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राष्ट्रपति से मिलने जा रहे जेएनयू छात्रों पर लाठी चार्ज, मंत्रालय की सलाह पर अब तक नहीं आया प्रशासन का जवाब

जेएनयू के छात्रों द्वारा बढ़ाई गई फ़ीस के विरोध का एक राजनीतिक कारण भी है. पिछले दो सालों से यहां से चुने जा रहे जेएनयू स्टूडेंट यूनियन (जेएनयूएसयू) को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने नोटिफ़ाई नहीं किया है.

साभार: विशेष प्रबंध

नई दिल्ली : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा कई रास्ते सुझाए जाने के बावजूद जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) का मामला हल होता नज़र नहीं आ रहा. ताज़ा घटनाक्रम में राष्ट्रपति भवन की तरफ़ मार्च कर रहे जेएनयू के छात्रों पर लाठी चार्ज की गई है. सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से इस साल छात्रों द्वारा चुने गए पैनल को नोटिफ़ाई करने की सलाह दी. हालांकि, सूत्र के मुताबिक जेएनयू प्रशासन ने इसे लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

दरअसल, जेएनयू के छात्रों द्वारा बढ़ाई गई फ़ीस के विरोध का एक राजनीतिक कारण भी है. पिछले दो सालों से यहां से चुने जा रहे जेएनयू स्टूडेंट यूनियन (जेएनयूएसयू) को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने नोटिफ़ाई नहीं किया है. जब तक यूनिवर्सिटी प्रशासन जेएनयूएसयू को नोटिफ़ाई नहीं करता तब तक इसे मान्यता नहीं मिलेगी. दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जेएनयू चुनाव को वैध करार दिए जाने के बावजूद प्रशासन ने जेएनयूएसयू को नोटिफ़ाई नहीं किया है.

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे मामले में फ़ैसला आया था कि जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लिंगदोह कमेटी के सिफ़ारिशों का उल्लंघन नहीं हुआ है और पैनल को नोटिफ़ाई किया जाना चाहिए इसके बावजूद जेएनयू प्रशासन ने पैनल को नोटिफ़ाई नहीं किया.

28 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी की एक्ज़िक्यूटिव काउंसिल की एक मीटिंग हुई जिसमें हॉस्टल और मेस फीस बढ़ाने का फ़ैसला लिया गया. इस दौरान जेएनयू छात्रसंघ के प्रतिनिधियों को इस बात का हवाला देकर नहीं बुलाया गया कि उन्हें नोटिफ़ाई नहीं किया गया है. उस समय से ये प्रशासन और छात्र संघ के लिए फ़ीस से ज़्यादा नाक का मुद्दा बन गया है.

पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा, ‘हम तो कह ही रहे हैं कि हम इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन पहले यूनिवर्सिटी प्रशासन को जीते हुए पैनल को नोटिफ़ाई करना पड़ेगा और नए सिरे से फ़ीस वृद्धि की प्रक्रिया में हमें शामिल करते हुए इसे फ़िर से शुरू करना पड़ेगा.’

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इसे मामले में हस्ताक्षेप करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ताज़ा सुझाव देते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन को पैनल को नोटिफ़ाई करने की सलाह दी. हालांकि, लगता नहीं है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ऐसा करने के मूड में है. इसके पहले भी स्वायत्तता का हवाला देते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की हाई पावर कमेटी की तर्ज पर अपनी एक हाई पावर कमेटी बना दी.

जेएनयू के वीसी एम जगदीश कुमार मंत्रालय द्वारा बनाई गई हाई पावर कमेटी की किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं हुए. उलटे उन्होंने अपनी एक कमेटी बनाई. दोनों ही कमेटियों ने फ़ीस को कई तरह से कम करने की सिफ़ारिश दी लेकिन छात्र बढ़ाई गई फ़ीस को पूरी तरह से वापस लिए जाने के लिए अपना सेमेस्टर एग्जाम छोड़ने के लिए तैयार हैं.

छात्रों द्वारा लिए गए इस फ़ैसले से पहले एक सर्कुलर में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा था कि जो छात्र परीक्षा नहीं देंगे उनका नाम रोल लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा और वो यूनिर्सिटी के छात्र नहीं रह जाएंगे. हालांकि, इस सर्कुलर को धता बताते हुए छात्रों ने अपना प्रदर्शन जारी रखा है. ताज़ा प्रदर्शन में वो राष्ट्रपति के पास अपनी मांगें रखने के लिए मार्च कर रहे थे, लेकिन जानकारी के मुताबिक उनके ऊपर लाठी चार्ज किया गया है.

जेएनयू का ये प्रदर्शन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए सिरदर्द बना हुआ है. इस प्रदर्शन को आईआईटी से लेकर बीएचयू और टीस से लेकर पटना यूनिवर्सिटी का समर्थन प्राप्त है. इसी प्रदर्शन को केंद्र में रखने का हवाला देकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के ए़डहॉक टीचरों से लेकर आईआईएमसी के छात्र तक सस्ती पढ़ाई की मांग को लेकर मैदान में कूद गए हैं.

देखने वाली बात होगी कि पैनल नोटिफाई करने की मंत्रालय की सलाह को जेएनयू प्रशासन कब तक मानता है क्योंकि ऐसा नहीं करने की स्थिति में इस प्रदर्शन की वजह से देशभर में ऐसे कई और प्रदर्शनों को हवा मिल सकती है.

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