होम देश जनसंख्या नियंत्रण: राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को पक्ष बनाने के लिए SC में...

जनसंख्या नियंत्रण: राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को पक्ष बनाने के लिए SC में नई याचिका

याचिका में कहा गया था कि भारत की आबादी चीन से आगे निकल गई है क्योंकि लगभग 20 प्रतिशत भारतीयों के पास आधार नहीं है. इसलिए उनका कोई हिसाब नहीं है.

news on supreme court
सुप्रीम कोर्ट, फाइल फोटो | Manisha Mondal | ThePrint

नई दिल्ली: देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो बच्चों की नीति सहित कुछ कदम उठाने संबंधी जनहित याचिका में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पक्ष बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या विस्फोट देश के प्राकृतिक संसाधनों पर अत्यधिक बोझ समेत कई समस्याओं की मूल वजह है.

अश्विनी कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने के लिए जनहित याचिका दायर की थी जिसमें देश की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चों के नियम सहित कुछ कदम उठाने का आग्रह करने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था.

केंद्र ने पहले कोर्ट से कहा था कि भारत अपने लोगों पर जबरन परिवार नियोजन लागू करने के स्पष्ट रूप से खिलाफ है और एक निश्चित संख्या में बच्चे पैदा करने के लिए किसी भी तरह के दबाव के परिणाम प्रतिकूल होंगे साथ ही इससे जनसांख्यिकीय विकृति उत्पन्न होगी.

केंद्र ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम स्वैच्छिक प्रकृति का है जिसने दंपतियों को उनकी पसंद और बिना किसी मजबूरी के अपने परिवार का आकार तय करने और परिवार नियोजन के तरीकों को अपनाने में सक्षम बनाया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


यह भी पढ़ें: क्यों गिर रही है कोलकाता में प्रजनन दर? बच्चों के लिए कम होती चाहत, गिरती आमदनी और गर्भ निरोधक के प्रयोग


याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट यह महसूस करने में विफल रहा कि सभी नागरिकों के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 और 21ए के तहत दिए गए स्वच्छ हवा, पेयजल, स्वास्थ्य, शांतिपूर्ण नींद, आश्रय, आजीविका और शिक्षा के अधिकार की गारंटी जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित किए बिना हासिल नहीं की सकती.

हाई कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया था कि भारत की आबादी चीन से आगे निकल गई है क्योंकि लगभग 20 प्रतिशत भारतीयों के पास आधार नहीं है और इसलिए उनका कोई हिसाब नहीं है साथ ही करोड़ों रोहिंग्या और बांग्लादेशी भी अवैध रूप से रह रहे हैं.

इसमें दावा किया गया कि बलात्कार और घरेलू हिंसा जैसे जघन्य अपराधों में सहायक कारक होने के साथ ही जनसंख्या विस्फोट भ्रष्टाचार का मूल कारण है.

याचिका में जनसंख्या विस्फोट को संसाधनों, नौकरियों की कमी और प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार बताया गया था.


यह भी पढ़ें: ‘अशराफ बनाम पसमांदा’- जातिगत भेदभाव से जूझ रहे मुस्लिमों में कैसे जारी है सामाजिक न्याय का संघर्ष


 

Exit mobile version