होम देश हृदय रोगों के जोखिम के आकलन को गैर-प्रयोगशाला आधारित जांच उपकरण 85...

हृदय रोगों के जोखिम के आकलन को गैर-प्रयोगशाला आधारित जांच उपकरण 85 प्रतिशत सटीक: अध्ययन

अहमदाबाद, चार सितंबर (भाषा) किसी व्यक्ति में 10 साल में हृदय रोग (सीवीडी) होने के खतरे का आकलन करने के लिए एक गैर-प्रयोगशाला आधारित जांच उपकरण को भारतीय परिवेश में 85 प्रतिशत सटीक पाया गया है। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

गांधीनगर स्थित भारतीय जन स्वास्थ्य संस्थान (आईआईपीएच) द्वारा किये गये अध्ययन के प्राथमिक चरण में इस उपकरण को 85 प्रतिशत सटीक पाया गया है।

जैव चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ. कोमल शाह ने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के अनुदान की मदद से किये जा रहे अध्ययन के प्रारंभिक निष्कर्ष से पता चलता है कि भारत जैसे संसाधन सीमित देश में किसी व्यक्ति में सीवीडी के लिए जांच के वास्ते इस उपकरण को अपनाया जा सकता है।

डा. शाह ने कहा, ‘‘हम योजना बना रहे हैं कि हम भारत के लिए ऐसे उपकरण कैसे विकसित कर सकते हैं जिसमें सीवीडी खतरे का आकलन करने के लिए जांच करने के वास्ते प्रयोगशाला और कुशल व्यक्तियों की आवश्यकता नहीं है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीयों में कोलेस्ट्रॉल हृदय संबंधी खतरों का एक बड़ा संकेतक नहीं है। उन्होंने कहा कि अध्ययन में इस उपकरण को गुजरात के लगभग 2,100 प्रतिभागियों के बीच प्रयोगशाला उपकरण की तुलना में 85 प्रतिशत सटीक पाया गया है।

आईआईपीएच-जी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शाह ने बताया कि उपकरण को अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों में आबादी के लिए मान्य किया गया था लेकिन भारतीय आबादी के लिए नहीं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस उपकरण की खूबी यह है कि आपको खतरे का सटीक प्रतिशत मिलता है, न कि कुछ अस्पष्ट अनुमान।’’

भाषा

देवेंद्र अमित

अमित

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

Exit mobile version