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मोदी सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल कसने की तैयारी में, मंत्रालय से 8 दिनों के अंदर मांगी लिस्ट

मंगलवार को भेजे गए एक पत्र में, डीओपीटी ने वित्त, एचआरडी और कानून सहित 45 सरकारी निकायों और मंत्रालयों को 13 दिसंबर तक भ्रष्ट अधिकारियों का विवरण भेजने के लिए कहा है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो : कमल किशोर / पीटीआई

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने 40 से अधिक मंत्रालयों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए गैर-प्रदर्शन करने वाले और भ्रष्ट अधिकारियों का विवरण भेजने के लिए कहा है.

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एक पत्र भेजा है, जिसे तत्काल रिमाइंडर के रूप में चिह्नित किया गया है. मंगलवार को यह पत्र भेजा गया है, जिसमें 45 मंत्रालय और सरकारी निकाय, नीति आयोग, कृषि, वित्त, मानव संसाधन विकास और कानून के मंत्रालय शामिल हैं.

डीओपीटी ने पत्र में मंत्रालयों को 13 दिसंबर तक नाम भेजने को कहा है.

डीओपीटी ने आगे कहा कि बहुत कम कैडर इकाइयों ने विभाग को उन लोगों के संबंध में इनपुट प्रदान किए हैं, जो FR 56 (j) और केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के नियम 48 के मौजूदा प्रावधानों के तहत आते हैं.

ये नियम सरकार को जनहित में कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की अनुमति देते हैं.

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डीओपीटी का नया संदेश छह महीने बाद आया, जब सरकार ने सभी मंत्रालयों को भ्रष्ट या गैर-प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों के नाम भेजने के लिए कहा, ताकि हर महीने जबरन सेवानिवृत्ति पर विचार किया जा सके.


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डीओपीटी ने अपने पत्र में 22 जून को कहा था कि मंत्रालयों/ विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी सरकारी कर्मचारी को समय से पहले जनहित में रिटायर करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया जैसे नियम का सख्ती से पालन किया जाता है और यह निर्णय एक मनमाना है.

हालांकि, डीओपीटी के सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय इन विवरणों को पेश करने पर अपने पैर पीछे खींच रहा है.

सरकार जानकारी चाहती है

डीओपीटी पत्र में मंत्रालयों और विभागों से विवरण भेजने के साथ साथ यह भी पूछा है कि संबंधित व्यक्तियों ने कितनी बार छुट्टी ली है, क्या उन पर कभी जुर्माना लगाया गया है और उनके करियर के दौरान कितनी बार पदोन्नति हुई.

सरकार यह भी जानना चाहती है कि संबंधित कर्मचारियों की स्वास्थ्य स्थिति क्या है और क्या इसका उनके काम पर कोई असर पड़ता है, क्या उनकी सेवाओं को उपयोगी माना जाता है, चाहें वे पद पर बने रहने के लिए फिट हों या उनकी ईमानदारी पर संदेह का कोई कारण हो. जैसे संपत्ति, भ्रष्टाचार, अनौपचारिक प्रतिक्रिया, आदि में संदिग्ध लेनदेन की शिकायत.

भ्रष्टाचार के विरोध में कार्रवाई

इस साल मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सरकार ने यह लक्ष्य रखा था कि जिन अधिकारियों का नाम भ्रष्टाचार में संलिप्त है उनको निकलना है.

इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार को हटाने के लिए कई कदम उठाए हैं.

उन्होंने कहा, ‘आपने पिछले पांच सालों में देखा होगा और इस बार सत्ता में आने के बाद हमने कई लोगों को बर्खास्त कर दिया है, जिन्होंने सरकार में मलाईदार पदों का आनंद लिया है ,जो लोग हमारे प्रयासों में बाधा डालते थे. (भ्रष्टाचार मिटाने के लिए) हमने उनसे कहा कि वे अपना बैग पैक करें (क्योंकि) देश को (उनकी) सेवाओं की आवश्यकता नहीं है.’

अब तक, सरकार ने केवल भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों को हटाया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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