ उनके ट्विटर अकाउंट को सस्पेंड करने की मांग की.

सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी एन.सी. अस्थाना ने ट्वीट कर कहा, ‘अखिल भारतीय सेवाओं के लिए अधिकारियों के चयन में यूपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था की अखंडता और निष्पक्षता पर संदेह जताते हुए, वह संवैधानिक योजना के प्रति अविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं’.

वहीं आईपीएस अधिकारी निहारिका भट्ट ने इसे ‘घृणा फैलाने वाली कोशिश’ करार दिया और कहा कि धर्म के आधार पर अधिकारियों की साख पर सवाल उठाना न केवल हास्यपूर्ण है बल्कि इसे सख्त कानूनी प्रावधानों से भी निपटा जाना चाहिए. हम सभी भारतीय पहले हैं.

चेन्नई में आईजी पद पर कार्यरत आईपीएस अधिकारी नजमुल होदा ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि इसे सीधे तौर पर ‘हेट स्पीच’ कहते हैं. उन्होंने कहा, ‘इस तरह की बातें एक समुदाय को डी-ह्यूमनाइज करने की कोशिश है’.

अन्य कई अधिकारियों ने भी ट्विटर पर अपना रोष जताया.

इंडियन पुलिस फाउंडेशन, जो एक स्वतंत्र थिंक-टैंक है, ने भी वीडियो की निंदा की और कहा कि वह इसे रीट्वीट नहीं करेंगे क्योंकि यह ‘विषैला’ और ‘खतरनाक कट्टरता’ है.

फाउंडेशन ने न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए), यूपी पुलिस और संबंधित सरकारी अधिकारियों से भी सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया.

आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने चव्हाणके के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करने के लिए लोगों से आग्रह का एक अभियान शुरू किया.

राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने शुक्रवार को कार्यक्रम के प्रसारण को रोकने के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा.

बचाव में चव्हाणके ने अपने दावों के साथ कई ट्वीट्स पोस्ट किए और कहा कि कार्यक्रम के शुक्रवार को प्रसारित होने पर सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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1 टिप्पणी

  1. मैं सुदर्शन न्यूज के प्रोग्राम से सहमत हूं और इसको प्रसारित करने का आग्रह करता हूँ
    क्योकि अगर कोई डॉक्टर , इंजीनियर, आतंकवादी बन सकते हैं तो फिर ये सोंचने वाली बात है

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