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महाराष्ट्र: मूक-बधिर नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में स्कूल अधीक्षक बरी

ठाणे (महाराष्ट्र), छह मार्च (भाषा) ठाणे की एक अदालत ने 2017 में 15 वर्षीय एक किशोरी के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में मूक-बधिरों के एक स्कूल के 47 वर्षीय अधीक्षक को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

यह आदेश 21 फरवरी को पारित किया गया और इसकी प्रति शनिवार को उपलब्ध कराई गई।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश (बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के लिए) कविता शिरभटे ने कहा कि अभियोजन आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रहा।

विशेष लोक अभियोजक एस बी मोरे ने अदालत से कहा कि आरोपी ने जनवरी 2017 में चौथी कक्षा की छात्रा का यौन उत्पीड़न किया। उन्होंने कहा कि स्कूल के एक अध्यापक ने पीड़िता के व्यवहार में कुछ बदलाव महसूस किया और देखा कि उसका खून बह रहा है।

पूछताछ करने पर पीड़िता ने संकेत भाषा में अध्यापक को उत्पीड़न के बारे में बताया। इसके बाद आरोपी के खिलाफ पॉक्सो की विभिन्न धाराओं और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 354-बी और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया।

आरोपी की ओर से पेश वकील विशाल भानुशाली ने कहा कि उनका मुवक्किल इस कथित अपराध में शामिल नहीं है।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) नियमों के प्रावधानों के अनुसार, पीड़िता की आयु का कोई सबूत पेश नहीं किया है।

न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता अपने बयान से मुकर गई है और वह अभियोजन की बात का समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा कि पीड़िता के शरीर में चोट देखने वाले एक अन्य गवाह ने अभियोजन की बात का समर्थन नहीं किया।

अदालत ने कहा, ‘‘आईपीसी की धारा 354बी और पॉक्सो कानून की धाराओं आठ, नौ(एफ) एवं 10 के तहत आरोपों को सही ठहराने के लिए यह साबित करना जरूरी है कि आरोपी ने यौन इरादे से पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया है।’’

उसने कहा कि इस मामले में अभियोजन ने यह साबित नहीं किया है कि आरोपी ने पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया और पीड़िता का बयान भी कानून के प्रावधानों के अनुसार दर्ज नहीं किया गया।

न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूतों के अभाव में अभियोजन उसके अपराध को साबित करने में विफल रहा है और इसलिए आरोपी को बरी किया जाता है।

भाषा सिम्मी शोभना

शोभना

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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