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स्माल टाउन वर्तमान समय की हिंदी फिल्मों का नया स्विट्जरलैंड है : राजकुमार राव

शाहरुख भी दिल्ली से हैं और वो भी बॉलीवुड के लिए 'आउटसाइडर' थे, लेकिन फिर भी उन्होंने इतना नाम कमाया, ये बात राजकुमार को बहुत प्रेरित करती थी.

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दिप्रिंट के कार्यक्रम ‘ऑफ द कफ’ के मंच पर बॉलीवुड अभिनेता राजकुमार राव और उनके साथ बातचीत करते दिप्रिंट के संपादक शेखर गुप्ता और एसोसिएट संपादक रूही तिवारी | दिप्रिंट

नई दिल्ली: 2018 हिंदी सिनेमा के लिए थोड़ा अलग है. यह साल तीनों बड़े खान या कपूर का नहीं, ‘न्यू जेन’ (नई पीढ़ी) एक्टर्स का था. जिन्होंने अपनी बेहतरीन अदाकारी के साथ ब्लाकबस्टर फिल्में भी दीं. इन कलाकारों के साथ अच्छी बात यह भी है कि इनके पीछे कोई गॉडफादर नहीं है. इन्हीं में से एक हैं राजकुमार राव. ‘लव, सेक्स और धोखा’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले राजकुमार मुखातिब थे, अपने जन्मभूमि गुरुग्राम (गुड़गांव) में. मौका था दिप्रिंट के कार्यक्रम ‘ऑफ द कफ’ का. मंच पर उनके साथ थे दिप्रिंट के संपादक शेखर गुप्ता और एसोसिएट संपादक रूही तिवारी.

शाहरुख से मिली प्रेरणा

राजकुमार राव बॉलीवुड के रोमांस किंग शाहरुख खान से बहुत प्रभावित थे. शाहरुख भी दिल्ली से हैं और वो भी बॉलीवुड के लिए ‘आउटसाइडर’ थे, लेकिन फिर भी उन्होंने इतना नाम कमाया, ये बात राजकुमार को बहुत प्रेरित करती थी.

राजकुमार राव चेहरे पर बहुत ही निश्चिंत भाव लिए बोलते हैं, ‘शाहरुख भी दिल्ली से हैं ये मेरे लिए एक मोटिवेशन था, लेकिन जब मैं अपने फिल्म स्कूल एफटीआईआई गया, तो वहां मैंने एल पचिनो, रॉबर्ट डी निरो जैसे सितारों को पढ़ना, उनकी फिल्मों को देखना शुरू किया. तब मेरी धारणा में काफी बदलाव आया. मैंने एक्टिंग को बहुत गहराई से जाना और मैं खुद को ढालना शुरू किया. मुझे जो किरदार मिलते थे, उससे पूरी तरह न्याय करना चाहता था.’

कौन सा किरदार है उनके दिल के करीब.

राजकुमार राव कहते हैं, ‘दो हैं. ‘शाहिद’ फिल्म में निभाया गया शाहिद आजमी का. और ‘ओमेर्टा’ फिल्म में ओमर शेख का. शाहिद आजमी इसलिए क्योंकि मुझे नहीं पता था कि इस तरह का कोई आदमी मुंबई में है, जो झूठे केसों में फंसाए गए मुस्लिम लड़कों का हीरो है. और ओमर शेख का रोल बहुत डॉर्क कैरेक्टर था, जिसके अंदर काफी गुस्सा था, नफरत थी. जिससे बाहर निकलने में मुझे थोड़ा समय लग गया.

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शाहिद, ओमार, शमशाद और न्यूटन कुमार. तीन मुस्लिम और एक दलित जैसे सोशल अंडरडॉग कहे जाने वाले रोल के पीछे आप भागते हैं, या ये किरदार ही आपके पास खुद-ब-खुद आ जाते हैं. 

जिस पर राजकुमार कहते हैं, ‘कहानियां मुझे चुनती हैं. जब अमित (अमित वी मुसरकर) ‘न्यूटन’ लिख रहे थे तब उनके दिमाग में उस किरदार के लिए मेरा ही चेहरा सामने आ रहा था. इसके अलावा जब ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ की कहानी में काफी बदलाव करने के बाद अनुराग सर (अनुराग कश्यप) ने मुझसे पूछा कि क्या आप संतुष्ट हैं. तो मैने हां कहा. और फिर उन्होंने ही शाहिद के किरदार के लिए मेरा नाम सुझाया था.’

राजकुमार नवाज़ के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहते हैं कि ये नवाज की एक्टिंग की खूबसूरती है कि वो अपने काम से उस नेगेटिव किरदार के लिए भी लोगों की सहानुभूति बटोर लेते हैं. ये उनका जादू है.

नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम के आने से फिल्म इंडस्ट्री पर पड़ने वाले प्रभाव पर रखी राय

‘यहां तो अभी इसकी शुरुआत है. यूके और यूएएस जितने दर्शक यहां नहीं है. ये हमारे फिल्म इंड्रस्ट्री को कॉपलिमेंट कर रहा है. इन प्लेटफार्म्स पर दर्शकों को क्वालिटी वर्क मिल जाता है, जिसकी वो अपेक्षा फिल्म इंडस्ट्री से भी करते हैं. इनके कारण फिल्म इंडस्ट्री पर अच्छी स्क्रिप्ट पर काम करने का भी दबाव है.’

अपने नाम राजकुमार में डबल एम क्यों

वो कहते हैं, ‘एक्स्ट्रा एम केवल मेरे ऑनस्क्रीन नाम में है, जिसे रखने के लिए मेरे एक बहुत ही करीबी मित्र ने सुझाया था. बाकि जगहों पर मैं एक ही एम का इस्तेमाल करता हूं और एक्स्ट्रा एम से निजात पाना अब बहुत ही मुश्किल प्रॉसेस है. तो ठीक है. जैसा है चलने दो.’

युद्ध नहीं चाहते हैं राजकुमार

राजकुमार राव कहते हैं कि वो अपने विचारों को केवल अपने तक नहीं रखते, बल्कि उसे सोशल मीडिया पर भी साझा करते हैं. जैसे अभिनंदन की भारत वापसी पर उन्होंने बहुत खुशी जताई. और उनका मानना है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. वो आतंकवाद के बहुत ही ज्यादा खिलाफ हैं और युद्ध के पक्षधर कभी नहीं रहे हैं.

अनकन्वेंशनल एक नया कन्वेंशन है.

उनका मानना है कि चीज़ें अब काफी बदल रही हैं. अब जो नई फिल्में वो करने जा रहे हैं, उनमें उनका किरदार उनकी पुरानी फिल्मों से काफी अलग है.

एक समय था जब बॉलीवुड में खोया-पाया, दो जुड़वा भाईयों की कहानी, गरीब-अमीर का फार्मूला, एंग्री यंग मैन, कुंभ के मेले में बिछड़ जाना. लेकिन अब परपंरागत रोल बहुत कम बचे हैं.

जिस पर वे कहते हैं, ‘अब अनकन्वेंशनल (अपरंपरागत) एक नई कन्वेंशन (परंपरा) है. अब छोटे शहर भी बॉलीवुड को आकर्षित कर रहे हैं. और अब तो स्माल टाउन वर्तमान समय की हिंदी फिल्मों का नया स्विट्जरलैंड बन गए हैं.’

राजनीति में जाने की इच्छा पर

चुनावी मौसम में राजकुमार राव से राजनीति पर जाने की बात हुई. वो कहते हैं कि राजनीति में जाने का मेरा कोई इरादा नहीं है. और हां, अगर कभी मौका मिला तो वो भगत सिंह का किरदार निभाना चाहेंगे.

काफी मिलनसार हैं राजकुमार राव

जमीन से उठकर बॉलीवुड में अपनी आदाकारी का लोहा मनवा रहे राजकुमार राव ने कार्यक्रम में आए लगभग सभी लोगों के सवालों के जवाब दिए. दर्शकों की मांग पर ‘स्त्री’ फिल्म के फेमस गाने ‘कमरिया’ पर डांस भी किया. इसके अलावा उन्होंने लोगों के साथ सेल्फी खिंचवाने में भी ना-नकुर नहीं करते हुए सबका मन रखा.

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