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पीएमएलए : न्यायालय ने उप्र में बरामद नकदी के संदर्भ में पूछा, क्या ईडी का अधिकार क्षेत्र हो सकता है

नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश में हाल ही में 190 करोड़ रुपये की नकदी की बरामदगी का संदर्भ देते हुये उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पूछा कि निर्धारक अपराध के अभाव में पीएमएलए के तहत बेहिसाब धन की जांच करने का क्या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास कोई अधिकार नहीं होगा।

धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत, प्रवर्तन निदेशालय पहले से किए गए अपराध की जांच के लिए एक ईसीआईआर (एनफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज करता है, जिसके लिए प्राथमिकी पहले से दर्ज है ।

पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने छापेमारी का हवाला दिया, जिससे भारी मात्रा में नकदी की बरामदगी हुई और सवाल किया कि क्या इसकी जांच करने का अधिकार क्षेत्र प्रवर्तन निदेशालय के पास नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम एक बहुत ही हालिया प्रकरण के बारे में बात कर रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने कुछ छापेमारी की और लगभग 190 करोड़ रुपये की नकदी का पता लगाया और अब उस व्यक्ति के खिलाफ (पीएमएलए के तहत) कोई विधेय अपराध दर्ज नहीं किया गया है।”

याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अमित देसाई से अपने सवाल में पीठ ने कहा, ”आप उस तरह के पैसे से कैसे निपटते हैं । स्थानीय पुलिस ने अपना काम नहीं किया और आयकर अधिकारियों ने अपना काम नहीं किया। यह ईडी है जिसने हस्तक्षेप किया और … क्या आप कह सकते हैं कि ईडी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है ।”

पीठ ने पूछा कि इस परिदृश्य में कौन से अधिकारी जिम्मेदार होंगे और किसका अधिकार क्षेत्र होगा।

देसाई ने इस पर कहा, ”तथ्य यह है कि एक विशेष उपयुक्त प्राधिकरण अपना काम नहीं करता है, जिसे उसे करना चाहिए और उस प्राधिकरण को अधिकार प्रदान करने का कोई कारण नहीं है, जिसका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।”

वरिष्ठ वकील ने एक समन्वय समिति के अस्तित्व का भी उल्लेख किया, जिसका उपयोग अक्सर आयकर विभाग, एसएफआईओ और ईडी आदि जैसी एजेंसियों के बीच कार्रवाई योग्य इनपुट साझा करने के लिए किया जाता है।

वकील ने कहा, ”कानून के मामले में, अधिकार क्षेत्र उसे प्रदान नहीं किया जा सकता है जो अस्तित्व में नहीं है ।” उन्होंने कहा कि क्षेत्राधिकार प्रदान करना ‘पीएमएलए के दायरे से बाहर’ था।

भाषा रंजन प्रशांत

प्रशांत

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