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बिरयानी, उपमा और हलवा- DRDO लैब द्वारा गगनयान के लिए बनाया गया मैन्यू घर जैसा स्वाद देगा

सीमा पर तैनात सैनिकों और अंटार्कटिक अभियान में शामिल वैज्ञानिकों के लिए खाद्य उत्पादों को विकसित करने में अग्रणी रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला ने गगनयान के लिए मेन्यू को अंतिम रूप दे दिया है.

क्रेडिट: दिप्रिंट

बेंगलुरू: नाश्ते के लिए इडली, उपमा या पोहा, लंच के लिए बिरयानी या वेज पुलाव और रात के खाने में कोरमा और चपातियां— देश के पहले मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान में सवार होकर भारतीय अंतरिक्ष यात्री जब उड़ान भरेंगे तो उनके पास अंतरिक्ष में रहने के दौरान अपने खाने के लिए एक अच्छा-खासा मेन्यू होगा.

सीमा पर तैनात सैनिकों और अंटार्कटिक अभियान में शामिल वैज्ञानिकों के लिए खाद्य उत्पादों को विकसित करने में अग्रणी मैसूरू स्थित रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला (डीएफआरएल) ने गगनयान के लिए मेन्यू को अंतिम रूप दे दिया है.

खाने के मेन्यू में मेन कोर्स के अलावा डेजर्ट के तौर पर सूजी हलवा या अन्य विकल्प भी होंगे. चाय, कॉफी, कई तरह के फलों के रस जैसे कई पेय पदार्थ भी इसमें शामिल होंगे.

कोविड-19 महामारी के कारण अभियान में देरी के बाद गगनयान के 2022 में अंतरिक्ष रवाना होने की संभावना है. हालांकि, अंतिम तिथि अभी घोषित की जानी बाकी है. इस अभियान के लिए अभी चार वायुसेना अधिकारी रूस में प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं.

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत चलने वाली लैब डीएफआरएल के निदेशक ए.डी. सेमवाल ने कहा, ‘देशभर के व्यंजनों को शामिल करके खाने का मेन्यू तैयार करना आसान नहीं था. लेकिन डीएफआरएल इसके साथ तैयार है. भोजन में हल्के मसालों का इस्तेमाल किया जाएगा और साथ में उन लोगों के लिए मसालों के पाउच भी उपलब्ध कराए जाएंगे जो चटपटा खाना पसंद करते हैं.’

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उन्होंने आगे बताया, ‘भोजन डिहाईड्रेटेड होगा. जीरो-ग्रेविटी वाले वातावरण में अंतरिक्ष यात्रियों को एक निर्धारित स्थान पर भोजन के पैकेट में पानी डालना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पानी की बूंदें तैरकर दूर तक न जाएं और अंतरिक्ष यान में हर तरफ न फैलें. चूंकि यह एक सप्ताह की छोटी उड़ान है इसलिए भोजन को सेमी-हाईड्रेटेड रखा जा सकता है.’

हालांकि, ब्रेड को डिहाईड्रेटेड किया जा सकता है लेकिन इसे मेन्यू से अलग रखा गया है क्योंकि यह चूरा हो जाती है.

स्पेशल स्ट्रॉ

डीएफआरएल ने 1984 में रूस के सोयुज टी-11 में जाने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री भारतीय राकेश शर्मा के लिए मैंगो बार भी विकसित की थी.

डीआरडीओ के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रुद्र गौड़ा ने बताया कि उसने अंतरिक्ष यात्रियों के पानी या अन्य तरल पदार्थ पीने के लिए विशेष स्ट्रॉ विकसित किए हैं. गौड़ा ने बताया कि ये स्ट्रॉ एक घूंट पीने बाद ही तरल पेय की बूंदों को वापस खींच लेता है नहीं तो ‘यह फैलकर दूर तक फ्लोट करने लगेंगी.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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