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मराठी टेक्स्टबुक में सुखदेव की जगह कुर्बान हुसैन का नाम होने पर आरएसएस समर्थित संगठन ने जताई आपत्ति

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (एसएसयूएन) ने 8वीं की किताब के एक हिस्से का विरोध किया है. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि विवादित हिस्सा 2018 में जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार थी तब से पढ़ाया जा रहा.

भारत में स्कूली छात्र, प्रतीकात्मक तस्वीर | एएनआई

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली मराठी भाषा की किताब के एक हिस्से को लेकर विवाद शुरू हो गया है. किताब में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की तिकड़ी में सुखदेव के नाम की जगह कुर्बान हुसैन का नाम होने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (एसएसयूएन) ने आपत्ति जताई है.

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (एसएसयूएन) ने अपने बयान में कहा, ‘महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्माण एवं पाठ्यक्रम अनुसंधान विभाग’ बालभारती द्वारा प्रकाशित 8वीं क्लास की मराठी विषय की किताब के दूसरे चैप्टर के पेज नंबर दो पर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की कहानी में सुखदेव की जगह क़ुर्बान हुसैन का उल्लेख किया गया है.’

हालांकि, महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि किताब के जिस हिस्से को लेकर विवाद है, वो 2018 में जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार थी तब से पढ़ाया जा रहा है.

इस विषय पर दिप्रिंट से फ़ोन पर बातचीत में महाराष्ट्र की स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा, ‘जिस विषय पर विवाद हो रहा है वो भाजपा की सरकार के समय से ही पढ़ाया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि जिसे लेकर विवाद हो रहा है वो साहित्य है और साहित्य में बदलाव के लिए सरकार को परिवार से अनुमित लेनी पड़ेगी.

न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर इसे तुरंत वापस लिए जाने की मांग की है. न्यास ने ऐसा करने वाले अधिकारियों पर भी उचित कार्रवाई की मांग की है. हालांकि, इस मसले पर महाराष्ट्र सरकार का कुछ और ही कहना है.

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एसएसयूएन का कहना है कि क़ुर्बान हुसैन का स्वतंत्रता संग्राम में जो योगदान है, उसे उचित स्थान दिया जाना चाहिए. लेकिन सुखदेव जैसे महान क्रांतिकारी के नाम को हटाकर ऐसा करना बिल्कुल ग़लत है. न्यास ने इसे सुखदेव के बलिदान का अपमान बताया है.


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तीन साल से पढ़ाए जा रहे विषय पर तकरार से जुड़े सवाल पर एसएसयूएन का कहना है कि ये विवाद हाल ही में सोशल मीडिया के जरिए उनकी जानकारी में आया. एसएसयूएन कार्यकर्ता एडवर्ड मेंढे ने कहा, ‘चाहे जिस भी सरकार के कार्यकाल में ऐसा हुआ हो. ऐसे मामले जब भी प्रकाश में आए, इन्हें ठीक किया जाना चाहिए.’

‘भाजपा की सरकार के समय से ही पढ़ाया जा रहा है’

शिक्षा मंत्री ने वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि सब लोग कई तरह के बदलाव को लेकर उत्सुक थे. लेकिन महामारी की वजह से नई शिक्षा नीति अटकी पड़ी है. ऐसे में किसी भी विषय में तुरंत बदलाव की कोई संभावना नहीं है. वहीं, बालभारती के निदेशक विवेक गोसावी ने भी कहा कि 3 साल से जो पढ़ाया जा रहा है उसे लेकर अचानक से हुआ विवाद समझ से परे है.

गोसावी ने कहा, ‘नाम बदलने को लेकर जो विवाद हो रहा है वो यदुनाथ थत्ते द्वारा ‘प्रतिज्ञा’ नाम की किताब में लिखा गया है. थत्ते एक महान पत्रकार थे. उनकी किताब में एक अध्याय है ‘माझा देशावर माहे प्रेम आहे- मुझे मेरे देश से प्यार है.’ इस अध्याय में उन्होंने छात्र और शिक्षक के बीच बातचीत के जरिए देशभक्ति समझाने के प्रयास किया है. इसका इतिहास से कोई लेना-देना नहीं.’

गोसावी ने कहा कि भाषा की किताब में साहित्यकारों और कवियों की कविताएं और कहानियां होती हैं. इनमें बदलाव करने का हक ‘बालभारती’ को नहीं है. उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हमें थत्ते के परिवार से अनुमति लेनी होगी.’ उन्होंने ये भी साफ़ किया कि आठवीं की इतिहास की किताब है में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का वैसा ही ज़िक्र है जैस होता आया है. उन्होंने कहा, ‘कुर्बान हुसैन महाराष्ट्र के बड़े स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्हें भी अंग्रेज़ों ने बेहद कम उम्र में फांसी दी थी.’

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