होम देश हिजाब पर फैसले को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता बोले- संविधान में दिए मौलिक...

हिजाब पर फैसले को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता बोले- संविधान में दिए मौलिक अधिकारों का क्या हुआ

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं और कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.

प्रतीकात्मक तस्वीर | विकीमीडिया कॉमन्स

नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने हिजाब से जुड़े कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले की पृष्ठभूमि में मंगलवार को कहा कि यह समझ से परे है कि हिजाब से स्कूल एवं कॉलेज के यूनीफॉर्म का उल्लंघन कैसे होता है.

उन्होंने यह सवाल भी किया कि संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का क्या हुआ?

शमा मोहम्मद ने ट्वीट कर कहा कि यूनीफॉर्म से मिलते-जुलते रंग का हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए.

उन्होंने सवाल किया, ‘यह समझ नहीं पा रही कि हिजाब से कैसे स्कूल/कॉलेज के यूनीफॉर्म का उल्लंघन होता है. हमारे संविधान में लिखित मौलिक अधिकारों का क्या हुआ?’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश में हर महिला को अधिकार है कि वह जिस पहनावे में सहज महसूस करती है उसे पहन सकती है. महिलाओं को यह बताने का अधिकार किसी को नहीं है कि वे क्या पहन सकती हैं और क्या नहीं पहन सकती हैं. स्कूलों में यूनीफॉर्म से मिलते-जुलते रंग का हिजाब पहनने की अनुमति मिलनी चाहिए. महिलाओं को विकल्प क्यों नहीं मिलना चाहिए.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं और कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.

तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती.


यह भी पढ़ें- कर्नाटक सरकार बोली- हिजाब पर फैसला ‘ऐतिहासिक’, मुस्लिम संगठनों को ‘निराशाजनक’ लगा हाई कोर्ट का फैसला


Exit mobile version