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शराब की बदबू आने का मतलब यह नहीं कि शख़्स ने शराब पी है: केरल HC

अदालत एक ग्राम सहायक कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने उसके खिलाफ 2013 में पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया था.

केरल हाईकोर्ट, फाइल फोटो | विकीमीडिया कॉमन्स

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ दर्ज मामला रद्द करते हुए कहा कि शराब की महज गंध आने से यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि व्यक्ति नशे में है.

न्यायमूर्ति सोफी थॉमस ने 38 वर्षीय सलीम कुमार के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने का आदेश दिया और कहा कि अन्य लोगों को परेशान किये बगैर निजी स्थान पर शराब पीना किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा.

अदालत ने 10 नवंबर को अपने आदेश में कहा, ‘शराब की महज गंध आने से यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि व्यक्ति नशे में है या उस पर शराब का नशा छाया हुआ है. ’

अदालत एक ग्राम सहायक कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने उसके खिलाफ 2013 में पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया था.

पुलिस ने कुमार के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए एक मामला दर्ज किया था कि जब उसे एक आरोपी की पहचान करने के लिए पुलिस थाने बुलाया गया, तब वह शराब के नशे में था.


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