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आखिरी वक्त पर पत्नी के शक से कैसे सामने आई PMCH की गड़बड़ी, जिंदा व्यक्ति को घोषित किया था मृत

वरिष्ठ अधिकारी निलंबित. पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह ने अस्पताल को आदेश दिया है, कि मामले की जांच कराकर, गड़बड़ी के ज़िम्मेवार लोगों का पता लगाया जाए.

पटना के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में किस तरह से एक जीवित व्यक्ति के लिए डेथ सर्टिफिकेट 11 अप्रैल को जारी कर दिया गया/ फोटो: एएनआई

पटना: अगर पत्नी न देखती, तो पटना ज़िले की बाढ़ तहसील का निवासी चुन्नू कुमार, अभी तक कागज़ पर तो मर ही चुका होता. पटना के एक अस्पताल ने उसे मृत घोषित कर दिया था, उसका मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया था, और ‘शव को’ अंत्येष्टि के लिए, उसके परिवार को भी सौंप दिया था.

लेकिन, अंत्येष्टि किए जाने से कुछ पहले ही, कुमार की पत्नी को कुछ शक हो गया, और उसने कहा कि शव उसके पति का नहीं लगता, और पता चला कि उसका शक सही था.

रविवार की इस घटना ने बिहार के स्वास्थ्य विभाग को शर्मसार कर दिया है, और अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है.

प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य, प्रतया अमृत ने सोमवार को, पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (पीएमसीएच) का दौरा किया, और स्वास्थ्य प्रबंधक अंजनी कुमार को निलंबित कर दिया गया.

पीएमसीएच अधीक्षक डॉ आईएस ठाकुर ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम पूरे मामले की जांच कर रहे हैं, और अगर कोई दोषी पाया गया, तो हम कार्रवाई करेंगे’.

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इस बीच, अस्पताल ने बताया कि चुन्नू कुमार की हालत, जिन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया था, अब स्थिर है.


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क्या है मामला

अस्पताल के रिकॉर्ड्स के मुताबिक़, 40 वर्षीय चुन्नू कुमार को शुक्रवार को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था, और उसका कोविड टेस्ट पॉज़िटिव था.

तीमारदारों और परिवार के सदस्यों का कोविड वॉर्ड में दाख़िला मना है, लेकिन उसके रिश्तेदारों का कहना है, कि शनिवार तक उन्हें मालूम था, कि वो ‘ठीक हो रहा था’.

कुमार के भाई बृज बिहारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘लेकिन, रविवार को सुबह 10 बजे हमें ख़बर दी गई कि उसकी मौत हो गई है. पीएमसीएच अधिकारियों ने हमें एक शव दिया, जो काली पॉलीथीन में लिपटा हुआ था. उन्होंने हमें चेहरा नहीं देखने दिया, और ये भी कहा कि हम शव को, वापस अपने गांव नहीं ले जा सकते’.

उसने बताया कि अस्पताल ने मृत्यु प्रमाण पत्र दे दिया, और उनसे शव का दाह संस्कार, पटना में ही करने के लिए कहा.

शव की अंत्येष्टि होने ही वाली थी, जब कुमार की पत्नी ने शक ज़ाहिर किया, कि शव की लंबाई उसके पति की लंबाई से मेल खाती नहीं दिख रही थी. बृज बिहारी ने कहा, ‘उसने तुरंत शव का चेहरा देखने की मांग की. तब हमें चेहरा दिखाया गया, और स्पष्ट हो गया कि शव कुमार का नहीं था’.

परिवार फिर तुरंत पीएमसीएच वापस पहुंचा, और चुन्नू कुमार का मृत्यु प्रमाणपत्र दिखाते हुए, उसने परिसर के अंदर हंगामा खड़ा कर दिया.

पीएमसीएच अधिकारी बृज बिहारी के पीपीई किट पहनकर, कोविड वॉर्ड के अंदर दाख़िल होने पर सहमत हो गए. उसने कहा, ‘मैंने देखा कि मेरा भाई उससे बेहतर हाल में था, जिसमें मैंने उसे पहले देखा था’.

दिप्रिंट से बात करते हुए कविता देवी ने कहा, कि जब पीएमसीएच ने उसे उसके पति की ‘मौत’ के बारे में बताया, तो वो स्तब्ध रह गई थी. ‘आख़िरी बार जब हमने उन्हें देखा, तो वो स्थिर लग रहे थे. मैं पूरे दिन रोती रही थी, और बाद में मुझे ये जानकर राहत हुई, कि वो शव मेरे पति का नहीं था’.

परिवार को जो शव दिया गया, वो किसी कोविड मरीज़ का था, और वो अभी तक लावारिस रखा है.

‘घोर लापरवाही’

अधिकारियों को पीएमसीएच में हंगामे की सूचना दिए जाने पर, पटना ज़िला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर सिंह ने सोमवार को अस्पताल को आदेश दिया, कि मामले की जांच कराई जाए, और ग़लती के ज़िम्मेवार स्टाफ मेम्बर्स का पता लगाया जाए. उन्होंने अस्पताल अधिकारियों को ये सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया, भविष्य में ऐसी ग़लतियां न हों.

लेकिन, शर्मसार करने वाली इस गड़बड़ी से कुछ दिन पहले ही, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक प्रेस वार्ता में दावा किया था, कि बिहार में कोविड की ताज़ा लहर से निपटने के लिए, व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं. इससे विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौक़ा मिल गया.

आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र यादव ने दिप्रिंट से कहा, ‘बिहार में कोविड मरीज़ों को जिस बेरुख़ी और घोर लापरवाही का सामना करना पड़ता है, वो पीएमसीएच की इस गड़बड़ी में झलकता है. कोविड वॉर्ड्स के सभी बिस्तर भरे हुए हैं. स्टाफ के बहुत से सदस्यों के भी टेस्ट हुए हैं. सरकार को केवल दावों से आगे बढ़कर, बहुत कुछ करने की ज़रूरत है’.

9 अप्रैल को मीडिया को मुख़ातिब करते हुए, सीएम ने सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने की घोषणा की थी, और थिएटरों में 50 प्रतिशत क्षमता के प्रतिबंध, तथा महाराष्ट्र से आने वालों के टेस्ट करवाने का भी ऐलान किया था. उन्होंने कुछ क्वारंटीन केंद्र खोलने का भी प्रस्ताव दिया था.

उन्होंने कहा था, ‘हमने रात के कर्फ्यू या लॉकडाउन के बारे में नहीं सोचा है, लेकिन हम स्थिति पर नज़र बनाए रखेंगे’.

बिहार में कोविड में उछाल

एक महीना पहले, बिहार ने दावा किया था कि उसके यहां केवल 250 कोविड मरीज़ थे. सोमवार को ये संख्या 17,050 थी. पिछले तीन दिन में राज्य में हर रोज़ 3,000 से अधिक मामले सामने आए.

ये संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि बिहार के प्रवासियों ने महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों से, लौटना शुरू कर दिया है.

स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि वो हर रोज़, क़रीब 80,000 टेस्ट करा रहा है.

रविवार और मंगलवार के बीच, महाराष्ट्र से आने वाले सौ से अधिक यात्रियों के कोविड टेस्ट, पॉज़िटिव पाए गए हैं.

इस बार मृत्यु दर ऊंची है. राज्य सरकार ने 2020 के बाद कोविड मौतों की अधिकारिक संख्या 1,610 बताई है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार से रविवार के बीच, कम से कम 30 लोग, कोविड के चलते मौत का शिकार हुए हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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