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PM आवास योजना का शहरी रिपोर्ट कार्ड- सस्ते घरों के निर्माण में UP और गुजरात टॉप पर, सिक्किम सबसे पीछे

महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश ने भी शहरी गरीबों को सस्ते घर मुहैया कराने के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया है. केंद्र शासित प्रदेशों में 27,308 घरों के साथ दिल्ली सबसे ऊपर है जबकि 45 घरों के साथ अंडमान और निकोबार सबसे पीछे है.

जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत घर पाने वाले लाभार्थी की फाइल फोटो | एएनआई

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) का सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश को हुआ है, जहां सबसे अधिक संख्या में सस्ते मकानों का निर्माण हुआ है. यह बात आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) के आंकड़ों से पता चलती है.

वहीं, राज्यों की बात करें तो सस्ते आवास बनाने के मामले में सिक्किम सबसे पीछे रहा है.

12 दिसंबर को संसद में पेश आंकड़ों से पता चलता है कि 30 नवंबर तक उत्तर प्रदेश ने शहरी क्षेत्रों के लिए किफायती आवास योजना के तहत 11.84 लाख घरों का निर्माण किया था. यह योजना 2015 में लॉन्च की गई थी.

दूसरी ओर, 183 आवासों के साथ सिक्किम ने सबसे कम किफायती शहरी आवास इकाइयों का निर्माण किया.

पात्र लाभार्थियों को ‘पक्का’ यानी कंक्रीट का घर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई एक शहरी आवास योजना पीएमएवाई-यू में चार वर्टिकल होते हैं—लाभार्थी के नेतृत्व में निर्माण (बीएलसी), भागीदारी में किफायती आवास निर्माण (एएचपी), इन-सीटू स्लम रिडेवलपमेंट (आईएसएसआर), और क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस).

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डेटा में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत पूरी तरह निर्मित 3.41 लाख घर और आधे-अधूरे बने 4.01 लाख घर शामिल हैं, जिस योजना को 2005 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने लॉन्च किया था, लेकिन 2015 में मोदी सरकार ने इसे खत्म कर दिया था.

राज्यसभा में अपने जवाब में मंत्रालय ने कहा कि 1.12 करोड़ घरों की पुष्ट मांग के मुकाबले 1.20 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई थी.

आंकड़े दर्शाते हैं कि इनमें से 1.06 करोड़ घरों के लिए ‘जमीन’ तैयार हो गई है – यानी उनके निर्माण का रास्ता साफ है. इनमें से 64 लाख घर या तो पूरे हो गए या 28 नवंबर तक लोगों को मुहैया कराए जा चुके हैं.

निर्मित घरों की संख्या के मामले में यूपी के बाद गुजरात (7.18 लाख), महाराष्ट्र (6.58 लाख) और आंध्र प्रदेश (6.32 लाख) का नंबर आता है.

सिक्किम के अलावा, मेघालय (1,098), गोवा (2,814), और अरुणाचल प्रदेश (3,900) का भी इस योजना पर अमल के मामले में प्रदर्शन खराब रहा है.

केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में सबसे अधिक (27,308) घर बनाए गए जबकि अंडमान और निकोबार में सबसे कम (45) बने. लक्षद्वीप के पास योजना से संबंधित डेटा उपलब्ध नहीं है.

आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने कहा, ‘इसके अलावा, पिछले दो सालों के दौरान लगभग 37 लाख घरों को मंजूरी दी गई है, जिन्हें पूरा होने में अभी थोड़ा समय लगेगा. योजना के तहत स्वीकृत घरों का निर्माण पूरा होने में आम तौर पर अकेले घर में 12 से 18 महीने और किसी बहुमंजिले आवास के मामले में 24 से 36 महीने लगते हैं.

फंड वितरण में क्या रही स्थिति

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि आंध्र प्रदेश के पास सबसे अधिक स्वीकृत धनराशि (31,622 करोड़ रुपये) थी, लेकिन उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक राशि (20,780 करोड़ रुपये) मिली.

फंड के आवंटन और वितरण के मामले में क्रमशः 11.86 करोड़ रुपये और 6.47 करोड़ रुपये के साथ सिक्किम सबसे पीछे रहा.

आवास एवं शहरी मामलो के मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में निर्धारित समयसीमा को पूरा करने के ‘हरसंभव प्रयास किए गए.’ डीपीआर किसी प्रोजेक्ट की एक विस्तृत रूपरेखा होती है.

मंत्रालय ने राज्यसभा में दिए अपने जवाब में कहा, ‘मंत्रालय योजना की प्रगति की निगरानी और योजना के तहत स्वीकृत घरों को पूरा करने के लिए नियमित बैठकें आयोजित करता है. पहले से स्वीकृत घरों को पूरा करने के लिए पीएमएवाई-यू की अवधि 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दी गई है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: रावी द्विवेदी ) | (संपादन: अलमिना खातून)


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