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अमेरिकी आयोग को विदेश मंत्रालय की खरी-खरी, कहा-आलोचना का कोई औचित्य नहीं, उनका कोई अधिकार भी नहीं

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'ये विधेयक धर्म के नाम पर भेदभाव झेल रहे धार्मिक अल्पसंख्यक जो कुछ अन्य पड़ोसी देशों से पहले ही भारत आ चुके हैं, को नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज़ करना है.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए, फाइल फोटो /एएनआई

नई दिल्ली: लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संघीय अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) खतरनाक कदम बताए जाने का विदेश मंत्रालय ने पुरजोर विरोध किया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है, ‘संघीय अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) का नागरिक (संशोधन) विधेयक (सीएबी) पर वक्तव्य न सही है न उसका कोई औचित्य है.’

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘ये विधेयक धर्म के नाम पर भेदभाव झेल रहे धार्मिक अल्पसंख्यक जो कुछ अन्य पड़ोसी देशों से पहले ही भारत आ चुके हैं, को नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज़ करना है. ये उनकी मौजूदा मुश्किलों को दूर करने और उनके मानवाधिकारों की जरूरत को पूरा करेगा. जो लोग धार्मिक स्वतंत्रता में वाकई विश्वास करते है उनको इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए न की इसकी आलोचना की जानी चाहिए.’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन बिल किसी भी समुदाय को भारत की नागरिकता लेने के रास्ते बंद नहीं करता.’

‘हाल के भारत के नागरिकता देने के रिकॉर्ड को देखा जाये तो आप पायेंगे कि भारत सरकार का रवैया निष्पक्ष रहा है. न सीएबी और न ही एनआरसी प्रक्रिया किसी भी धर्म के भारतीय की नागरिकता छीनने की मंशा नहीं रखता.’

रवीश ने आगे कहा, ‘इस तरह की बात कहना न केवल अन्यायपूर्ण है पर प्रेरित भी है. हर देश, अमरीका के पास भी इस बात का अधिकार है कि वो अपनी नीतियों के ज़रिए ये बात तय करे कि कौन उसका नागरिक हो और जांच करे कि कोई उसका नागरिक है या नहीं.’

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‘जिस तरह का रुख यूएससाआईआरएफ का रहा है वो आश्चर्य इसलिए पैदा नहीं करता क्योंकि उसका पिछला रिकॉर्ड इसका गवाह है. पर ये दुख की बात है कि ये संगठन अपने दुर्भाव से प्रेरित हो कर इस मामले में अपना रुख रख रही है जिसका उसको न तो ज्ञान है न टिप्पणी करने का कोई वैध अधिकार.’

अमेरिकी आयोग ने कहा खतरनाक कदम

विदेश मंत्रालय का यह बयान अमेरिकी आयोग द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम बताए जाने के बाद आया है. इस बयान में अमेरिकी आयोग ने कहा है और यदि यह भारत की संसद में पारित होता है तो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

यही नहीं यूएससीआईआरएफ ने यह भी कहा कि विधेयक के लोकसभा में पारित होने से वह बेहद चिंतित है.

लोकसभा ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को मंजूरी दे दी, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.

आयोग ने कहा, ‘अगर कैब दोनों सदनों में पारित हो जाता है तो अमेरिकी सरकार को गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए.’

‘अमित शाह द्वारा पेश किए गए धार्मिक मानदंड वाले इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने से यूएससीआईआरएफ बेहद चिंतित है.’

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