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सिर्फ जेएनयू नहीं, देशभर के कई संस्थानों में छात्र कर रहे हैं प्रदर्शन

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से लेकर आईआईटी मद्रास तक छात्र अलग अलग मांगों को लेकर सड़कों पर हैं.

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जेएनयू में फीस बढ़ोतरी को लेकर हो रहा प्रदर्शन, फाइल फोटो | मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

नई दिल्ली: पिछले एक महीने के दौरान देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में छात्र किसी न किसी मुद्दे को लेकर सड़कों पर हैं. जहां एक और सोशल मीडिया जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन की तस्वीरों और ख़बरों से पटा पड़ा है, देश में ऐसे और भी संस्थान हैं जहां छात्र अपना रोष प्रकट करते हुए सड़कों पर हैं.

जानिये देश में कौन- कौन से संस्थान के छात्र अपनी मांगों को मनवाने के लिए विरोध में जुटे हैं.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय

पिछले करीब तीन हफ़्तों से जेएनयू के छात्र फीस बढ़ाए जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. ज्ञात हो कि जेएनयू की फीस 300 प्रतिशत बढ़ाई गयी थी जिसके बाद सरकार ने 50 प्रतिशत फीस वापिस लेने का फैसला किया था.

हालांकि छात्रों ने पूरी फीस बढ़ोतरी को वापिस लेने की मांग के साथ विरोध जारी रखा जिसने सोमवार को हिंसक रूप ले लिया. पुलिस ने इस दौरान करीब 50 छात्रों को हिरासत में लिया जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया. जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि जब तक पूरी फीस बढ़ोतरी को वापस नहीं लिया जायेगा, तब तक छात्र अपनी मांगों के साथ प्रदर्शन में जुटे रहेंगे.

आईआईटी बॉम्बे

यहां भी छात्र फीस में बढ़ोतरी को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. आईआईटी कॉउन्सिल ने 26 सितम्बर को एमटेक एवं पीएचडी की फीस में 300 प्रतिशत बढ़ोतरी कि घोषणा की. नए नियमों के अनुसार पहले ट्यूशन फीस जो 30,000 से 50,000 रुपये के बीच थी, अब बढ़कर 2 से 3 लाख रूपए हो जाएगी. एमटेक के छात्रों को मिलने वाला 12,400 रुपये का भत्ता भी नए नियम लागू होने के बाद मिलना बंद हो जायेगा.

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आईआईटी- बीएचयू

फीस बढ़ोतरी के मामले में आईआईटी बीएचयू के छात्र भी कुछ दिनों से विरोध-प्रदर्शन में जुटे हुए हैं. 7 नवंबर को संस्थान के दीक्षांत समारोह के दौरान छात्रों के एक समूह ने मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के हाथों से डिग्री लेने से इनकार कर दिया.


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उत्तराखंड के प्राइवेट आयुर्वेदिक कॉलेज

पिछले 50 दिनों से हज़ारों छात्र उत्तराखंड के प्राइवेट आयुर्वेदिक कॉलेजों में बढ़ी हुई फीस के खिलाफ देहरादून में प्रदर्शन कर रहे हैं. 2015 में हरीश रावत सरकार ने राज्य के कॉलेजों में करीब 170 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जिसके बाद से छात्र इसके विरोध में खड़े हो गए. इस निर्णय से पहले 80 हज़ार की फीस बढ़कर 2 लाख 15 हज़ार हो गयी. 2018 में उच्च न्यायलय ने आदेश दिया कि फीस में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी एवं जिन छात्रों से बढ़ी हुई फीस ली गयी है, वह वापस दी जाएगी. हालांकि अभी तक उच्च न्यायालय के इस निर्णय पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है जिसके बाद छात्र बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे. अभी भी छात्रों का प्रदर्शन जारी है.

कहा जा रहा है कि उच्च न्यायालय के इस आदेश की अवहेलना करने वाले कॉलेजों में से कुछ आरएसएस और बीजेपी से जुड़े हुए हैं. इनमें से एक कॉलेज बाबा रामदेव द्वारा संचालित दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के अंतर्गत आता है.

आईआईटी मद्रास

एक छात्रा द्वारा ख़ुदकुशी के बाद से संस्थान का माहौल गरमाया हुआ है. आईआईटी मद्रास की स्नातकोत्तर छात्रा फातिमा लतीफ़ ने 9 नवम्बर को अपने कमरे में ख़ुदकुशी कर ली थी. उसके पिता ने प्रशासन पर धार्मिक आधार पर भेदभाव का आरोप लगते हुए कार्यवाही की मांग की.

छात्र इसी विषय को लेकर कैंपस में और उसके बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है की जल्द से जल्द आंतरिक जांच की जाये ताकि मौत के सही कारणों का पता लग सके, और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जा सके.

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय

बीएचयू के छात्र कुछ अलग कारणों से सुर्ख़ियों में छाए हुए हैं.


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यहां के छात्र 29 वर्षीय असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान की संस्कृत विभाग में नियुक्ति को लेकर नाराज़ हैं क्योंकि वह मुस्लिम हैं. छात्रों का कहना है कि इस नियुक्ति से ‘संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की भावनाओं को ठेस पहुंची होगी, क्योंकि उन्होंने साफ़ कहा था कि कोई भी गैर हिन्दू संस्कृत विभाग में न पढ़ सकता है, और न ही पढ़ा सकता है.’

प्रशासन का कहना है कि फिरोज खान कि नियुक्ति सर्वसम्मति से की गयी थी. पर छात्र अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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