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पैंडोरा पेपर्स मामले में शामिल लोगों और संस्थाओं की मल्टी एजेंसी ग्रुप ने शुरू की प्राथमिक जांच

आईसीआईजे ने एक रिपोर्ट जारी कर टैक्स चोरी का मामला उजागर किया था जिसमें 200 देशों के लोगों समेत 380 भारतीयों के नाम भी शामिल था.

प्रतिनिधि छवि | publicdomainPictures.net
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नई दिल्ली: मल्टी एजेंसी ग्रुप (एमएजी) ने पैंडोरा पेपर्स मामले में आए संस्थाओं और व्यक्तियों के नाम को लेकर प्राथमिक जांच शुरू कर दी है. इसने पिछले हफ्ते इस मामले को लेकर अपनी पहली मीटिंग की थी.

इस बैठक की अध्यक्षता सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) के चेयरमैन जेबी मोहपात्रा कर रहे हैं. एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के अधिकारी इस मीटिंग में शामिल हुए.

बैठक में मौजूद सूत्रों ने बताया कि, बैठक में इसी साल 3 अक्टूबर को इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट पर चर्चा की गई जिसमें उन रइसों के नामों का खुलासा किया गया था जिन्होंने कम टैक्स या टैक्स ना लेने वाले क्षेत्रों में जाकर कंपनियों और संस्थाओं को बनाया या पैसा लगाया.

टैक्स चोरी के इस मामले में 200 देशों के लोगों समेत 380 भारतीयों के नाम भी शामिल हैं.

सूत्रों ने कहा, ‘मीडिया में अभी तक 380 भारतीय लोगों और संस्थाओं में से कुछ ही के नाम सामने आए हैं. आईसीआईजे द्वारा बाकी भारतीय संस्थाओं के नाम जारी किए जाने के बाद ही एमएजी अपनी जांच तेज़ करेगा.’ बैठक में फैसला लिया गया कि एमएजी ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ़ इंफॉर्मेशन (एईओआई) के जरिए पेैंडोरा पेपर्स में शामिल भारतीय नामों के बारे में संबंधित देशों से जानकारी मांगेगा.

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कैसे जानकारी हासिल कर सकता है भारत?

एईआईओ के माध्यम से टैक्स अधिकारी ‘आय या विदेशों में खाते’ का मिलान अपने टैक्स रिटर्न में घोषित इनकम के साथ करते हैं ताकि कर चोरी की घटनाओं का पता लगाया जा सके. भारत ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स और बहामास समेत 96 देशों से जानकारी हासिल करने के लिए एईओआई संबंध को सक्रिय किया है जहां भारतीयों ने अपनी संपत्ति का निवेश किया है. सूत्रों ने आगे बताया कि एमएजी के पास ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) का एक मंच भी है, जहां स्पॉन्टेनियस एक्सचेंज इंफॉर्मेशन के जरिए भारत संबंधित देशों से जानकारी मांग सकता है.

टैक्स अधिकारियों के पास कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंर्ड (सीआरएस) का प्रावधान भी है, जहां सभी ग्राहकों के घर की पहचान करने के लिए सीआरएस को वित्तीय संस्थानों की ज़रूरत होती है. ज्यादातर मामलों में उन ग्राहकों की जानकारी हासिल की जाती है जो देश/क्षेत्राधिकार के बाहर रहते हैं और वहीं उनके बैंक खाते होते हैं. आईसीआईजे के मुताबिक 380 भारतीयों के नाम दुनिया के उन रईसों की लिस्ट में शामिल है जो वित्तीय लेनदेन के माध्यम से अपनी संपत्ति को बचाने और लाखों डॉलर की संपत्ति छिपाने के लिए टैक्स हेवन का इस्तेमाल करते हैं.

इससे पहले एक बयान में, सीबीडीटी ने कहा था कि ‘सरकार इस मामले में जानकारी हासिल करने के लिए विदेशी संस्थाओं के साथ भी जुड़कर काम करेगी. भारत सरकार भी एक अंतर-सरकारी समूह का हिस्सा है जिसमें इस तरह के लीक से जुड़े कर जोखिमों को प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए सहयोग और अनुभव साझा किए जाते हैं.’

बता दें कि आईसीआईजे पैंडोरा पेपर्स से पहले एचएसबीसी, पनामा पेपर्स और पैराडाइज पेपर्स जैसे कर चोरी के मामलों का खुलासा कर चुका है.


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