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अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में पीएम मोदी ने ‘पाकिस्तान’ का नाम तक नहीं लिया

इमरान का मुजफ्फराबाद असेंबली में भाषण देना और सारा ध्यान भारत पर रखना दिखाता है कि मोदी सरकार के कश्मीर से जुड़े फैसले ने कैसे पाकिस्तान को चिंतित किया है.

PM Narendra Modi and Pakistan PM Imran Khan
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान | फाइल फोटो / यूट्यूब

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम ही नहीं लिया, हालांकि परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो भी देश आतंकवाद को बढ़ावा देता है. उससे सख्ती से निपटा जायेगा और भारत का आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए दृढ़ संकल्प है. वहीं, 14 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमत्री का स्वतंत्रता दिवस का भाषण भारत पर केंद्रित रहा. वहीं अपनी आजादी के सौ साल पूरा करने जा रहे अफ़गानिस्तान को भी बधाई दी है.

मोदी ने कहा कि आतंकवाद ने भारत ही नहीं, सभी पड़ोसी देशों पर अपना दुष्प्रभाव डाला है. बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका सभी इसकी मार झेल चुके है.

श्रीलंका में 21 अप्रैल को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद से सभी को साथ मिल कर लड़ना है. उन्होंने कहा,  ‘हम आतंकवाद को खत्म करने के लिए कटिबद्ध हैं और अपने इस रुख पर अडिग हैं.’


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प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान को 19 अगस्त को आने वाले उनके स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं दीं. वहीं यह भी कहा कि अफगानिस्तान अपनी आजादी के सौंवें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है. अफगानिस्तान में अमरीका तालिबान से शांति समझौता करने पर तत्पर है और इस पर भारत की नज़र है. अमरीका-तालिबान के संभावित समझौत के बाद पाकिस्तान के रवैये को लेकर भी भारत चिंतित है.

पाकिस्तान भारत के रिश्ते एक विकट मोड़ पर है क्योंकि कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए हटाए जाने के बाद पाकिस्तान की प्रतिक्रिया बौखलाहट भरी रही. दोनों देशों के बीच व्यापार रोक दिया गया, रेल सेवा रोक दी गई और पाकिस्तान ने भारत से राजनयिक रिश्ते भी कमज़ोर कर लिए. मोदी सरकार पहले दिन से ही कहती रही है कि आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकती.

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वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस को ‘कश्मीरी आवाम’ के साथ एकजुटता दिखाने के दिवस के रुप में मनाने का संकल्प लिया. उनका मुजफ्फराबाद जाकर वहां कि असेंबली में भाषण देना और सारा ध्यान भारत पर रखना दिखाता है कि मोदी सरकार के कश्मीर से जुड़े फैसले ने कैसे पाकिस्तान को चिंतित किया है. उनका आरोप था कि भारत बालाकोट से बड़ी कार्यवाई की योजना बना रहा है और उन्होंने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को बचाने के लिए फौज को तैयार रहने को भी कहा है.

एक तरफ जहां भारत के आंतरिक मामले पर इमरान की बौखलाहट झलक रही है, वही दूसरी तरफ मोदी की विश्व दृष्टि में पाकिस्तान को अहम जगह देने की कोई मंशा नज़र नहीं आ रही.

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