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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘गंभीर हैं आरोप, जांच हो,’ खारिज कर दी महाराष्ट्र सरकार और अनिल देशमुख की याचिका

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की गृहमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप की याचिका की सुनवाई के बाद पांच अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. जिसके बाद ही महाराष्ट्र सरकार और देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

सुप्रीम कोर्ट । विकीमीडिया कॉमन्स
सुप्रीम कोर्ट । विकीमीडिया कॉमन्स

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे महाराष्ट्र सरकार के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और महाराष्ट्र सरकार की याचिकाओं को खारिज कर दिया है. यही नहीं याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोप की प्रकृति, इसमें शामिल व्यक्तियों की स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की जरूरत है.

कोर्ट ने कहा कि आरोप ‘गंभीर’ हैं.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘यह केवल प्रारंभिक जांच है, इसमें कुछ भी गलत नहीं है. वरिष्ठ मंत्री के खिलाफ वरिष्ठ अधिकारी ने आरोप लगाए हैं.’


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परमबीर आपके दायें हाथ थे’

इन याचिकाओं के जरिए बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और कदाचार के मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाये थे. सिंह के आरोपों के बाद पांच अप्रैल को कोर्ट ने सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था. जिसके बाद देशमुख ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

न्यायाधीश कौल ने इस दौरान कहा, ‘वह व्यक्ति आपका (अनिल देशमुख का) दुश्मन नहीं था, जिसने आपके ऊपर आरोप लगाए. बल्कि, यह काम उस व्यक्ति ने किया जो लगभग आपका दायां हाथ (परमबीर सिंह) था.’ न्यायाधीश एसके कौल ने कहा, ‘जांच की जानी चाहिए.’

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कॉल ने पूछा, ‘क्या ऐसे मामले में सीबीआई को इसकी जांच नहीं करनी चाहिए?’ उन्होंने यह भी कहा कि आरोपों की प्रवृत्ति और इसमें शामिल लोगों की ‘स्वतंत्र जांच’ होनी चाहिए.

अनिल देशमुख की ओर से अदालत में पेश हुए वकील कपिल सिब्बल जिरह के दौरान बोले, ‘बिना अनिल देशमुख का पक्ष सुने कोई प्राथमिक जांच नहीं की जा सकती है.’

अनिल देशमुख ने अदालत से कहा कि मुझ पर बिना किसी आधार के मौखिक आरोप लगाए गए और मेरी बात सुने बिना ही बिना उच्च न्यायालय की ओर से सीबीआई जांच के आदेश दिए गए. इस पर अदालत ने कहा कि आरोप इतने गंभीर हैं, इसकी सीबीआई जांच क्यों नहीं होनी चाहिए.

पांच अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट के सीबीआई के जांच के आदेश के बाद ही महाराष्ट्र सरकार और देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.


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