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अमरावती से नवनीत राणा को उतारने के भाजपा के फैसले से कुछ सहयोगी नेता नाराज

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी | ट्विटर/@DrPVVenkitakri1

मुंबई, 28 मार्च (भाषा) अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को पार्टी में शामिल करने और उन्हें चुनाव लड़ाने का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का फैसला महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन से जुड़े कुछ नेताओं को रास नहीं आया है और उन्होंने इसे ‘राजनीतिक आत्महत्या’ करार दिया है।

नवनीत राणा बुधवार देर रात को अपने समर्थकों के साथ नागपुर में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के आवास पर सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गईं।

भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने अमरावती सीट से पार्टी प्रत्याशी के रूप में उनके नाम की घोषणा की और बावनकुले ने बताया कि वह चार अप्रैल को अपना नामांकन भरेंगी।

हालांकि, इस घटनाक्रम की न केवल कांग्रेस ने आलोचना की है, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी निर्दलीय विधायक बच्चू कडू और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से जुड़े पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई है।

कडू ने राणा की उम्मीदवारी को ‘लोकतंत्र का पतन’ बताया और कहा कि उन्हें हराना होगा। अडसुल ने इस कदम को महायुति का ‘राजनीतिक आत्महत्या’ वाला कदम बताया और घोषणा की कि भले ही उनकी पार्टी उनका समर्थन नहीं करे, फिर भी वह राणा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।

नवनीत राणा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अमरावती से अविभाजित शिवसेना के तत्कालीन सांसद अडसुल को हराया था। चुनाव के बाद उनके खिलाफ फर्जी जाति प्रमाणपत्र जमा करने के आरोप लगने लगे।

बंबई उच्च न्यायालय ने 8 जून, 2021 को कहा था कि राणा ने ‘मोची’ जाति का जो प्रमाणपत्र जमा किया है उसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए धोखाधड़ी से हासिल किया गया।

अदालत ने उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

उच्चतम न्यायालय ने उनके जाति प्रमाणपत्र को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर पिछले महीने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अमरावती संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली छह विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 2019 के विधानसभा चुनाव में तेवसा और दरयापुर सीट पर जीत हासिल की थी, वहीं बच्चू कडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी (पीजेपी) ने मेलघाट और आचलपुर संसदीय क्षेत्रों में जीत दर्ज की।

पीजेपी ने 2019 में उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को समर्थन दिया था। हालांकि जून 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद वह एकनाथ शिंदे नीत खेमे के साथ चले गए।

कडू ने राणा की उम्मीदवारी का विरोध किया है। राणा के पति रवि राणा निर्दलीय विधायक हैं और वह 2019 के चुनाव में बडनेरा सीट से जीते थे। कांग्रेस की सुलभा खोडके ने अमरावती विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी।

खोडके ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन उनके पति राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के करीबी हैं।

नवनीत राणा ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 400 से अधिक सीटें जीतने का आह्वान किया है। मैं चाहती हूं कि अमरावती सीट भी उनमें से एक हो।’’

अडसुल और कडू के विरोध पर उन्होंने कहा, ‘‘वे मुझसे बहुत वरिष्ठ हैं। मेरी इच्छा है कि राजग के सभी घटक साथ रहें और मेरी उम्मीदवारी का समर्थन करें।’’

जाति प्रमाणपत्र संबंधी विवाद के बारे में पूछे जाने पर राणा ने कहा, ‘‘एक महिला का संघर्ष उसके जन्म से पहले ही शुरू हो जाता है। मैंने पिछले 12-13 साल से क्षेत्र की सेवा की है। मेरा संघर्ष जारी रहेगा और मैं इसके लिए तैयार हूं।’’

राणा ने तेलुगु फिल्मों में अभिनय के साथ अपना कॅरियर शुरू किया था। इसके बाद वह राजनीति में आ गईं और पहला लोकसभा चुनाव 2014 में राकांपा के टिकट पर लड़ा, लेकिन वह जीत नहीं पाईं।

हालांकि, 2019 के चुनाव में उन्होंने शिवसेना के निवर्तमान सांसद अडसुल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में शिकस्त दे दी।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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