नई दिल्ली: पत्रकार प्रिया रमानी की सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में पेश हुईं. उनपर आपराधिक मानहानि का मामला पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद एम जे अकबर ने दायर किया है. इस मामले में अगली सुनवाई आठ मार्च को होगी. अदालत ने उन्हें 10,000 के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है. अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद जब प्रिया रमानी अदालत से बाहर आईं तो उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि अगली तारीख 10 अप्रैल को मेरे खिलाफ आरोप तय किया जाएगा. इसके बाद मेरी कहानी बताने की बारी आएगी. उन्होंने कहा कि सच्चाई ही मेरा बचाव है.
एम जे अकबर ने अपने पद से उस वक्त इस्तीफा दे दिया था जब उनपर मीटू मूवमेंट के तहत जब करीब दो दर्जन महिलाओं नें यौन उत्पीड़न और अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया था. वे उस वक्त अफ्रीका दौरे पर थे जहां से लौटकर उन्होंने विदेश राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने बाद में पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया जिसकी सुनवाई चल रही है. इस मामले में पहली बार अदालत ने अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया है.
https://twitter.com/priyaramani/status/1052524253621440512
बता दें कि अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समर विशाल ने 29 जनवरी को रमानी को 25 फरवरी को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा था.
रमानी ने एक ट्वीट कर कहा कि ‘हमारे पक्ष के कहानी कहने का समय आ गया है.’ अकबर पर आरोप लगाने वालों में अमरीका में रहने वाली एक पत्रकार पल्लवी गोगोई भी शामिल हैं जिन्होंने शारीरिक उत्पीड़न का भी आरोप लगाया था. अकबर ने इस मामले में कहा था कि इस मामले में हमदोनों की आपसी सहमती से रिश्ता बना था. वहीं दूसरी तरफ एडिटर्स गिल्ड से उनकी सदस्यता तबतक के लिए निरस्त कर दी है जबतक कि यह मामला अदालत में लंबित है.
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— M.J. Akbar (@mjakbar) October 14, 2018
बता दें कि अकबर की वकील गीता लूथरा व वकील संदीप कपूर ने अदालत से कहा था कि रमानी ने अकबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है, जिसे बनाने के लिए उन्होंने वर्षो तक कड़ी मेहनत की है. प्रिया रमानी उन महिला पत्रकारों की लंबी सूची में पहली हैं, जिन्होंने विदेश राज्य मंत्री व पत्रकार से राजनेता बने अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. अकबर अब भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं. अकबर सहित अभी तक सात गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. राज्यसभा सदस्य ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए झूठा और निराधार बताया है.
अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करते हुए खुद को निर्दोष और आरोपों को निराधार बताया था. अपनी दलील में उन्होंने कहा था कि उनके आरोप जो कि उनकी पहली मुलाकात के बारे में हैं, उनकी ‘कल्पना की उपज हैं और मनगढ़ंत हैं.’
अकबर और रमानी का मामला तब उछला जब पिछले साल वोग पत्रिका में अपने एक लेख में रमानी ने एक संपादक के बारे में लिखा कि उन्होंने करीब 20 साल पहले नौकरी के एक इंटरव्यू के लिए उन्हें होटल के एक कमरे में बुलाया, उन्हें ड्रिंक्स ऑफर की, उन्हें पलंग पर अपने पास बैठने को कहा और उनके लिए गाना भी गाया. अक्टूबर 2017 में जब दुनिया भर में मीटू मुहिम शुरू हुई थी तब लिखे गए उस लेख में उन्होंने उस संपादक का नाम नहीं लिया था.
रमानी ने 8 अक्टूबर 2018 को अकबर का नाम लेकर पूरे देश में सनसनी फैला दी. मीटू मुहिम के दौरान कई महिलाओं ने पत्रकारिता, मनोरंजन और कॉर्पोरेट जगत से जुड़े लोगों पर आरोप लगाए हैं.
वैसे यहां यह जानना इंटरेस्टिंग है कि अपने ट्वीट में रमानी ने कहा था कि उन्होंने पहले उनका नाम इसलिए नहीं लिया था क्योंकि ‘उन्होंने कुछ किया नहीं था’. उनके दावे के साथ ही कई महिलाओं ने आरोप लगाए कि उनको भी कथित रूप से अकबर के हाथों प्रताड़ित होना पड़ा था.