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मुकेश अंबानी ने अडाणी को पछाड़ा, सबसे अमीरों के टॉप 10 लिस्ट में 9वें स्थान पर पहुंचे

गौतम अडाणी के शेयरों में गिरावट के चलते उनकी नेटवर्थ घटकर 83.9 अरब डॉलर रह गई है. वहीं मुकेश अंबानी ने अपनी 84.3 अरब डॉलर नेटवर्थ के साथ गौतम अडाणी से आगे निकल गये हैं.

मुकेश अंबानी और अडानी, फाइल फोटो.

नई दिल्ली : देश को उद्योगपति मुकेश अंबानी ने गौतम अडाणी को सबसे अमीरों की लिस्ट में पीछे छोड़ दिया है. अडानी फोर्व्स रीयल-टाइम लिस्ट से बाहर हो गये हैं.

गौतम अडाणी के शेयरों में गिरावट के चलते उनकी नेटवर्थ घटकर 83.9 अरब डॉलर रह गई है. वहीं मुकेश अंबानी ने अपनी 84.3 अरब डॉलर नेटवर्थ के साथ गौतम अडाणी से आगे निकल गये हैं.

गौरतलब है कि हाल हीं अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप के वित्तीय फ्रॉड का खुलासा किया था, जिसके बाद उनके शेयरों में भारी गिरावट हुई जिससे वह टॉप तीसरी पॉजिशन की अमीरों को लिस्ट से बाहर हो गये हैं. वह 10वें स्थान पर पहुंच गये हैं. इससे मुकेश अंबानी को फायदा हुआ है. मुकेश अंबानी 9वें स्थान पर पहुंच गये हैं.

इस लिस्ट में बर्नार्ड अर्नाल्ट एंड फेमिली पहले नंबर पर एलन मस्क दूसरे और जेफ बेज़ाज तीसरे नंबर पर हैं.

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पिछले 24 घंटे में अडाणी के शेयर 10 अरब डॉलर घटे थे और वह 8वीं पॉजिशन पर आ गये थे.

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट कई कंपनियों पर डाल चुकी है असर

इससे पहले अडाणी समूह की कंपनियों पर गंभीर अनियमितता का आरोप लगाने वाली अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की शुरुआत छह साल पहले दुनिया की बड़ी कंपनियों में गड़बड़ियों का पता लगाने और उनके शेयरों पर दांव लगाने के इरादे से की गई थी.

कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले नैथन एंडरसन ने वर्ष 2017 में इस फॉरेंसिक वित्तीय शोध कंपनी की बुनियाद रखी थी. उस समय एंडरसन ने कारोबार जगत की मानव-निर्मित त्रासदियों की पहचान को इसका उद्देश्य घोषित किया था.

हिंडनबर्ग के नाम पर गठित इस अमेरिकी फर्म ने कुछ दिनों पहले जब दुनिया के सर्वाधिक धनी लोगों में शुमार गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह की कंपनियों के बारे में एक रिपोर्ट जारी की तो शेयर बाजार के दो कारोबारी दिवसों में ही इन कंपनियों की पूंजी 51 अरब डॉलर घट गई. इसके साथ ही अडाणी अरबपतियों की सूची में चार पायदान नीचे आ गए थे.

अडाणी समूह की प्रतिनिधि कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) शुक्रवार को ही खुलने वाला था. इसके ऐन पहले आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट से इसके शेयरों में बड़ी गिरावट आई.

रिपोर्ट के मुताबिक, अडाणी समूह दशकों से ‘खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है. हालांकि समूह ने इस रिपोर्ट को नकारते हुए कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने गलत इरादे से बिना कोई शोध और पूरी जानकारी के रिपोर्ट जारी की है.

अडाणी समूह की तरफ से निवेशकों को आश्वस्त करने की यह कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है. शुक्रवार को इस रिपोर्ट का निवेशकों पर बेहद नकारात्मक असर देखा गया और समूह की ज्यादातर कंपनियों के शेयर 20 प्रतिशत तक टूट गए. इसकी वजह से शेयर बाजार तीन महीनों के निचले स्तर पर आ गए.

भारतीय शेयर बाजार में कोहराम मचा देने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च खुद को एक एक्टिविस्ट निवेश शोध कंपनी बताती है. इसके अलावा यह शेयरों की ‘शॉर्ट सेलिंग’ से भी जुड़ी हुई है. शॉर्ट सेलिंग के तहत उधार लिए गए शेयरों को इस उम्मीद में बेचा जाता है कि बाद में निचले स्तर पर उसे खरीद लिया जाएगा. शेयरों की कीमतें उम्मीद के मुताबिक गिरने पर ‘शॉर्ट सेलिंग’ करने वाले कारोबारियों को तगड़ा मुनाफा होता है.

खास तौर पर कंपनियों में लेखांकन से जुड़ी गड़बड़ियों, प्रबंधन या प्रमुख सेवा प्रदाताओं की भूमिका में गलत लोगों की मौजूदगी, संबंधित पक्ष के अघोषित लेनदेन, गैरकानूनी या अनैतिक कारोबारी एवं वित्तीय तौर-तरीकों के अलावा नियामकीय, उत्पाद या वित्तीय मसलों के बारे में जानकारी न देना जैसे पहलू उसके निशाने पर होते हैं.

हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट कहती है, ‘हम अपने निवेश निर्णय-निर्माण को अपने आधारभूत विश्लेषण से समर्थन देते हैं. वहीं हमारा मत है कि सबसे असरदार शोध परिणाम असामान्य स्रोतो से जुटाई गई सूचनाओं से उजागर होने वाले तथ्यों से निकलते हैं.’

हिंडनबर्ग रिसर्च की पिछली शोध रिपोर्टों के नतीजे कंपनियों की चिंताएं बढ़ा सकते हैं. अडाणी समूह से पहले इसने अमेरिका की लॉर्ड्सटाउन मोटर्स कॉर्प, निकोला मोटर कंपनी एवं क्लोवर हेल्थ के अलावा चीन की कांडी और कोलंबिया की टेक्नोग्लास के खिलाफ भी शोध रिपोर्ट प्रकाशित की थीं.

हिंडनबर्ग को सबसे ज्यादा चर्चा निकोला के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने पर मिली थी. इसने इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनी निकोला कॉर्प के खिलाफ सितंबर, 2020 में गंभीर आरोप लगाए थे. इलेक्ट्रिक ट्रक के प्रदर्शन संबंधी दावों के गलत पाए जाने के बाद आज निकोला कॉर्प का पूंजीकरण सिर्फ 1.34 अरब डॉलर रह गया है जबकि एक समय यह 34 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.

कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इसने अब तक दर्जन से अधिक कंपनियों में गड़बड़ियों को सामने लाया है. इनमें विन्स फाइनेंस, एससी वर्क्स, ब्लूम एनर्जी भी शामिल हैं. लगभग सभी मामलों में रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग को कानूनी एवं नियामकीय कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा है.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)


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