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तंजानिया में माइनिंग कोर्स और नेपाल में एनर्जी सिस्टम की पढ़ाई- IIT दिखा रहा है विदेशी कैंपसों में रुचि

जैसा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में चर्चा की गयी है, विदेशों में स्थित परिसर केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा का 'अंतर्राष्ट्रीयकरण' करने की योजना का हिस्सा हैं.

दिल्ली आईआईटी के छात्रों की फाइल फोटो | कॉमन्स
दिल्ली आईआईटी के छात्रों की फाइल फोटो | कॉमन्स

नई दिल्ली: जल्द ही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (इंडियन इंस्टीटूट्स ऑफ़ टेक्नोलॉजी -आईआईटी) के पास नेपाल, तंजानिया, सऊदी अरब और अन्य देशों में परिसर हो सकते हैं.

आईआईटी मद्रास और आईआईटी दिल्ली दोनों ने स्वतंत्र रूप से दिप्रिंट के साथ इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने अन्य देशों की तरफ से अपने कार्यक्रमों में रुचि देखी है और ऑफशोर कैंपस (विदेशों में स्थित परिसर) स्थापित करने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ने के लिए शिक्षा मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.

जहां आईआईटी दिल्ली की योजना सऊदी अरब में एक कैंपस स्थापित करने की है, वहीं आईआईटी मद्रास नेपाल, तंजानिया और अन्य देशों के साथ बातचीत कर रहा है.

आईआईटी मद्रास के एक प्रवक्ता ने दिप्रिंट को बताया कि अफ्रीकी देशों में खनन से संबंधित पाठ्यक्रमों के प्रति रूचि है और नेपाल में ऊर्जा प्रणालियों पर आधारित पाठ्यक्रमों की मांग है. इस प्रवक्ता ने कहा, ‘डेटा साइंस पाठ्यक्रम तो हर जगह मांग में हैं.’

प्रवक्ता ने कहा, ‘आईआईटी मद्रास ऑफशोर कैंपस की स्थापना के लिए तंजानिया और कुछ अन्य अफ्रीकी देशों सहित कई देशों के साथ चर्चा कर रहा है. चर्चा किये जा रहे कुछ मॉडलों और प्रस्तावों में देशों के हिसाब से विशिष्ट पाठ्यक्रम शामिल हैं जो स्थानीय रूप से प्रासंगिकता वाले हो सकते हैं.’

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उन्होंने आगे कहा, ‘संस्थान मेजबान देशों में व्यवहारिकता और रोजगार क्षमता के आधार पर विभिन्न मॉडलों तक पहुंचेगा.’

आईआईटी दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि उनके संस्थान ने सऊदी अरब में एक परिसर खोलने के लिए शिक्षा मंत्रालय के पास अपनी रुचि जमा कर दी है और उसके अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रहा है. इस अधिकारी ने कहा, ‘हमारे द्वारा पेश किये जा रहे अंडर ग्रेजुएट (यूजी) पाठ्यक्रमों में उनकी रुचि रही है. यही वजह है कि अपने प्रमुख यूजी कार्यक्रमों की पेशकश के अलावा, हम अपने यूजी और स्नातकोत्तर (पीजी) कार्यक्रमों के संयोजन की पेशकश करने पर भी विचार करेंगे.’

जैसा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में चर्चा की गयी है, विदेशों में स्थित परिसर केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा का ‘अंतर्राष्ट्रीयकरण’ करने की योजना का हिस्सा हैं. इस साल की शुरुआत में, शिक्षा मंत्रालय ने भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा विदेशी परिसरों स्थापित किये जाने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक 16-सदस्यीय समिति का गठन किया था.

इस पैनल, जिसमें कई आईआईटी के निदेशक शामिल थे, ने इस साल मार्च में मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी और इसी रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा मंत्रालय ने इस साल जुलाई में आईआईटी और अन्य संस्थानों के बीच एक कांसेप्ट नोट (संकल्पना प्रस्ताव) वितरित किया था.


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रुचि के क्षेत्र

मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह कॉन्सेप्ट नोट संस्थानों के लिए अपनी योजनाओं का खाका तैयार करने हेतु एक गाइड के रूप में काम करता है. इस रिपोर्ट में उल्लेखित बिंदुओं में रुचि के वे क्षेत्र शामिल हैं जिन्हें ये संस्थान जो एक ऑफशोर कैंपस खोलते समय तलाश सकते हैं. इनमें शामिल है – कंप्यूटर विज्ञान, डेटा और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, धातु विज्ञान और खनन आदि.

सूत्रों का कहना है कि लगभग 20 संस्थानों ने विदेशों में कैंपस खोलने में दिलचस्पी दिखाई है, जिसमें आईआईटी दिल्ली और आईआईटी मद्रास में पहले से ही दूसरे देशों की तरफ दिलचस्पी दिखाई गई है.

रिपोर्ट के अनुसार, ये संस्थान या तो अपने दम पर अन्य देशों से संपर्क कर सकते हैं या उनकी तरफ से व्यक्त की गई रुचि का जवाब दे सकते हैं.

गैर-आईआईटी संस्थानों में, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ऑफशोर कैंपस खोलने हेतु इच्छुक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है.

पिछले साल की स्थिति के अनुसार, यह विश्वविद्यालय सिंगापुर, दुबई और मॉरीशस में अपना परिसर खोलने की संभावना तलाश रहा था. हालांकि यह योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में है.

डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने दिसंबर में दिप्रिंट को बताया था कि उनके विश्वविद्यालय ने वित्तीय कारणों का हवाला देते हुए अपनी ऑफशोर कैंपस योजनाओं को कुछ समय के लिए टाल दिया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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