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भारत की हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का 98 वर्ष की आयु में निधन, PM मोदी ने जताया दुख

1987 में, स्वामीनाथन को उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

एमएस की फाइल फोटो स्वामीनाथन | एक्स /@msswaminathan

नई दिल्ली: प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और भारत की हरित क्रांति के पीछे प्रेरक शक्ति एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया.

स्वामीनाथन एक प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक थे, जो चेन्नई के तारामणि में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख थे.

पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वामीनाथन के निधन पर एक्स हैंडल से पोस्ट करते हुए कहा, “स्वामीनाथन जी के निधन से दुख पहुंचा है. देश के इतिहास के इस बेहद अहम काल के दौरान कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व कार्यों ने करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल दी और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की.”

7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जन्मे स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान अधिक उपज पैदा करें.

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संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा उन्हें “फादर ऑफ़ इकनोमिक इकोलॉजी” के रूप में जाना जाता था.

स्वामीनाथन के परिवार में उनकी तीन बेटियां सौम्या स्वामीनाथन, मधुरा स्वामीनाथन और नित्या स्वामीनाथन हैं.

1987 में, स्वामीनाथन को उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.


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