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‘अब गांव तक ही सीमित नहीं रहा आंदोलन’, जीरा में किसान संघों का शराब फैक्ट्री के खिलाफ धरना-प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों की सबसे बड़ी शिकायत यही है कि कारखाना उनके भूजल और मिट्टी के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता को भी खराब कर रहा है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने वाला है.

पंजाब के मंसूरवाल गांव में प्रदर्शन स्थल पर किसान | उर्जिता भारद्वाज | दिप्रिंट

मंसूरवाल, पंजाब: फिरोजपुर जिले की जीरा तहसील में एक संकरी-सी ग्रामीण सड़क पर धान के खेतों के बीच और एक विशाल मैन्युफैक्चरिंग फैक्टरी के आसपास मंसूरवाल गांव के किसान पिछले पांच महीने से अधिक समय से एक शराब निर्माण कंपनी मालब्रोस इंटरनेशनल लिमिटेड के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.

प्रदर्शनकारियों की सबसे बड़ी शिकायत यही है कि कारखाना उनके भूजल और मिट्टी के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता को भी खराब कर रहा है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट शुक्रवार को मामले की सुनवाई करने वाला है.

अल्कोहल यूनिट से सटे एक भूखंड पर मिट्टी की ऊपरी परत भूरी की जगह मटमैली और काली नजर आने लगी है. किसानों का आरोप है कि यह काली परत फ्लाई ऐश है और उनका तर्क है कि यह संयंत्र से निकलने वाला प्रदूषक तत्वों की वजह से हुआ है.

भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) से जुड़े प्रदर्शन के आयोजकों में से एक कुलदीप सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘जबसे जुलाई में हमने विरोध जताना शुरू हुआ, तबसे गांव के तीन लोगों की कैंसर के कारण मौत हो चुकी है. उनमें से एक की मौत कल ही हुई है.’

वह गांव में दूषित मिट्टी और पानी को घातक बीमारी फैलने की मुख्य वजहों में से एक बताते हैं. उन्होंने कहा, ‘प्लांट से निकल रहे दूषित तत्वों ने यहां मिट्टी को काला कर दिया है. यहां निकलने वाली राख को हवा में उड़ा दिया जाता है जो आसपास के और भी इलाकों को प्रदूषित करती है, जिससे कई लोग बीमार पड़ जाते हैं और इसकी वजह से मवेशी भी मरे रहे हैं.’

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महियां वाला कलां के पड़ोसी गांव में एक गुरुद्वारे के बगल में लगे बोरवेल में कथित तौर पर पानी दूषित होने को लेकर विरोध शुरू हुआ था. स्थानीय लोगों का कहना था कि पानी पीने लायक नहीं रहा है.

फैक्ट्री के पास बोरवेल से निकला दूषित पानी | उर्जिता भारद्वाज | दिप्रिंट

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‘पानी दिखने में साफ लेकिन पीने लायक नहीं’

गुरुद्वारे के पास मौजूद किसानों का कहना है कि पानी अपेक्षाकृत साफ और स्वच्छ दिखता है, क्योंकि कारखाने का संचालन नहीं हो रहा है. यह अभी भी स्वास्थ्य के लिहाज से हानिकारक और पीने योग्य नहीं है.

गुरुद्वारे में काम करने वाले लवप्रीत सिंह कहते हैं, ‘ये पानी पीने लायक नहीं है. हम इसे कपड़े आदि धोने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं.’

महियां वाला गांव के ही एक अन्य निवासी मोहिंदर सिंह कहते हैं, ‘इस पानी को पीकर अक्सर लोग बीमार पड़ जाते हैं. हमें बोरवेल में फिल्टर लगाना पड़ा है. फिर भी, यह उपभोग के लायक नहीं होता है.’

महियां वाला कलां के निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई मौकों पर प्लांट के प्रबंधन को अपने साथ पानी पीने को कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया. किसानों का दावा है कि प्रबंधन अच्छी तरह जानता है कि पानी इस्तेमाल लायक नहीं है.

एक बुजुर्ग निवासी भजन सिंह कहते हैं, ‘हमें कहा गया था कि पानी को इस्तेमाल लायक बनाने के लिए टैंकों और बोरवेल में कुछ कैप्सूल डालें. हालांकि, हमने ऐसा नहीं किया, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं था कि इस तरह के कैप्सूल के इस्तेमाल की अनुमति किसने दी है.’

इस साल मार्च में किसानों ने आरोप लगाया था कि प्लांट से निकलने वाले प्रदूषित जल की वजह से 70 से ज्यादा मवेशियों की मौत हो गई थी. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इस वजह से ही मालब्रोस इंटरनेशनल लिमिटेड ने किसानों को मुआवजा भी दिया था.

मंसूरवाल के एक स्थानीय निवासी सुखजीत सिंह सवाल उठाते हैं, ‘उन्होंने हमें मुआवजा इसीलिए दिया ना क्योंकि वे दोषी थे. अन्यथा वे हमें इस तरह मुआवजा क्यों देते.’

इस बारे में दिप्रिंट ने टेलीफोन पर मालब्रोस इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबंधन से संपर्क की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

‘पंजाब के हित में कर रहे विरोध’

एल्कोहल यूनिट से सटे भूखंड पर मटमैला पदार्थ ने जमीन को ढ़क दिया है | उर्जिता भारद्वाज | दिप्रिंट

विरोध-प्रदर्शन का केंद्र बने यूनियन के नेता कहते हैं, ‘यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ एक गांव के लिए नहीं है. हम पंजाब के हित के लिए विरोध कर रहे हैं.’

धरना-प्रदर्शन स्थल पर गड़े तंबुओं से ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ और बड़े व्यवसाय के खिलाफ नारेबाजी की आवाजें आती रहती हैं. किसान ‘निगमीकरण से अपनी आजीविका और जीवनशैली प्रभावित होने’ के खिलाफ बोलते हैं.

बीकेयू (एकता उग्राहन) के एक नेता चरणजीत सिंह कहते हैं, ‘इस साल जब से प्लांट ने अपना उत्पादन बढ़ाना शुरू किया, भूजल और मिट्टी का दूषित होना तेजी से बढ़ने लगा.

हालांकि, स्थानीय प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक, खेतों में यूरिया का अत्यधिक उपयोग भी फसलों की गुणवत्ता में गिरावट का एक बड़ा कारण रहा है.

प्रदर्शनकारी किसानों का यह भी दावा है कि इस साल संयंत्र में उत्पादन बढ़ने के बाद से उनकी फसल उत्पादकता में कमी आई है. उनका कहना है कि उनकी फसल की गुणवत्ता भी खराब हो गई है और पोषक तत्वों की कमी के कारण फसलें सूख गईं.

कुलदीप सिंह का आरोप है कि फैक्ट्री प्रबंधन ने प्लांट के पास के 40 एकड़ वन क्षेत्र को नष्ट कर दिया है.

चरणजीत सिंह ने कहा, ‘हम 23 दिसंबर के अदालती फैसले का इंतजार कर रहे हैं. उम्मीद है कि यह हमारी चिंताओं को दूर करेगा. जब तक हमारी समस्याएं दूर नही होतीं, हम वहां से नहीं हटेंगे.’

मालब्रोस इंटरनेशनल लिमिटेड के सामने तैनात सुरक्षा बल | उर्जिता भारद्वाज | दिप्रिंट

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कंवरदीप सिंह ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की बुधवार को घटनास्थल पर तैनात पुलिसकर्मियों से झड़प हुई थी, जिसमें छह जवान घायल हो गए.

उन्होंने कहा, ‘अभी स्थिति नियंत्रण में है. हमने बलों की पर्याप्त तैनाती सुनिश्चित की है. शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अलग-अलग शिफ्ट में 2,500 जवानों को तैनात कर रखा गया है.’

एसएसपी का कहना है कि सुरक्षा चिंता का एक विषय बनी हुई है क्योंकि विरोध-प्रदर्शन का दायरा हर दिन बढ़ता जा रहा है और राज्य भर से किसान आंदोलन में शामिल हो रहे हैं.

स्थानीय प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक, पंजाब सरकार मामले की फिर से जांच करने और समाधान निकालने के लिए चार या पांच समितियों का गठन करने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है.

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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