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सीमा विवाद पर मिजोरम पुलिस ने असम के मुख्यमंत्री, अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की

मिजोरम और असम पुलिस बल के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद राज्य पुलिस द्वारा वैरेंगते थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्होंने बताया कि असम पुलिस के 200 अज्ञात कर्मियों के खिलाफ भी मामले दर्ज किये गए हैं.

राष्ट्रीय राजमार्ग 306 . से सटे एक पहाड़ी से देख रही मिजोरम पुलिस/प्रवीण जैन/दिप्रिंट

आइजोल: मिजोरम पुलिस ने कोलासिब जिले के वैरेंगते नगर के बाहरी हिस्से में हुई हिंसा के मामले में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा, राज्य पुलिस के चार वरिष्ठ अधिकारियों और दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए हैं.

मिजोरम के पुलिस महानिरीक्षक (मुख्यालय) जॉन एन ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ हत्या का प्रयास और आपराधिक साजिश समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.

उन्होंने कहा कि सीमांत नगर के पास मिजोरम और असम पुलिस बल के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सोमवार देर रात को राज्य पुलिस द्वारा वैरेंगते थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्होंने बताया कि असम पुलिस के 200 अज्ञात कर्मियों के खिलाफ भी मामले दर्ज किये गए हैं.

पूर्वोत्तर सांसद फोरम ने सीमा विवाद पर शांति सुनिश्चित करने की अपील की

पूर्वोत्तर सांसद फोरम ने असम और मिजोरम की सरकारों से अपनी अंतरराज्यीय सीमा पर शांति सुनिश्चित करने की अपील की और क्षेत्र के लोगों से एकजुटता एवं भाईचारे के साथ रहने का भी आग्रह किया.

पूर्वोत्तर सांसद फोरम (नॉर्थ ईस्ट एमपी फोरम) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू तथा फोरम के महासचिव और शिलांग से सांसद विंसेंट एच पाला ने एक संयुक्त बयान में दोनों राज्यों से लंबे समय से लंबित सीमा विवाद को सुलझाने के ईमानदार उद्देश्य के साथ आगे आने की अपील की.

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गौरतलब है कि पिछले सोमवार को मिजोरम पुलिस की ओर से असम के अधिकारियों की एक टीम पर की गई गोलीबारी में असम पुलिस के पांच जवानों और एक नागरिक की मौत हो गई और एक पुलिस अधीक्षक सहित 50 से अधिक लोग घायल हो गए.

यह मंच क्षेत्र के सभी सांसदों का प्रतिनिधित्व करता है और क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों को उठाता है.

बयान में कहा गया है, ‘इस महत्त्वपूर्ण मोड़ पर, पूर्वोत्तर के संसद सदस्यों की ओर से हम दोनों पक्षों और सरकारों से सीमा पर शांति सुनिश्चित करने के लिए सुलह के कदम उठाने की अपील करते हैं.’ रिजिजू ने कहा कि पूर्वोत्तर को साथ मिलजुलकर और भाईचारे के साथ रहना चाहिए.

फोरम ने कहा कि असम-मिजोरम सीमा पर हालिया घटनाक्रम पूर्वोत्तर के लोगों के लिए बहुत दुख और खेद की बात है.

 मुकदमे के लिए तैयार हैं मिजोरम

इससे पहले मिजोरम के उपमुख्यंत्री तावनलुइया ने  कहा था कि उनकी सरकार इस दावे पर किसी भी मुकदमे का सामना करने को तैयार है कि उसने पड़ोसी राज्य असम के क्षेत्र में अतिक्रमण किया.

उपमुख्यमंत्री का बयान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के ‘अतिक्रमण संबंधी’ आरोपों को खारिज करने के रूप में आया है. सरमा ने मंगलवार को कहा था कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय जाएगी.

राज्य सरकार द्वारा पिछले सप्ताह गठित सीमा आयोग के अध्यक्ष तावनलुइया ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में मिजोरम द्वारा पड़ोसी राज्य के क्षेत्र में अतिक्रमण किए जाने से इनकार किया.

उन्होंने कहा, ‘ हम कानूनी अदालत में सुनवाई के लिए तैयार हैं. हमारे पास अपने रुख को साबित करने के लिए वैध दस्तावेज हैं.’

दोनों राज्यों की क्षेत्रीय सीमा को लेकर अलग-अलग व्याख्याएं हैं. मिजोरम का मानना है कि उसकी सीमा तराई क्षेत्र के लोगों के प्रभाव से आदिवासियों को बचाने के लिए 1875 में खींची गयी इनर लाइन तक है, जबकि असम 1930 के दशक में किए गए जिला रेखांकन सर्वेक्षण को मानता है.


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