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सामरिक दृष्टि से भारत को मजबूत बनाने में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अहम योगदान दिया: अमित शाह

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी.

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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी | en.wikipedia.org

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार चिरकाल तक प्रासंगिक रहेंगे.

शाह ने ट्वीट कर कहा, ‘डॉ. मुखर्जी ने अपनी दूरदर्शी सोच से देश में शिक्षा, स्वास्थ्य व औद्योगिक विकास की मजबूत नींव रखने और सामरिक दृष्टि से भारत को सशक्त बनाने में अहम योगदान दिया. उनके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार चिरकाल तक प्रासंगिक रहेंगे. ऐसे अप्रतिम राष्ट्रनायक की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन.’

उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक निशान, एक विधान’ के प्रणेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के लिए देशहित से ऊपर कुछ नहीं था और भारत की अखंडता के लिए उनके बलिदान और संघर्ष ने कश्मीर और बंगाल को देश का अभिन्न अंग बनाए रखा.

उन्होंने कहा, ‘मुखर्जी राष्ट्र पुनर्निर्माण में स्वदेशी नीतियों के दृढ़ समर्थक थे.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें नमन करता हूं. उनके ऊंचे आदर्श लाखों लोगों को आज भी प्रेरित करते रहते हैं. डॉक्टर मुखर्जी ने भारत की एकता और प्रगति के लिए अपना जीवन खपा दिया. उन्होंने एक असाधारण विद्वान के रूप में भी अपनी पहचान बनाई.’

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वर्ष 1901 में तत्कालीन कलकत्ता (कोलकाता) में जन्में मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाया था. उन्होंने ही कश्मीर को लेकर ‘नहीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान’ का नारा दिया था.

लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया.

मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी.


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