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‘मेरे पति ने मुस्लिमों को भी नौकरी दी’- कन्हैया लाल के हत्यारों के लिए भी उनके जैसा ही हश्र चाहता है परिवार

कन्हैया लाल की कथित तौर पर 2 मुस्लिम युवकों ने हत्या कर दी थी, जिन्होंने उन्हें एक कथित सोशल मीडिया पोस्ट के लिए दंडित करने की कोशिश की थी. अब उनका परिवार चाहता है कि हत्यारों को भी सार्वजनिक रूप से सजा मिले.

मृतक कन्हैया लाल तेली की पत्नी यशोदा (लाल साड़ी में) | फोटो: मनीषा मोंडल | दिप्रिंट

उदयपुर: चालीस वर्षीय यशोदा उदयपुर के सेक्टर 14 स्थित अपने घर से बुधवार को दुल्हन बनकर निकलीं. उन्होंने वही लहंगा पहन रखा था जो उन्होंने दो दशक से भी पहले कन्हैया लाल तेली के साथ अपनी शादी के अवसर पर पहना था.

उसके चेहरे पर दर्द और गुस्सा साफ-साफ झलक रहा था.

इसके एक दिन पहले, कन्हैया लाल- जो पेशे से एक दर्जी थे- की कथित तौर पर दो मुस्लिम युवकों द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. उन्होने पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा, जिन्होंने पिछले महीने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की थी, के समर्थन में कन्हैया लाल द्वारा की गई एक कथित सोशल मीडिया पोस्ट के लिए उन्हें दंडित करने के प्रयास में यह जघन्य कृत्य किया था.

पुलिस के द्वारा मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद के रूप में पहचाने गए इन दोनों आरोपियों को मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से इस मामले को अपने हाथों में लेने को कहा है.

इस घृणित अपराध के कथित दृश्यों को सोशल मीडिया पर साझा किया गया था, जहां इन दोनों को बड़े-बड़े चाकू लहराते हुए इस अपराध की जिम्मेदारी लेते हुए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकाते हुए देखा गया था.

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बुधवार को कन्हैया लाल का अंतिम संस्कार कर दिया किया गया. लेकिन उनकी पत्नी स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार उनकी तेरहवीं, यानी कि किसी की मृत्यु के 13 वें दिन मनाया जाने वाला अनुष्ठान, किए जाने तक एक विवाहित महिला के रूप में- न की किसी विधवा के जैसे- कपड़े पहनना जारी रखेंगी.

एक के बाद एक संवाददाता द्वारा उनके पति की मृत्यु के बारे में पूछे जाने पर यशोदा सिसक पड़ीं लेकिन उन्होंने अपने उत्तरों को दोहराने को लेकर कोई झुंझलाहट नहीं दिखाई.

इस मामले में की गई गिरफ्तारी, या उनके परिवार के सदस्यों के लिए नौकरी और सरकार के द्वारा दिए जा रहे आर्थिक मुआवजे से संतुष्ट ना होते हुए उन्होंने कहा कि वह सिर्फ ‘न्याय’ चाहती है. उन्होंने कहा कि अपराधियों को राज्य द्वारा फांसी नहीं दी जानी चाहिए, बल्कि उनका सिर काट दिया जाना चाहिए या फिर उन्हें जिंदा जला दिया जाना चाहिए.

यशोदा ने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रही हूं कि सभी मुसलमान एक जैसे हैं, लेकिन जो कुछ भी हुआ उसके लिए मुस्लिम समुदाय को ही दोषी ठहराया जाना चाहिए. जिस तरह से (कन्हैया लाल की हत्या के खिलाफ उपजे गुस्से में) हिंदू समुदाय इकट्ठा हो रहा है, यह उन्हें देने का सही जवाब है.’

यह दावा करते हुए कि कन्हैया लाल ने जानबूझकर निलंबित भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा की टिप्पणी को साझा नहीं किया था और उन्होंने अनजाने में ऐसा करने के लिए माफी भी मांगी थी. यशोदा ने कहा, ‘मेरे पति ने अपनी दुकान में मुस्लिम कामगारों को भी काम पर रखा था. वह कहते थे कि ईश्वर तो एक ही है और वे इस्लाम को कमतर धर्म नहीं मानते थे. हमारे मुस्लिम पड़ोसियों के साथ भी हमारे अच्छे संबंध थे.’


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‘अच्छे पति और पिता’

कन्हैया लाल की हत्या के एक दिन बाद पूरे उदयपुर जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया था, सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था, और कुछ स्थानीय निवासी मुस्लिम विरोधी भावनाओं को आवाज दे रहे थे.

इस बीच, कन्हैया लाल का परिवार उस आदमी को याद करने में खोया हुआ था जो वह वास्तव में थे.

यशोदा ने उन्हें एक मिलनसार, देखभाल करने वाला पति और पिता बताया. वे कहती हैं, ‘पिछले करवा चौथ (देश के कुछ हिस्सों में विवाहित महिलाओं द्वारा पति की रक्षा के लिए किया जाने वाला व्रत) पर उन्होंने मुझे 4,000 रुपये की एक साड़ी उपहार में दी थी. क्या सभी पति आमतौर पर ऐसा करते हैं?’

मृतक कन्हैया लाल के बेटे तरुण और यश | फोटो: मनीषा मोंडल | दिप्रिंट

पारिवारिक तस्वीरों में इस दंपति और उनके दो बेटों, तरुण और यश, जिनकी उम्र क्रमशः 21 और 18 वर्ष है, को उदयपुर की झीलों में नाव की सैर करते हुए दिखाया गया है. यशोदा ने कहा कि जब भी कन्हैया लाल के पास समय होता, पूरा परिवार उदयपुर के निकट स्थित तीर्थ स्थानों या गुजरात में रहने वाले उनके रिश्तेदारों के पास भी जाता था.

उन्होनें कहा, ‘वे एक व्यस्त आदमी थे, दुकान में सुबह 8 से रात 8 बजे तक काम करते थे. उनके पास शायद ही कभी खाली समय होता था. लेकिन जब भी उनके पास ऐसा मौका होता था, उन्होंने हमेशा इसे अपने परिवार को ही दिया.’

कन्हैया लाल की भतीजी मंजू बेन ने उन्हें एक ‘हसमुख व्यक्ति के रूप में याद किया, जो हमेशा अपने विस्तृत परिवार के लिए मौजूद रहते थे’.

उन्होंने कहा, ‘मेरी मां की मौत 3 साल पहले हो गई थी. तब से वह लगातार हमारे संपर्क में रहते थे. कॉल करना कभी नहीं भूलते थे. हमेशा हमसे पूछते रहते थे कि क्या हमें किसी चीज की जरूरत है.’

सरकार द्वारा दिए जा रहे मुआवजे के वादों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम कोई ऐसी सरकारी नौकरी नहीं चाहते हैं जिसमें हर महीने सिर्फ 7,000 रुपये की पगार मिले. हम अपने बच्चों के लिए सम्मानजनक नौकरी चाहते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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