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ओरोविल को लेकर जारी संघर्ष- RSS-BJP का हड़पने का प्रयास या सुधारों का विरोध?

विश्व सहयोग की प्रयोगशाला के रूप में स्थापित ओरोविल में आजकल वहां के निवासियों और अधिकारियों में विकास को लेकर एक संघर्ष की स्थिति बनी हुई है. अधिकारियों के साथ कुछ निवासी भी हैं.

रमनदीप कौर का चित्रण /ThePrint

ओरोविल: आधी सदी से ज्यादा समय के पहले तमिलनाडु में एक खूबसूरत शहर ओरोविल की स्थापना मानव एकता के जीते-जागते प्रयोग और वैश्विक सहयोग की प्रयोगशाला के रूप में की गई थी. लेकिन, आज इस छोटे से शहर में काफी असंतोष भर गया है.

‘सुबह के शहर’ के नाम से मशहूर इस शहर में अभी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए, पिछले तीन महीनों से पेड़ों और इमारतों को बुलडोजर से गिराया जा रहा है. इसकी वजह से वहां के कुछ लोगों और ओरोविल फाउंडेशन के बीच काफी कड़वाहट पैदा हो गई है.

दिप्रिंट से बातचीत के दौरान रेजिडेंट असेंबली के कार्यकारी समिति के सदस्य हेमंत लांबा ने बताया, ‘हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन केंद्र सरकार के अधिकारियों की ओर से जिस तरह से काम किया जा रहा है वह ओरोविल की जीवन शैली से मेल नहीं खाती. हमारे समुदाय के लोग विचारों और बातचीत की स्वतंत्रता में विश्वास रखते हैं और यहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. इस तरह के बल प्रयोग का तरीका ओरोविल की आत्मा के खिलाफ है.’

रेजिडेंट असेंबली ओरोविल के तीन टीयर वाले गवर्नेंस का एक हिस्सा है, जिसमें वर्किंग कमेटी शामिल है. ओरोविल फाउंडेशन इस तीन टीयर वाले ढांचे का प्रमुख हिस्सा है.

यहां के कुछ निवासियों ने ओरोविल फाउंडेशन के नए गवर्निंग बोर्ड पर ओरोविल के निवासियों के अधिकारों का हनन करने और उन्हें धमकी देने का आरोप लगाया है. नए गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को बनाया गया हैं. वहीं, गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी जयंती एस रवि को केंद्र सरकार ने बोर्ड का सचिव नियुक्त किया है.

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वहीं, यहां के निवासियों का एक अन्य समूह ने फाउंडेशन के माध्यम से दबाव बनाने की कोशिश की है. उनका मानना है कि 1968 में इस शहर की स्थापना के दौरान जो ओरोविल मास्टर प्लान बनाया गया था उसे लागू करने का यह सही समय है.

ओरोविल फाउंडेशन की सेक्रेटरी जयंती ने दिप्रिंट को बताया, ‘ओरोविल फाउंडेशन एक्ट में यह बात साफ तौर पर कही गई है कि मास्टर प्लान को लागू करने की पूरी जिम्मेदारी गवर्निंग बोर्ड की है. पहले ही इसे लागू करने में काफी देरी और रुकावटें आई हैं. अभी यहां की 85 प्रतिशत जमीन पर सिर्फ़ आठ प्रतिशत लोगों का कब्ज़ा है. हमें विकास को आगे बढ़ाना है, ताकि यहां पर 47,000 अतिरिक्त लोगों को बसाया जा सके, जैसा कि मदर का सपना था.’

‘मदर’ का मतलब मीरा अल्फस्सा से है. वह एक फ्रेंच लेखिका, तांत्रिक और भारतीय दार्शनिक श्री अरबिंदो की आध्यात्मिक सहयोगी और उनके ‘इंटीग्रल योग’ की प्रचारक थीं.

अल्फस्सा ने ओरोविल नगर की स्थापना की थी. इसका उद्देश्य राष्ट्रीयता, जाति, नस्ल, और धर्म से परे ऐसा वैश्विक समुदाय तैयार करना था जो प्रगति के लिए सहयोग करे.

अब यह आरोप लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार विदेशी लोगों को वीजा देने में परेशान कर रही है. साथ ही, एक लालच के तहत मानव जाति के सामूहिक आध्यात्मिक विकास के रास्ते में रोड़े अटका रही है.

माना जा रहा है कि ओरोविल पर नियंत्रण करने का प्रयास, इस पूरे तनाव की वजह है. यह ओरोविल के अलग-अलग पीढ़ियों के निवासियों के बीच होने वाला सत्ता संघर्ष है.


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ओरोविल की स्थापना मदर ने की थी. यह एक हरा-भरा, घनी आबादी वाला आध्यात्मिक शहर है लेकिन लगता है कि अब यहां कि स्थिति कुछ अलग हो गई है.

यहां बेतरतीब ढंग से लगभग 3,300 लोग रहते हैं जहां कच्ची सड़कें और जंगलों में पगडंडियां हैं, जिन पर बाइक और साइकिलें चलती हैं. यहां पर टूरिज्म के कई केंद्र, उत्पादन इकाइयां, सांस्कृतिक और प्रशिक्षण के वर्कशॉप, इनोवेशन यूनिट के अलावा बड़ी-बड़ी खेती की जमीनें हैं जहां ऑर्गेनिक खेती होती है. साथ ही, कई सामुदायिक केंद्र, कैफ़े, रेस्टोरेंट, कम्युनिटी किचेन और प्रदर्शनी वाले हॉल भी हैं.

ओरोविल में दुनिया भर के लोगों के लिए दरवाजे खुले हैं, लेकिन यहां का वैधानिक निवासी होने की प्रक्रिया में थोड़ा लंबा समय लगता है. ओरोविल में स्वयंसेवकों और मेहमानों के रुकने की अनुमति है. हालांकि, कानूनी तौर पर यहां रहने के लिए एक आवेदन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. आवेदनकर्ता को ‘जांच प्रक्रिया’ और ‘नव-आगंतुक फेज’ से गुजरना होता है.

यहां रहने का बुनियादी पैमाना है श्री अरविंदो और मदर की शिक्षाओं को माना जाए और ओरोविल चार्टर के नियमों के प्रति उनका समर्पण हो. शहर में आवेदन पत्रों के सत्यापन की अपनी प्रक्रिया है. जो लोग आवेदन करते हैं उन्हें ओरोविल में अपने सेवा देनी होती है, पैसे का दान करना होता है और हिंसा और राजनीति जैसे विषयों से दूरी बनाकर रखनी होती है.

हालांकि, ओरोविल में तमाम समूहों के बीच कई मुद्दों और निर्णयों को लेकर दशकों से मतभेद रहे हैं, लेकिन जून 2021 में ओरोविल फाउंडेशन के सचिव के रूप में जयंती की नियुक्ति के बाद इसमें काफी बढ़ोत्तरी हुई है.

लांबा आरोप लगाती हैं कि ओरोविल की परंपरा निर्णयों में समुदायों की भागीदारी ही रही है जिसे खत्म किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘जैसे ही उनकी नियुक्ति की गई वैसे ही उन्होंने ओरोविल के निवासियों के बीच के मतभेदों का फायदा उठाना शुरू कर दिया. उन्होंने कट्टरपंथियों और उदारवादियों, भारतीय बनाम विदेशियों, स्थानिक बनाम बाहरी के बीच की खाई को बढ़ाने का काम शुरू कर दिया.’

ओरोविल में जारी मतभेद के पीछे सबसे बड़ा कारण ‘क्राउन’ नामक सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना है, जिसके तहत ओरोविल के चार क्षेत्रों को सर्कुलर रोड से जोड़ा जाना प्रस्तावित है. ओरोविल के आर्किटेक्ट रोजर एंजर ने 1968 में औद्योगिक, रहिवासी, सांस्कृतिक, और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों के लिए यह डिज़ाइन तैयार की थी.

1968 में रोजर एंजर द्वारा परिकल्पित और द मदर द्वारा अनुमोदित ऑरोविले की आकाशगंगा अवधारणा की प्रतिकृतियां | फोटो: अनुषा सूद / दिप्रिंट

ओरोविल यूथ सेंटर और ब्लिस फॉरेस्ट के सदस्यों को 2 दिसंबर, 2021 को फाउंडेशन के निर्णय के बारे में बताया गया कि ‘क्राउन’ को रास्ता देने के लिए जंगल वाले इलाके को साफ किया जाएगा. यह 16.7 मीटर चौड़ा प्रस्तावित गलियारा है.

यूथ सेंटर ओरोविल का हिस्सा है. यहां पर युवाओं और वॉलेंटियर को वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है. फॉरेस्ट ग्रुप, ब्लिस फॉरेस्ट में काम करते हैं. ओरोविल का यह समूह मिट्टी को उपजाऊ बनाने का काम करता है.

यहां के निवासियों के विरोध के बावजूद, 4 दिसंबर की सुबह बुलडोजर पहुंच गया. जहां उन्हें प्रदर्शनकारियों के विरोध का सामना करना पड़ा.

यूथ सेंटर के एक युवा ओरोवेलियन ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘5 दिसंबर को तड़के बुलडोजर वापस आ गया और पेड़ को गिराने लगा. हम विवाद नहीं, एक शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं. अरोविल में हमेशा से विवादों को बातचीत से सुलझाया गया है, लेकिन बुलडोजर चलवाना सही रास्ता नहीं है.’

इस प्रोजेक्ट को लागू करने के तरीके के विरोध में यहां के निवासियों की कई बैठकें हुई हैं. इसके बावजूद, 9 दिसंबर को डार्कली वन क्षेत्र में जमीन के एक हिस्सा को खाली करवाने के लिए बुलडोजर भेजा गया.

ओरोविल की निवासी कुंधवी देवी ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस बार हमें डराने के लिए किसी भाड़े के अनजान आदमी को भेजा गया. महिलाओं के साथ हाथापाई और उनके साथ मार-पीट की गई. ओरोविल में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. कुंधवी देवी फाउंडेशन का विरोध कर रहे निवासियों की ओर से मीडिया से बातचीत करती हैं.

आरोप है कि फाउंडेशन ने ओरोविल मीडिया कार्यालय में काम करने वाले सदस्यों को बयान देने से मना किया है और नए प्रवक्ताओं की नियुक्ति की है. इसके बाद, देवी को यहां के कुछ निवासियों ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर मीडिया से बातचीत करने के लिए चुना है.

हालांकि, फाउंडेशन मार-पीट होने के आरोपों का खंडन करता है.

ओरोविले फाउंडेशन के प्रवक्ता जोएल वैन लियरडे ने दिप्रिंट को बताया, ‘ऐसा है तो कोई मामला क्यों दर्ज नहीं किया गया? हमें इस बात की खुशी होनी चाहिए कि सरकार, मदर के विजन को पूरा करने में ओरोविल की मदद कर रही है. क्राउन रोड, मुख्य प्लान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जो विरोध कर रहे हैं उनका इसमें स्वार्थ छिपा है, क्योकि वे अपने कब्जे वाली जगहों को खाली नहीं करना चाहते.’

यहां के निवासियों ने दिसंबर में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में इस फैसले के खिलाफ अपील की है. एनजीटी ने अंतरिम स्थगन प्रस्ताव जारी किया है. इसकी वजह से, फिलहाल, ओरोविल के वन क्षेत्र को खाली करने की गतिविधियां रुक गई हैं.


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‘क्राउन’ क्या है

‘क्राउन’ और मातृ मंदिर ओरोविल मास्टर प्लान का महत्वपूर्ण हिस्सा है. क्राउन के तहत ऊंची बिल्डिंग के चार जोन को विकसित करना है, जिसे ‘लाइन ऑफ फोर्स’ नाम दिया गया है. मास्टर प्लान को रोजर एंजर ने 1968 में डिजाइन किया था. यह ‘गैलेक्सी कॉसेप्ट’ पर आधारित है. इसकी मंजूरी ‘मदर’ ने भी दी थी.

ओरोविल के उद्घाटन के बाद से सिर्फ़ मातृ मंदिर का ही निर्माण हो पाया है. मातृ मंदिर को शहर के बीचो-बीच बनाया गया है, जो सोने की गोल इमारत है. इसे ओरोविल की आत्मा माना जाता है. इसे ध्यान के लिए बनाया गया है.

पिछले दशक में यहां पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया और बंजर और लाल मिट्टी वाली सूखाग्रस्त जमीन को मानव-निर्मित जंगल में बदल दिया. ओरोविल संसाधनों का किफायती इस्तेमाल, प्रगतिशील खेती, इनोवेशन, कला, आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इको-फ्रेंडली विकल्पों को देने में भी अहम योगदान देता है. साथ ही, यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जीवन का भी केंद्र है.

‘क्राउन’ के लिए रास्ता बनाने के लिए ओरोविल के डार्काली जंगल में ओरोविले फाउंडेशन द्वारा चिन्हित जगह | फोटो: अनुषा सूद / दिप्रिंट

ओरोविल फाउंडेशन की एक प्रवक्ता सिंधुजा जगदीश ने कहा, ‘हमें यहां खास उद्देश्य के लिए बुलाया गया है. हमें अंतरात्मा के विकास की दिशा में मदद पहुंचाने वाले, आने वाले समय के अनुकूल और प्रगतिशील शहर के मदर के दृष्टिकोण को पूरा करना है. मदर ने इस शहर की कल्पना 50,000 लोगों के लिए की थी, लेकिन फिलहाल यहां सिर्फ़ 3,300 लोग ही रहते हैं. जिन लोगों को बसाने की कल्पना की गई थी उन्हें दुनिया को, सीमित संसाधनों में घनी आबादी के लिए संसाधनों का किफायत के साथ इस्तेमाल करने का गुर सीखाना था.’

जगदीश ने कहा कि निवासियों के ‘छोटे हिस्से’ ने पारिस्थितिकी और पर्यावरण की चिंता का बहाना बनाकर विकास के कामों का विरोध किया है.

लिव क्लाइस 12 सालों से ओरोविल में रह रही हैं और वह प्रस्तावित निर्माण के पक्ष में हैं, उन्होंने कहा, ‘ओरोविल में आने वालों में ज़्यादातर पश्चिम से हैं. वे समृद्ध परिवारों से नहीं होते हैं, लेकिन मुद्रा के मूल्य की वजह से वे यहां पर बेहतर जिंदगी जी पाते हैं, उन्हें बागवानी और घर के कुछ कामों जैसे मामूली काम करने होते हैं. वजह साफ है, वे अपना लाइफ-स्टाइल में छेड़छाड़ नहीं चाहते.’

ओरोविल फाउंडेशन के मुताबिक अब तक सिर्फ़ 134 पेड़ ही काटे गए हैं और क्राउन के लिए करीब 1,000 और पेड़ काटे जाने हैं. वहीं यहां के निवासियों की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक, अब तक 898 पेड़ काटे जा चुके हैं और इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 4,586 पेड़ काटे जाएंगे.

कुंधवी ने कहा, ‘हम सभी मौजूदा प्लान में सिर्फ़ 30 मीटर के मामूली बदलाव की बात कर रहे है, ताकि ज़्यादा पेड़ों और वाटरशेड को बचाया जा सके. यहां किसी का भी जमीन पर दखल नहीं है. ओरोविल में रहने वाले सभी लोगों को पता है कि हम जमीन के मालिक नहीं बन सकते हैं, हम सभी सिर्फ़ इसकी देखरेख करने वाले हैं….. ओरोवेलियन के साथ फरवरी में जो मार-पीट हुई थी उसके पीछे फाउंडेशन का निर्देश था, ताकि यहां के निवासियों को डराया जा सके.’


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केंद्र पर कब्जे का आरोप

प्रस्तावित निर्माण प्रोजेक्ट का विरोध पारिस्थितिकीय चिंताओं की वजह से हो रहा है. लेकिन, यहां के निवासियों के मुताबिक असल मुद्दा कुछ पेड़ों से बढ़कर है.

ओरोविल में 1977 से रह रहे, नवरोज केरसाप मूडी ने कहा, ‘यह ओरोविल पर जबर्दस्ती करने का नाजीवादी तरीका है. यह ओरोविल को हथियाने का आरएसएस-बीजेपी का प्रयास है, जैसा कि उन्होंने सभी धार्मिक और आध्यात्मिक संगठनों के करते रहे हैं. इस साल श्री अरविंदो की 150वीं जयंती है और वे उनकी लेगसी पर कब्जा करना चाहते हैं.’

मूडी ने कहा कि मास्टर प्लान को 2001 में ही राजपत्रित (गजेटेड) किया गया था और यह 20 साल पुराना है और इस पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है.

अरविंदों के 150वीं जयंती पर क्राउन रोड का मुद्दा जिस तरह से सामने आया है, राजनीतिक विश्लेषक नरेंद्र पाणी इसे इसे सोची-समझी कार्रवाई की तरह देखते हैं.

पाणी ने कहा, ‘यह भी उसी तरह से है जैसे जालियावाला बाग, साबरमती आश्रम और सेंट्रल विस्टा मामले में किया गया. बीजेपी इस बात को समझती है आर्किटेक्ट, सांस्कृतिक दावे का महत्वपूर्ण हिस्सा है और वह इसे पूरे देश में लागू कर रही है.’

जयंती रवि इसे ‘सुंदर संयोग’ मानती हैं.

रवि ने कहा, ‘इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में काफी देरी हो चुकी है. 1968 में मदर ने कहा था कि वह चाहती हैं कि ओरोविले पांच साल में बन जाए. यह एक सुंदर संयोग है कि इस वर्ष श्री अरबिंदो की 150वीं वर्षगांठ भी है. इसकी वजह से इसे गति मिल सकती है.

उन्होंने कहा कि ओरोविल को इसकी इकाइयों पर टैक्स में छूट, अनुदान या मुफ्त बिजली, वीजा के खास नियम, पूरी स्वतंत्रता, जमीन के आवंटन जैसी विशेष सुविधाएं मिलती हैं. इसके अलावा, मदर के विजन से जुड़े किसी लक्ष्य को पूरा करने पर हर साल 15 से 20 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड भी मिलता है.

ओरोविल का प्रशासन तीन स्तरों पर काम करता है. इनमें गवर्निंग बोर्ड, रेजिडेंट असेंबली और इंटरनेशनल एडवाइजरी बोर्ड शामिल हैं. रेजिडेंट असेंबली, विदेश के निवासियों को वीजा और उसके समय को बढ़ाने का सुझाव देती है. सचिव के पास इस फैसले को मंजूरी देने का अधिकार होता है.

कुंधवी ने कहा, ‘जो विदेशी, फाउंडेशन के फैसले का विरोध कर रहे हैं उन्हें डराने के लिए इस शक्ति का इस्तेमाल किया जा रहा है. फाउंडेशन के फैसले का विरोध करने की वजह से ओरोविल में जन्म लेने वाले लोगों का वीजा तीन महीने के बाद बढ़ाने से मना किया जा रहा है. यहां के लोग कार्रवाई के डर से अपनी बात नहीं कह पा रहे हैं.’

जयंती वीजा की अनुमति नहीं देने की बात से इनकार करती हैं. वह कहती हैं कि सभी विदेशी नागरिकों के लिए देश के कानूनों का पालन करना जरूरी है.

उन्होंने कहा, ‘किसी के वीजा पर रोक नहीं लगाई गई है. हां, लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि इस प्रोजेक्ट के लिए कानूनी, इथिकली, नैतिक और आध्यात्मिक तौर पर उनसे जो उम्मीद की जाती है उसनपर वे कितना खरे उतरते हैं. हमारे पास इसका सबूत है कि लोग गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, प्रस्तावित शहर के बनने में बाधा पहुंचाई है और इस पर फैसला लेना पूरी तरह से अथॉरिटी के हाथ में है.’

यहां रहने वालों का अनुमान है कि 3,312 रेजिडेंट में से 1,893 ओरोविलियन वीजा को लेकर चिंतित हैं.

ओरोविल में पीढ़ियों की लड़ाई

फाउंडेशन के समर्थकों और उसका विरोध करने वालों के बीच हो रहे संघर्ष के साथ ही ओरोविल में पहले बसने वाले ‘संस्थापकों’ और ‘नये बसने वाले’ लोगों के बीच भी दरारें दिखती हैं.

ओरोविला में दूसरी पीढ़ी के 58 साल के एक रेजिडेंट ने दिप्रिंट से कहा, ‘तब मैं चार साल का था जब ओरोविल गैलेक्सी मॉडल को फाउंडेशन सेरेमनी में साल 1968 में पहली बार दिखाया गया. मेरे माता-पिता और मैंने अरोविल की जमीन को हरा-भरा करने और मातृ मंदिर बनाने के लिए खून-पसीना बहाया है. अब ये नए आने वाले लोग मुझे बताते हैं कि मैं ओरोविल के विजन के प्रति समर्पित नहीं हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मदर व्यावहारिक थीं और नई चीजों को बढ़ावा देती थीं. उनका नाम लेकर जिद करना और धार्मिक रूढ़ि को बढ़ावा देना सही नहीं है.’

एंजर ने ओरोविले की आधिकारिक वेबसाइट पर जो इंटरव्यू दिया था, उससे रहिवासियों के विचार को बल मिलता है.

एक इंटरव्यू में एंजर ने कहा, ‘इस शहर को अब भी बेहतर बनाने की ज़रूरत है. अब तक सब कुछ अनुभवों और ओरोवेलियन के हिसाब से किया गया है. इन ताकतों के अलावा, सब कुछ उदार या लचीला है, कुछ भी फिक्स नहीं है.’

आनंदी ब्रेटन ओरोविल में 27 सालों से रह रही हैं. उन्हें नहीं लगता है कि प्रस्तावित क्राउन रोड से पर्यावरण को कोई नुकसान होने वाला है.

उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया के सबसे पारिस्थितिक शहर हैं. हम योजना बनाकर विकसित किए गए शहर के समर्थन में हैं, जबकि वे इसे खुद से विकसित होते देखना चाहते हैं. यह बनाया गया शहर है जिसकी योजना पहले ही मदर बना चुकी थीं.’

ओरोविल के रेजिडेंट लुजी फाबोजी ने कहा, ‘मैं दैवीय ज्यामिति की शक्ति में विश्वास करता हूं. मदर की कल्पना के मुताबिक गैलेक्सी कॉन्सेप्ट बन जाएगा, तो हमें दिव्य मार्गदर्शन प्राप्त होगा.’

हालांकि, नवरोज मूडी इस दावे को खारिज करते हुए कहते हैं, श्री अरबिंदो और मदर ने हमें लगातार आंतरिक विकास के जरिए अवचेतन के बदलाव को समझने को प्रेरित किया. ऐसा नहीं है कि प्रोजेक्ट को लागू कर देने भर से ही स्वर्ग से ज्ञान मिलने लगेगा. कुछ रेजिडेंट, गलत ताकतों की वजह से भटके तबके का विरोध कर रहे हैं.’

ओरोवेलियन इस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं. वहीं, आसपास के गांवों को इस प्रोजेक्ट से नुकसान हो रहा है. इन गांवों के लिए ओरोविल सदियों पुराने ‘जैव-क्षेत्र’ की तरह हैं.

मदर के विजन को पूरा करने के लिए ओरोविल को गांव की जमीन, मंदिर की जमीन और निजी फॉर्म की जमीन का अधिग्रहण करना होगा.

ओरोविल के पड़ोस के गांव कुइलापलयम के पार्षद अरुमुगम मणि ने कहा, ‘आसपास के गांव गरीबी से त्रस्त हैं और ग्रामीणों को ओरोविल में माली, हाउस कीपिंग, और सुरक्षा गार्ड का काम करते हैं. इससे हमें थोड़ी मदद मिलती है. हम केवल यह आशा करते हैं कि ओरोविल का कोई भी विकास आसपास के ग्रामीणों के लिए भी फायदेमंद हो.’
जयंती रवि मानती हैं कि सरकार को ओरोविल के गवर्नेंस में अमूल-चूल बदलाव किए जाने की ज़रूरत है.

उन्होंने कहा, ‘ओरोविल के चार्टर को सामंजस्यपूर्ण तरीके से लागू करने के लिए रिफॉर्म करने की ज़रूरत है. रिफॉर्म इसलिए होना चाहिए, ताकि शासन कुछ लोगों के हित में न हो.’ उन्होंने कहा, ‘बहुत ज्यादा पारदर्शिता, जवाबदेही की ज़रूरत है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं.’

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