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फारूक की रिहाई से खुश महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने कहा- सरकार को सद्बुद्धि आए, सभी हों रिहा

एनसी नेता फारूक अब्दुल्ला की रिहाई के बाद इल्तिजा मुफ्ती ने आशा व्यक्त की कि न केवल उनकी मां बल्कि कश्मीर में बंदी बनाए गए सभी लोगो को रिहा किया जाएगा.

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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की इल्तिजा मुफ्ती, फाइल फोटो/ सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

नई दिल्ली: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महूबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती को आशा है कि सरकार को सद्बुद्धि आयेगी और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई के बारे में सोचेगी.

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लगाने के बाद हिरासत में रह रहीं महबूबा मुफ्ती का ट्विटर हैंडल उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती संभाल रही हैं.

दिप्रिंट से बातचीत में इल्तिजा ने कहा कि ‘मुझे आशा है कि सरकार को सद्बुद्धि आये नहीं तो हम आशा करते हैं कि अदालत हमें राहत देगी.’

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर सरकार ने दमनकारी पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (पीएसए) लगा दिया था जिसको शुक्रवार को वापस ले लिया गया.

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फारूख अब्दुल्ला के अलावा उनके पुत्र और एनसी नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती पर भी पीएसए लगा हुआ है. उमर और महबूबा के परिवारों ने इसको अदालत में चुनौती भी दी है.

इल्तिजा मुफ्ती ने आशा व्यक्त की कि न केवल उनकी मां बल्कि कश्मीर में बंदी बनाए गए सभी लोगो को रिहा किया जाये. उनका तर्क था कि ‘सरकार को ये करना ही पड़ा क्योंकि आखिर वो कितने समय तक किसी को बंदी बनाकर उसे न्यायोचित सिद्ध कर सकते थे. उनको भी पता है कि वो लोगों को बिना किसी ठोस कारण के बेवजह बंदी बनाए नहीं रख सकते.’

सरकार ने अगस्त में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही जम्मू कश्मीर पर कई पाबंदियां लगा दी थी. वहां पर इंटरनेट और ब्राडबैंड सेवाएं बंद कर दी गई थीं, जिसको फरवरी में ही भारी विरोध के बाद खोला गया. जम्मू कश्मीर में शांति बहाल रखने और सुरक्षा का हवाला देकर पाबंदिया लगाई गई थीं और सरकार का तर्क है कि इन कदमों के कारण ही वे वहां हिंसा रोक पाये और शांति बना पाये.

इल्तिजा का आरोप है कि भारत सरकार पर लगातार अंतराष्ट्रीय दबाव बना है जिसके चलते ही इंटरनेट भी बहाल किया गया और सरकार को पता था कि दुनिया के सामने लंबे समय तक इस तरह लगाई गई अलोकतांत्रिक पाबंदियों को सही साबित करना मुश्किल होगा.

इल्तिजा मुफ्ती का आरोप था कि सरकार के पास अगस्त से लेकर अभी तक केंद्र सरकार की कोई साफ रणनीति नहीं थी और वो दो कदम आगे तो एक कदम पीछे लेते रहे हैं. उनका कहना था कि ‘मेरी मां एक फाइटर हैं और वो ये लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. चाहे इसमें कितना ही समय लग जाये.’

लंबे समय तक हिरासत में रहने के बावजूद वे कहती हैं कि ‘मेरी मां की निर्णय लेने की क्षमता में कोई फर्क नहीं पड़ा है. एक परिवार के तौर पर हमने इसके खिलाफ लड़ने का फैसला किया है.’

फारूक अब्दुल्ला की रिहाई के लिए हाल में ही कई विपक्षी नेताओं ने एक साझा वक्तव्य जारी किया था जिसमें एनसीपी नेता शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, सीपीआईएम के सीताराम येचुरी शामिल थे. राज्य में फारूक, उमर और महबूबा के अलावा नेश्नल कांफ्रेस के अली मोहम्मद और 7 अन्य नेताओं पर भी पीएसए लगा हुआ है.

संसद में हाल में गृह मंत्री ने बताया था कि जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त से अब तक 7357 लोगों को हिरासत में लिया गया था जिसमें नेता, पृथकतावादी, पत्थरबाज़, एक्टीविस्ट,वकील और मिलिटेंट्स शामिल है.

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