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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सूरीनाम, सर्बिया की यात्रा पर जाएंगी

नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सूरीनाम और सर्बिया के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए रविवार से दोनों देशों की छह दिवसीय यात्रा शुरू करेंगी।

यात्रा के पहले चरण में राष्ट्रपति चार से छह जून तक दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम का दौरा करेंगी। सूरीनाम से, मुर्मू सात से नौ जून तक अपनी यात्रा के दूसरे और अंतिम चरण के लिए यूरोप में सर्बिया की यात्रा करेंगी।

विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) सौरभ कुमार ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति सूरीनाम के राष्ट्रपति चान संतोखी के निमंत्रण पर चार से छह जून तक सूरीनाम की राजकीय यात्रा पर होंगी। राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद यह उनकी पहली राजकीय यात्रा होगी।’’

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इस यात्रा का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि सूरीनाम में भारतीयों के आगमन की 150वीं वर्षगांठ समारोह में राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होंगी।’’

समारोह पांच जून को है। कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और लोकसभा सदस्य रमा देवी भी होंगी।

सूरीनाम के राष्ट्रपति संतोखी जनवरी में भारत आए थे। कुमार ने कहा कि सूरीनाम में भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच ‘‘जीवंत पुल’’ के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत-सूरीनाम संबंधों को नयी गति प्रदान करेगी।

विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा कि मुर्मू सात जून को सूरीनाम से सर्बिया जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘वह सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक के निमंत्रण पर सर्बिया की राजकीय यात्रा पर होंगी।’’

वर्मा ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली यूरोप यात्रा होगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह दोनों देशों के बीच राष्ट्र प्रमुख के स्तर पर पहली राजकीय यात्रा भी है।’’

वर्मा ने कहा कि यात्रा के लिए भारत से 20 सदस्यीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल अलग से सर्बिया पहुंचेगा और इसमें उद्योग मंडल सीआईआई, फिक्की और एसोचैम के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

कोसोवो में हालिया अशांति के बारे में पूछे जाने पर और क्या राष्ट्रपति के दौरे के मद्देनजर भारतीय पक्ष इससे चिंतित है, वर्मा ने कहा कि ऐसी कोई चिंता नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम कोसोवो में हाल के घटनाक्रम अवगत हैं जो सर्बिया के सुदूर दक्षिणी छोर पर है। हमारे लिए इस समय चिंतित होने का कोई कारण नहीं है कि उन घटनाओं का राष्ट्रपति की राजकीय यात्रा पर कोई प्रभाव पड़ेगा और न ही हमें मेजबान देश ने कुछ कहा है।’’

वर्मा ने कहा, ‘‘कोसोवो के मामले में हमारा रुख काफी स्पष्ट और सुसंगत रहा है कि हम कोसोवो द्वारा स्वतंत्रता की घोषणा को मान्यता नहीं देते हैं। हालांकि, हमारा यह भी मानना है कि किसी भी मतभेद को बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्वक हल करने की आवश्यकता है।’’

भाषा आशीष माधव

माधव

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