होम देश ‘बेटी या अभिशाप?’ WFI प्रमुख के खिलाफ ओलंपियन्स के #MeToo आरोपों पर...

‘बेटी या अभिशाप?’ WFI प्रमुख के खिलाफ ओलंपियन्स के #MeToo आरोपों पर PM की चुप्पी पर उठ रहे हैं सवाल

ओलंपियन, कांग्रेस नेता विजेंदर सिंह और कृष्णा पूनिया ने केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया जबकि पहलवानों का विरोध तीन दिनों से चल रहा है.

दिल्ली के जंतर-मंतर पर WFI के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे भारतीय पहलवान व ओलंपियन बजरंग पुनिया/ फोटो: मनीषा मंडल

नई दिल्ली: भारत के शीर्ष खिलाड़ियों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया है.

ओलंपियन और कांग्रेस नेता विजेंदर सिंह और कृष्णा पूनिया ने शुक्रवार को केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया, जबकि दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों का विरोध प्रदर्शन तीसरे दिन में जारी रहा.

राजस्थान के कांग्रेस विधायक, पूनिया ने कहा कि यह शर्मनाक है कि आरोपों की कोई जांच नहीं की गई, भले ही स्टार पहलवान विनेश फोगाट ने अक्टूबर 2021 में मोदी को सूचित किया था.

पूनिया ने कहा, ‘जब कोई महिला जीवन में आगे बढ़ना चाहती है तो उसकी सबसे बड़ी लड़ाई समाज से ही होती है. वह उन मुश्किलों से बाहर आती है, दिन-रात काम करती है और देश के लिए मेडल जीतने के बारे में सोचती है. जब वह उस मुकाम पर पहुंच गई हैं, तब खबर आती है कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण शरण यौन उत्पीड़क हैं.

उसने कहा: “यह भारत की एक बेटी का आरोप है जिसे पीएम ने अपना बताया है. आज वो कह रही हैं कि इस देश में बेटी पैदा होना अभिशाप है. इससे ज्यादा परेशान करने वाली बात और क्या हो सकती है?”

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं युवाओं को खेल में शामिल होने से हतोत्साहित करती हैं और माता-पिता को भी डराती हैं.

पूनिया ने कहा कि देश मेडल के लिए तरसता है, लेकिन दूसरी ओर, “हमारा भविष्य… हमारी बेटियां यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं. क्या माता-पिता अपनी बेटियों को खेलों में भेजना चाहेंगे?”

उन्होंने विनेश फोगाट और अन्य विरोध करने वाले पहलवानों को इस मुद्दे को एक बड़े मंच पर उठाने के लिए धन्यवाद दिया.

पूनिया ने यह भी बताया कि जब एथलीटों ने पदक जीते तो जनता का बड़ा समर्थन था, लेकिन जब वे मुसीबत में थे तो कोई मदद नहीं मिली. पूनिया ने पूछा,“वे हमारे साथ तस्वीरें क्लिक करते हैं और हमें अपनी बेटियां कहते हैं. लेकिन जब हमारी बेटियों को प्रताड़ित किया जाता है तो कोई उनके साथ क्यों नहीं खड़ा होता?” .

ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह ने कहा कि वह पहलवानों को समर्थन देने के लिए जंतर-मंतर गए थे.

“यह निंदनीय और शर्मनाक है कि पीएम इस पर इतने लंबे समय तक चुप हैं. हरियाणा का बेटा होने के नाते मैं जल्द से जल्द जांच की मांग करता हूं.

कांग्रेस प्रवक्ता और उसके सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि जहां बृजभूषण शरण सिंह को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, वहीं प्रधानमंत्री भी उतने ही जवाबदेह हैं.

श्रीनेत ने कहा, “72 घंटे से अधिक हो गए हैं और भारतीय खेलों के सुशोभित एथलीट – जिन्होंने देश को गौरवान्वित किया है और शेरनी की तरह दहाड़ते थे – आज जंतर मंतर पर आंसू बहा रहे हैं. इस पर सरकार की चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करती है.”

(अनुवाद: आशा शाह)


यह भी पढ़ें: WFI प्रमुख बृजभूषण के खिलाफ धरने पर बैठे पहलवानों के पीछे हैं हरियाणा की रैलियां और खापों का विरोध


 

Exit mobile version