(प्रमोद कुमार)
पटना, 18 जून (भाषा) राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने राजगीर (नालंदा) में प्राचीन संरचनाओं और पूर्वी चंपारण जिले के लौरिया में स्थित अशोक स्तंभ के संरक्षण के लिए विरासत उपनियमों का मसौदा जारी किया है। दोनों ही स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की देखरेख में हैं।
राजगीर के संरक्षित स्थल में जरासंध का अखाड़ा (युद्ध का मैदान), बिंबिसार कारागार, जैन मंदिर, महादेव मंदिर, सोन भंडार गुफा, मनियार मठ, जीवकामरावण (मठ/प्राचीन अस्पताल), रथ पहिया चिह्न सहित कई खंडित मंदिर और पत्थर की संरचनाएं हैं।
स्मारक ज्यादातर मौर्यकालीन ईंटों, पत्थर, मिट्टी का गारा रेत और इससे मिलाकर बने मिश्रण से निर्मित हैं।
एएसआई, पटना सर्कल की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘विरासत उपनियम एक स्मारक या स्थल के लिए विशिष्ट हैं। एनएमए को स्थल के निकटतम परिवेश और स्थानीय विकास के मुद्दों पर विचार करने के नियमों को तैयार करने का कार्य दिया गया है। प्राधिकरण ने नौ जुलाई तक लोगों से मसौदा उपनियमों पर सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं।’’
शहरीकरण, तेजी से विकास और बढ़ती जनसंख्या के कारण केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों के आसपास भूमि पर लगातार दबाव बढ़ रहा है।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘यह अक्सर स्मारक/स्थल पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, यह महत्वपूर्ण है कि स्मारकों के आसपास विकास को विनियमित किया जाए।’’
जरासंध का अखाड़ा तब चर्चा में आया था जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल नवंबर महीने में अपनी राजगीर यात्रा के दौरान घोषणा की थी कि राज्य सरकार प्राचीन शहर में जरासंध का स्मारक बनाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘मैंने पहले भी कई बार एएसआई से इस स्थल के बेहतर रखरखाव के लिए राज्य सरकार को सौंपने के लिए कहा है।’’
राजगीर के लिए मसौदा उपनियम के अनुसार, ‘‘स्मारक ज्यादातर एक-दूसरे के निकट हैं या राजगीर पहाड़ियों की तलहटी में हैं। इस क्षेत्र के आसपास कोई विकास दबाव, शहरीकरण या जनसंख्या दबाव नहीं है। निर्माण के सामान्य नियम सभी परियोजनाओं पर बिहार भवन निर्माण उपनियम 2014 के अनुसार लागू होंगे।’’
अशोक स्तंभ को लौर स्तंभ के नाम से भी जाना जाता है और जहां तक इसके मसौदा उपनियमों का संबंध है तो इसके दस्तावेजों के अनुसार, ‘‘300 वर्गमीटर से अधिक के भूखंडों के लिए इसकी परिधि में न्यूनतम एक मीटर चौड़ी हरित पट्टी को विकसित करने और इसे बनाए रखने की आवश्यकता होती है।’’
मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) की ओर जाने वाली सड़क पर गोबिंदगंज थाना से 6.4 किलोमीटर उत्तर में लौरिया अरेराज गांव स्थित है। यहां 249 ईसा पूर्व में अशोक द्वारा बनवाए गए ऊंचे शिलास्तंभों में से एक स्थित है।
भाषा अनवर सुरभि
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