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पुतिन ने भारत को बताया अपना वक्त की कसौटी पर खड़ा उतरा दोस्त, 28 समझौतों पर किए हस्ताक्षर

रणनीतिक महत्व के मुद्दों पर व्यापक चर्चा करने के लक्ष्य से भारत और रूस के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता के कुछ घंटों बाद यह शिखर वार्ता हुई.

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किर्गिस्तान के बिश्केक में शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करते हुए | फाइल फोटो: एएनआई

नई दिल्ली: भारत और रूस ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर वार्ता के दौरान आतंकवाद से खतरा एवं अफगानिस्तान में उभरती स्थिति जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने में सहयोग व समन्वय बढ़ाने का संकल्प लिया. साथ ही दोनों पक्षों ने आपसी साझेदारी और अधिक विस्तार देने के लिए 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिसमें उत्तर प्रदेश के अमेठी में स्थित फैक्टरी में छह लाख से अधिक एके-203 असाल्ट राइफलों के संयुक्त रूप से निर्माण के लिए किया गया समझौता भी शामिल है.

वहीं, पुतिन ने भारत को एक बहुत बड़ी शक्ति और वक्त की कसौटी पर खरा उतरा दोस्त बताते हुए कहा कि आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और संगठित अपराध साझा चुनौतियां हैं, जिनका दोनों देश सामना कर रहे हैं. उन्होंने यहां प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी वार्ता के दौरान शुरूआती टिप्पणी में अफगानिस्तान में घटनाक्रमों पर भी चिंता प्रकट की और कहा कि भारत एवं रूस क्षेत्र के समक्ष आने वाली बड़ी चुनौतियों पर समन्वय जारी रखेंगे.

उन्होंने अपनी शुरूआती टिप्पणी में कहा, ‘हम भारत को एक बहुत बड़ी शक्ति, एक मित्र राष्ट्र और वक्त की कसौटी पर खरा उतरा दोस्त मानते हैं. दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं और मैं भविष्य की ओर देख रहा हूं.’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान पुतिन की दूसरी विदेश यात्रा भारत-रूस संबंधों के प्रति उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है तथा दोनों पक्षों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी प्रगाढ़ हो रही है.

मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में, विश्व ने कई मूलभूत परिवर्तन और विभिन्न प्रकार के भू-राजनीतिक बदलाव देखे हैं लेकिन भारत एवं रूस की मित्रता पहले जैसी बनी रही.

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संयुक्त रूप से जारी बयान के मुताबिक, मोदी और पुतिन ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान की जमीन का उपयोग लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआईएस और अलकायदा समेत किसी भी तरह के आतंकी समूहों के प्रशिक्षण, वित्त पोषण और आश्रय के लिए नहीं किया जाना चाहिए. दोनों पक्षों ने सीमा-पार आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिसे साफतौर पर पाकिस्तान के परिपेक्ष्य में देखा गया.

बयान के मुताबिक, दोनों पक्षों ने पर्यावरण, व्यापार और निवेश तथा उच्च प्रौद्योगिकी सहित अन्य क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का भी उल्लेख किया.

रणनीतिक महत्व के मुद्दों पर व्यापक चर्चा करने के लक्ष्य से भारत और रूस के विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता के कुछ घंटों बाद यह शिखर वार्ता हुई.


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दिन की शुरूआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उनके रूसी समकक्ष सर्गेई शोयगु के साथ वार्ता के साथ हुई. इससे इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ वार्ता की. इसके बाद दोनों देशों के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों ने ‘टू प्लस टू’ वार्ता की.

रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता के समापन पर दोनों पक्षों ने उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित एक विनिर्माण प्रतिष्ठान में छह लाख से अधिक एके-203 राइफलों का संयुक्त उत्पादन करने के समझौते पर हस्ताक्षर किया. इसके अलावा, सैन्य सहयोग पर समझौते को 10 साल (2021-31) के लिए बढ़ा दिया. राइफलों का निर्माण भारतीय सशस्त्र बलों के लिए लगभग 5000 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा. सैन्य सहयोग पर 10 साल का समझौता मौजूदा ढांचे का नवीनीकरण है.

माना जाता है कि भारतीय पक्ष ने पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध का भी मुद्दा उठाया और एस-400 मिसाइल रक्षा समझौते पर भी चर्चा की गई.

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल रक्षा सौदा भारतीय रक्षा क्षमता के लिए खासा मायने रखता है तथा सहयोग को कमजोर करने की अमेरिकी कोशिश के बावजूद इसे क्रियान्वित किया जा रहा है.

लावरोव ने कहा कि भारत ने स्पष्ट रूप से और ढृढ़ता से कहा है कि वह एक संप्रभु देश है तथा रक्षा खरीद पर खुद अपना फैसला लेता है.

संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने कोविड-19 महामारी की स्थिति पर विचारों का आदान प्रदान किया और विशेष रूप से ‘स्पुतनिक-वी’ टीके के संबंध में जारी द्विपक्षीय सहयोग की सराहना की. दोनों नेताओं ने महामारी के दौरान समय पर सहायता करने के लिए एक-दूसरे के देशों का आभार व्यक्त किया.

दोनों पक्षों ने विश्वास जताया कि कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र के शीघ्र परस्पर स्वीकार्यता से दोनों देशों के लोगों को आवाजाही में सुविधा होगी. इसके साथ ही दोनों देश इसके लिए तेज गति से औपचारिकताएं पूरी करने पर सहमत हुए.

वहीं, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर वार्ता को ‘काफी फलदायी’ करार दिया. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच कई क्षेत्रों में संधि समेत 28 समझौते किए गए.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध का मुद्दा उठाया या नहीं? इस पर विदेश सचिव ने कहा कि भारत की सुरक्षा संबंधी सभी चिंताओं पर चर्चा हुई.

श्रृंगला ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि मोदी और पुतिन ने अफगानिस्तान पर भारत और रूस के बीच करीबी सहयोग व विचार-विमर्श जारी रखने का निर्णय लिया.

विदेश सचिव ने कहा कि वार्ता के दौरान ऊर्जा के क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग के बारे में भी विस्तार से चर्चा हुई. उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद से निपटने पर भी जोर दिया गया और दोनों पक्षों ने इसे साझा हितों वाला क्षेत्र करार दिया.


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