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2023 के लिए NHAI का टार्गेट—हर 40-60 km पर ई-वाहन चार्जिंग स्टेशन, 40,000 किमी हाईवे कवरेज होगा

रोड सेक्रेटरी और एनएचएआई अध्यक्ष गिरिधर अरमाने ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क किनारे मिलने वाली सुविधाओं को बढ़ाने की कवायद के तहत 700 चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे.

इलेक्ट्रिक व्हिकल/दिप्रिंट

नई दिल्ली: रोड सेक्रेटरी गिरिधर अरमाने ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ाने की कोशिश के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर हर 40 से 60 किलोमीटर के बीच चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखा है.

एनएचएआई अध्यक्ष अरमाने ने कहा कि प्राधिकरण 2023 तक 35,000-40,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों को चार्जिंग स्टेशनों के साथ कवर करने की योजना बना रहा है. अगले दो सालों में कुल मिलाकर 700 चार्जिंग स्टेशन बनेंगे.

अरमाने ने कहा, ‘यदि कोई भी इलेक्ट्रिक वाहन से राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा कर रहा हो तो उसे यह चिंता करने की कोई जरूरत नहीं रहेगी कि कहीं बीच रास्ते में वाहन बंद न हो जाए.

ये चार्जिंग स्टेशन विस्तारित हो रहे मौजूदा राजमार्गों के साथ-साथ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर रियायत पाने वाले निजी क्षेत्र की तरफ से उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं के तहत स्थापित किए जाएंगे.

अरमाने ने कहा, ‘हमने कंसेशन फैसिलिटी में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग सुविधाओं को भी शामिल करने के लिए इससे संबंधित समझौते में संशोधन किया है. इसके अलावा इसमें एक रेस्तरां, शौचालय, ड्राइवरों के लिए विश्राम कक्ष और पेट्रोल और डीजल डिस्पेंसिंग मशीन की भी सुविधा होगी.’

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अब तक, एनएचएआई ने 100 ऐसी वेसाइड सुविधाएं स्थापित करने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन भी शामिल होंगे.

आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘हमने हाईवे के किनारे 100 तरह की सुविधाओं के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं और इस पर बहुत अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है. ऐसी हर सुविधा के लिए कम से कम छह-सात बोलियां मिली हैं. एक बार बोलियां मंजूर होने के बाद (काम) पूरा होने में करीब छह महीने लगेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘अगले दो वर्षों तक 700 वेसाइड सुविधाओं के लिए बोली लगाने की योजना है, जिनमें चार्जिंग स्टेशन होंगे. आखिरकार, हम पूरे राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को कवर करना चाहते हैं.’

सड़क किनारे ऐसी सुविधाएं स्थापित करने के लिए दो से चार हेक्टेयर के बीच भूखंड की जरूरत होगी. जबकि फोर-लेन सड़कों और राजमार्गों के लिए दो हेक्टेयर भूमि और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे जैसी ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिए अधिक भूमि उपलब्ध होगी.

अरमाने ने कहा, ‘जहां जमीन उपलब्ध है, वहां बड़े भूखंड लिए जाएंगे. हम पूरे भूखंड रियायत पाने वालों को मुहैया करा रहे हैं.’

एनएचएआई ने मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क और पोर्ट कनेक्टिविटी रोड जैसी अन्य परियोजनाओं के अलावा सड़क किनारे सुविधाएं मुहैया कराने में तेजी लाने के उद्देश्य से ही नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड की स्थापना की है.


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इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की जरूरत क्यों

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तो बढ़ रही है लेकिन इनकी चार्जिंग के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा न होना निराशाजनक बना हुआ है.

मार्च में संसद में एक लिखित जवाब में तत्कालीन भारी उद्योग राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि 2017-18 में 69,012 पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहन बेचे गए थे. 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 1,43,358 और 2019-20 में 1,67,041 हो गई.

इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. इसके तहत अप्रैल 2019 में 10,000 करोड़ रुपये के आउटले के साथ एफएएमई (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना का दूसरा चरण शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य सार्वजनिक और साझा परिवहन वाले वाहनों के विद्युतीकरण के लिए सपोर्ट सिस्टम और 7,000 इलेक्ट्रिक बसों, पांच लाख तिपहिया, 55,000 चार पहिया यात्री कारों और 10 लाख दुपहिया वाहनों के लिए सब्सिडी की व्यवस्था करना है.

सरकार ने पहले इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दरों को 12 से घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया था.


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