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राम मंदिर से रामराज्य तक- RSS का अगले 25 सालों का रोडमैप

संघ का मानना है कि राम मंदिर निर्माण के आंदोलन के दौरान भारतीय समाज का आत्म साक्षात्कार हुआ है और अब वह राम राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए हर प्रकार से तैयार है.

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अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्रतिकृति. फोटो साभार: सोशल मीडिया

भारत अगले वर्ष स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है देश और दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हैं लेकिन संघ अभी से ही भारत की स्वाधीनता के 100 वर्ष पूरे होने पर एक नए भारत के निर्माण की योजना पर काम करने में जुट गया है.

स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर संघ की भारत को लेकर जो परिकल्पना है और उसे साकार करने के रोडमैप में अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर केंद्र बिंदु होगा और मुख्य जोर इस बात पर होगा कि समाज की सभी संस्थाओं की मर्यादाओं को रामराज्य की परिकल्पना के अनुरूप संवैधानिक दायरे में स्थापित किया जाए.

संघ का मानना है कि राम मंदिर निर्माण के आंदोलन के दौरान भारतीय समाज का आत्म साक्षात्कार हुआ है और अब वह राम राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए हर प्रकार से तैयार है. एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पूरे रोडमैप में भारतीय संविधान की भावना को बरकरार रखने पर खास जोर है.

संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने हाल ही में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में इस रोडमैप को लेकर बड़े स्पष्ट संकेत दिए. कुमार के पास संघ के समविचारी राजनीतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी से समन्वय का भी महत्वपूर्ण दायित्व है जो केंद्र और कई राज्यों में सत्तारूढ़ है और वर्तमान में भारत का सबसे प्रमुख राजनीतिक दल है. यह दायित्व उन्हें इसी वर्ष सौंपा गया था. इससे पूर्व वह संघ के प्रचार विभाग के प्रमुख थे और इसी वर्ष उन्हें सह सरकार्यवाह का दायित्व भी सौंपा गया था.


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भारत के संविधान की भावना के अनुरूप समाज

पांच अगस्त, 2020 को राम मंदिर के निर्माण के आरंभ से पूर्व आम जनता से सहयोग निधि एकत्र करने के लिए आयोजित निधि समर्पण अभियान के दौरान सामने आए अनुभवों पर प्रकाशित पुस्तक ‘सबके राम‘ के विमोचन के अवसर पर दिल्ली में उन्होंने अगले लगभग 25 वर्ष के रोडमैप की अवधारणा स्पष्ट करते हुए कहा, ‘वास्तव में राम मंदिर के निर्माण के साथ, जैसा भारत हम बनाना चाहते हैं, उसके लिए समाज की तैयारी हो चुकी है. आने वाले 25 वर्षों में राम मंदिर से राम राज्य की यात्रा तय करनी है.’

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प्रश्न ये है कि इस राम राज्य के आधार बिंदु क्या होंगे? कुमार के अनुसार, ‘नारे लगाने का समय गया. मंदिर निर्माण का संकल्प पूरा हो रहा है. अगले 25 वर्षों में इस देश के हर व्यक्ति का हृदय ऐसा होना चाहिए कि उसमें श्रीराम आकर प्रतिष्ठित हों. इसके अनुरूप अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन की रचना हमें करनी है.’

समाज और देश की संस्थागत व्यवस्था को लेकर भी उन्होंने इस रोडमैप को और स्पष्ट करते हुए कहा, ‘भारत के संविधान की भावना के अनुरूप समाज की प्रत्येक संस्था की मार्यादाओं को स्थापित करते हुए युगानुकूल समाज जीवन की रचना करनी है जिसके आधार पर यह भारत राष्ट्र मंदिर बनेगा.’


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‘भारत फिर से बने विश्व गुरू’

संघ की सोच यह है कि श्री राम मंदिर और श्री राम का जीवन इस परिवर्तन के केंद्र बिंदु होंगे इसका संकेत उनकी इस टिप्पणी से मिलता है, ‘ जैसे हमको व्यक्तिगत जीवन में राम की प्रतिष्ठा करनी है, ऐसे राष्ट्र के मंदिर में भी राम की प्रतिष्ठा करनी है.

जैसे राम के समय में हर संस्था की अपनी मर्यादा थी, हर व्यक्ति अपनी मर्यादा में चलता था ऐसे ही भारत की सभी संस्थाओं में आवश्यक युगानुकूल परिवर्तन लाते हुए, समाज की रचना करते हुए हमें अपनी संस्थाओं को खड़ा करना है.’

संघ का मानना है कि अगले 25 सालों में एक ऐसे सशक्त भारत का निर्माण करना होगा जिससे भारत पुन: विश्व गुरू के पद पर आसीन हो सके. लेकिन इसमें आध्यात्मिकता भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु होगी.

बकौल सह सरकार्यवाह, ‘हमारा सबका सपना है कि हम आने वाले 25 वर्षों में भारत माता को विश्व के सिंहासन पर विराजमान होते देखना चाहते हैं. उसके लिए एक परम वैभव व शक्ति से से संपन्न लेकिन आध्यात्मिकता से ओत—प्रोत भारत का चित्र है जिसके लिए हम सबको काम करना होगा.’

संघ की सोच है कि राम मंदिर निर्माण के आंदोलन की जो परिणति हुई उससे स्पष्ट है कि समाज अब राम राज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए तैयार भी है और सक्षम भी तथा इसके लिए अब समाज में पूरी तरह से अनुकूल वातावरण है.

इस रोडमैप पर चलते हुए संघ की काम करने की प्रक्रिया के तीन आधार होंगे जो उसे लगता है कि उसकी सफलता की गारंटी है, अरुण कुमार के अनुसार यही तीन आधार राम मंदिर आंदोलन को सफलता दिलाने में सहायक सिद्ध हुए और इन्हीं को लेकर संघ अगले 25 वर्षों की योजना पर काम करेगा.

उनके अनुसार ये तीन आधार है, ‘उद्देश्य की पवित्रता, नेतृत्व की प्रामाणिकता और इस कार्य में जुटे लोगों का दृढ़ संकल्प और निस्वार्थ भाव.’ कुल मिलाकर संघ अगले 25 सालों में राम मंदिर से राम राज्य की यात्रा को आरंभ करने की तैयारी में है और आने वाले दिनों में यह संभवत: राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में होगा.

(लेखक आरएसएस से जुड़े थिंक-टैंक विचार विनिमय केंद्र में शोध निदेशक हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)


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