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कचरे से फैशनेबल कपड़े बनाना: PM मोदी की जैकेट बनाने वाले सेंथिल ने जॉब छोड़कर शुरू किया था ये काम

मोदी ने रीसाइकल प्लास्टिक की बोतलों से बनी 'सदरी' जैकेट पहन संसद में प्रवेश किया. सेंथिल का कहना है कि जैकेट बनाने में करीब 20-28 बोतलों का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी कीमत 2,000 रुपये है.

लोकसभा में रिसाइकिल्ड प्लास्टिक से बनी जैकेट पहने हुए पीएम मोदी

चेन्नई: सेंथिल शंकर का कहना है कि 8 फरवरी को संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तमिलनाडु की कपड़ा राजधानी करूर में उनके कारखाने में रिसाइकिल्ड प्लास्टिक से बनी जैकेट के बाद से उनका फोन बिना रुके लगातार बज रहा है.

टिकाऊ नीली ‘सदरी’ जैकेट बनाने वाली श्री रेंगा पॉलिमर और इकोलाइन क्लॉथिंग फर्म में मैनेजिंग पार्टनर सेंथिल (34) ने कहा, “हम अवाक हैं.”

इंडियन एनर्जी वीक का उद्घाटन करने के लिए 6 फरवरी को बेंगलुरु की यात्रा के दौरान इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) द्वारा पीएम को जैकेट भेंट की गई थी.

यह बताते हुए कि जैकेट बनाने के लिए लगभग 20-28 पीईटी बोतलों का इस्तेमाल किया गया था, सेंथिल ने दिप्रिंट को बताया, “मोदी जैकेट हमने 2,000 रुपये में बनाई थी.”

सेंथिल ने कहा कि सस्टेनेबल फैशन, हालांकि पश्चिम में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, धीरे-धीरे भारतीय बाजार में अपनी पकड़ बना रहा है.

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उन्होंने आगे कहा, “हमने बहुत सारे कॉरपोरेट्स और स्टार्टअप्स के साथ काम करना शुरू किया,” उन्होंने आगे कहा कि वह आईओसीएल, सेंट-गोबेन और ज़ोहो उनके क्लाइंट हैं.

यह पूछे जाने पर कि किस चीज ने उन्हें इकोलाइन क्लोथिंग के क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित किया, इस पर उन्होंने जवाब दिया कि, “2007 में गुरु फिल्म देखना मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब मैंने अपने दिल की आवाज सुनी और उद्यमी बनने का फैसला लिया.”

अगला, पेट्रोल पंप कर्मचारियों के लिए वर्दी

करूर स्थित कंपनी ने सबसे पहले पिछले साल केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के सामने इस विचार को पेश किया था. सेंथिल ने कहा, ‘करीब तीन-चार महीने पहले हमने मंत्री हरदीप सिंह पुरी को वेस्टकोट गिफ्ट किया था. उन्होंने कहा कि वेस्टकोट ने “आईओसीएल का ध्यान खींचा और केंद्रीय मंत्री को भी यह पसंद आया और वे इसे पीएम मोदी को भेंट करना चाहते थे.”

सरकार से अनुमति मिलने के बाद, सेंथिल की टीम ने प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) को नौ रंगों का विकल्प प्रस्तुत किए, जिन्होंने सीन ब्लू का विकल्प चुना. इस प्रक्रिया में तीन से चार महीने लगे और तैयार उत्पाद मोदी को आईओसीएल के अध्यक्ष एस.एम. वैद्य द्वारा “अनबॉटल्ड” पहल के शुभारंभ के दौरान भेंट किया गया.

पहल के तहत, आईओसीएल ने देश भर में पेट्रोल पंप कर्मचारियों को रिसाइकिल्ड प्लास्टिक से बनी वर्दी की आपूर्ति करने की योजना बनाई है.

2022 में, मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्थायी समाधानों का सहारा लेने के लिए भारत के नेतृत्व वाले वैश्विक जन आंदोलन, मिशन LiFE परियोजना की शुरुआत की. पिछले सप्ताह भारत ऊर्जा सप्ताह का उद्घाटन करते हुए, प्रधान मंत्री ने “रिड्यूस, रियूज़ और रिसाइकिल” का मंत्र दिया था.

सेंथिल, जो मोदी द्वारा संसद में उनकी कंपनी द्वारा बनाई गई जैकेट पहनने के बाद से सुर्खियों में हैं, ने कहा, “प्रधानमंत्री ने हमारे जैसे एसएमई को अपना काम जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया है. यह पर्यावरण को बचाने, जलवायु परिवर्तन की दिशा में काम करने और सरकार के नेट जीरो उद्देश्यों की तरफ करने के लिए है.”

पॉलिएस्टर फाइबर को ‘कम-पूंजी’ लागत वाला बनाना

सेंथिल के पिता के. शंकर (65) ने 2008 में इस फर्म की स्थापना की थी जो कि एक आईआईटीयन हैं और जिनका पॉलिमर उत्पादों को रीसायकल करने के लिए इनोवेटिव, टेक-सेवी समाधानों की दिशा में काम करने का सपना था. फर्म ने पीईटी बोतलों को रिसाइकिल करके शुरू किया – यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बोतल को क्रश करना, धोना और पीसना शामिल है और इसे पीईटी फ्लेक्स हॉट वाशिंग के रूप में जाना जाता है.

पिछले 15 वर्षों में, शंकर ने पॉलिएस्टर फाइबर का निर्माण करके धीरे-धीरे लेकिन लगातार अपने व्यवसाय का विस्तार किया, जो कि सेंथिल के मुताबिक एक ऐसी प्रकिया है जिसमें काफी पूंजी की जरूरत होती है. फर्म ने पहली बार 2014 में पीईटी बोतलों को फ्लेक्स में रिसाइकिल करके पॉलिएस्टर फाइबर बनाने के लिए बदलाव किया.

400 कर्मचारियों की कंपनी वाले सेंथिल कहते हैं, “फ्लेक्स को एक स्पिनेरेट के माध्यम से गुजार कर और गर्म करके पॉलिएस्टर फाइबर बनाया जाता है. इसे आगे यार्न का उत्पादन करने के लिए और फिर पॉलिएस्टर कपड़े में बुना जाता है. इस प्रक्रिया को हमने 2018 में शुरू किया और 2021 में हमने इकोलाइन क्लोथिंग लॉन्च किया जो टिकाऊ कपड़े बनाने की दिशा में काम करता है.”.

वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातक, सेंथिल ने 2010-11 में अपने पिता के व्यवसाय में शामिल होने से पहले एक कॉर्पोरेट कंपनी के साथ काम किया.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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