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रेलवे ने कहा- 4 लोगों की जान लेने वाले RPF जवान ने मेडिकल संबंधी बातें छिपाईं, फिर बयान लिया वापस

अब वापस लिए गए बयान में यह कहा गया है कि चेतन सिंह की आखिरी मेडिकल जांच में 'ऐसी कोई बीमारी' नहीं पाई गई थी. इसकी जानकारी घटना की जांच कर रही कमेटी को मिली है.

आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह को मंगलवार को मुंबई की एक अदालत में ले जाया गया | फोटो: ANI

नई दिल्ली: यह कहने के कुछ ही घंटों बाद कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के कांस्टेबल चेतन सिंह- जिन्होंने 31 जुलाई को मुंबई जाने वाली ट्रेन में अपने सीनियर अधिकारी और तीन यात्रियों की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी थी- का परिवार उसका चिकित्सा ब्योरा अधिकारियों से छुपाया था, भारतीय रेलवे बुधवार को अपना बयान वापस ले लिया.

शाम 5.17 बजे जारी अब वापस लिए गए बयान में, रेलवे ने कहा कि मीडिया ने रिपोर्ट किया था कि सिंह “सीरियस एंग्जाइटी” और “एबनॉर्मल हेलोसिनेशन” से पीड़ित थे.

हालांकि, यह कहा गया कि सिंह की अंतिम आवधिक चिकित्सा जांच में “ऐसी कोई चिकित्सीय बीमारी/स्थिति” का पता नहीं चला था. शायद उन्होंने अपने व्यक्तिगत स्तर पर “अपनी बीमारी के लिए” इलाज कराया होगा, लेकिन उन्होंने आधिकारिक रिकॉर्ड में बताया नहीं. अब वापस लिए गए बयान में कहा गया है कि चेतन सिंह और उनके परिवार ने इसे गुप्त रखा था.

रेल मंत्रालय के दो सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर गुरुवार को दिप्रिंट को बताया कि एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है जो घटना के सभी पहलुओं की जांच कर रही है.

पहले सूत्र ने कहा, “इसलिए, हमें लगा कि बयान जारी करना थोड़ा जल्दी होगा. समिति चिकित्सा परीक्षणों के पहलू पर भी गौर करेगी, जो वर्तमान में पांच साल के अंतराल के बाद किए जा रहे हैं, और क्या यह पर्याप्त है.”

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सूत्र ने कहा कि समिति इस पहलू पर भी गौर करेगी कि “तैनाती के दौरान सुरक्षा को देखते हुए किसे हथियार रखना चाहिए और किसे नहीं रखना चाहिए”.

दूसरे सूत्र ने कहा कि समिति में छह सदस्य हैं और इसका उद्देश्य घटना की जांच करना और यह पता लगाना है कि आगे किन उपायों की सिफारिश की जा सकती है.

31 जुलाई को, सिंह ने कथित तौर पर महाराष्ट्र के वैतरणा रेलवे स्टेशन पर जयपुर-मुंबई ट्रेन में अपने वरिष्ठ और प्रभारी, सहायक उप-निरीक्षक टीकाराम मीना को अपनी सर्विस राइफल एके-47 से गोली मार दी. उसने तीन यात्रियों को भी गोली मार दी, जिनकी पहचान बिहार के मधुबनी के असगर अब्बास शेख, महाराष्ट्र के पालघर के अब्दुल कादरभाई मोहम्मद हुसैन भानपुरवाला और हैदराबाद के नामपल्ली के सैयद सैफुद्दीन के रूप में हुई.

इस घटना पर विपक्षी दल के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक ट्वीट में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए इसे विशेष रूप से मुसलमानों पर लक्षित “आतंकवादी हमला” कहा.

1957 में रेलवे सुरक्षा बल अधिनियम के तहत स्थापित, आरपीएफ को रेलवे संपत्ति, यात्रियों और यात्री क्षेत्रों की सुरक्षा का काम सौंपा गया था. रेलवे की वेबसाइट के अनुसार, इसके पास रेलवे संपत्ति (गैरकानूनी कब्ज़ा) अधिनियम 1966 और रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत अपराधों की खोज, गिरफ्तारी, पूछताछ और मुकदमा चलाने की शक्ति है.

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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