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सामाजिक विश्लेषकों ने कहा ‘विरोध के डर से विज्ञापनों को वापस लिया जाना खतरनाक चलन’

मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सब्यसाची मुखर्जी को मंगलसूत्र के ‘आपत्तिजनक’ विज्ञापन को हटाने के लिए ‘अल्टीमेटम’ दिया था.

फैब इंडिया/rcity.co.in

नई दिल्ली: सामाजिक विश्लेषकों और विज्ञापन जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि विरोध के डर से विज्ञापनों को वापस लिया जाना एक ‘खतरनाक चलन’ है.

हिंदू त्यौहार संबंधी प्रचार मुहिम के लिए उर्दू शब्दों का इस्तेमाल करना, समलैंगिक जोड़े को विज्ञापन में दिखाना और गैर परंपरागत तरीके से मंगलसूत्र का प्रचार करना इन सबके माध्यम से देश के कई बड़े ब्रांड ने त्यौहार के दौरान यह सोचकर अपनी प्रचार मुहिमों को गैर परंपरागत तरीकों से विविध रंग देने की कोशिश की कि इनकी मदद से वो अपने ग्राहकों का ध्यान खींचने में सफल रहेंगे लेकिन उन्हें अपने इन विज्ञापनों को जल्द ही वापस लेना पड़ा.

फैशन ब्रांड ‘फैबइंडिया’ ने अपने कपड़ों के कलेक्शन, डाबर इंडिया ने अपने ‘फेब ब्लीच क्रीम’ प्रोड्क्ट और डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने अपने मंगलसूत्र के विज्ञापन के लिए सामान्य सोच से हटकर इन तरीकों का इस्तेमाल किया लेकिन इन सबको अपने विज्ञापन वापस लेने पड़े. इसीको देखते हुए सामाजिक विश्लेषकों और विज्ञापन जगत से जुड़े लोगों ने इसे ‘खतरनाक चलन’ करार दिया है.

विज्ञापन उद्योग से जुड़े पीयूष पांडे ने कहा कि जब तक ‘कानून-व्यवस्था लोगों की रक्षा नहीं करती’ तब तक विज्ञापनकर्ताओं के लिए अपनी प्रचार मुहिम को जारी रखना मुश्किल होगा.

उन्होंने कहा, ‘विज्ञापनकर्ता नहीं चाहते कि लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचे. वो इसलिए विज्ञापन वापस नहीं लेते कि वो गलत हैं बल्कि इससे उनके लोगों को खतरा ना हो इस वजह से ऐसा कदम उठाया जाता है.’

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विज्ञापन जगत से जुड़े पेशेवर अभिजीत प्रसाद ने कहा कि उनका उद्योग जगत एक ऐसी दुनिया दिखाने की कोशिश कर रहा है, ‘जिसमें आप रहना चाहते हैं’ जो असमानता को दूर करता है लेकिन ऐसा नहीं हो पाता.


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मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सब्यसाची मुखर्जी को मंगलसूत्र के ‘आपत्तिजनक और अश्लील’ विज्ञापन को हटाने के लिए रविवार को 24 घंटे का ‘अल्टीमेटम’ दिया और चेतावनी दी कि अगर वह इसे नहीं हटाएंगे तो उनके खिलाफ मामला दर्ज करके कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद सब्यसाची ने अपना विज्ञापन वापस ले लिया था.

इससे एक हफ्ते पहले, ‘डाबर इंडिया’ ने भी ‘फेम ब्लीच’ प्रोड्क्ट के लिए अपना विज्ञापन वापस ले लिया था. इसमें एक समलैंगिक जोड़े को करवा चौथ मनाते दिखाया गया था. परंपराओं से जुड़े इस त्यौहार को गैर परंपरागत रंग देने की कोशिश करने वाले इस विज्ञापन की सोशल मीडिया पर आलोचना हुई थी.

इससे कुछ ही दिन पहले ‘जश्न-ए-रिवाज़’ को लेकर फैबइंडिया को सोशल मीडिया पर ‘ट्रोल’ किया गया था क्योंकि कुछ लोगों का कहना था कि कंपनी हिंदू त्यौहार में अनावश्यक रूप से धर्मनिरपेक्षता और मुस्लिम विचारधारा को थोप रही है और इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. कंपनी ने दक्षिण पंथी समूहों की आलोचना के बाद अपना प्रोमो वापस ले लिया था.

भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने भी इस विज्ञापन की आलोचना की थी.

पीयूष पांडे ने कहा कि इन विज्ञापनों को वापस नहीं लिया जाना चाहिए था. इन ब्रांड के पास ‘विज्ञापन मानक परिषद’ या अदालतों के पास जाने का विकल्प था.

ब्रांड रणनीतिकार सिद्धांत लाहिड़ी ने कहा कि परंपरा से हटकर बात करने वाली सोच को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वभर में लोगों की यह सामाजिक प्रवृत्ति है कि ‘हम उन नज़रियों के लिए असहिष्णु होते जा रहे हैं जो हमारे दृष्टिकोण से अलग हैं.’


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