होम देश लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ईयू संसद से कहा- किसी दूसरी विधायिका...

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ईयू संसद से कहा- किसी दूसरी विधायिका पर फैसला सुनाना गलत

751 सदस्यीय यूरोपीय संसद में करीब 600 सांसदों ने सीएए के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए हैं जिनमें कहा गया है कि इस कानून का क्रियान्वयन भारतीय नागरिकता प्रणाली में खतरनाक बदलाव को प्रदर्शित करता है.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला | फोटो : प्रवीण जैन/दिप्रिंट

नयी दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ यूरोपीय संसद में प्रस्ताव पेश किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए ईयू विधायी निकाय के प्रमुख से सोमवार को कहा कि किसी विधायिका द्वारा किसी अन्य विधायिका को लेकर फैसला सुनाना अनुचित है और इस परिपाटी का निहित स्वार्थ वाले लोग दुरुपयोग कर सकते हैं.

सीएए के खिलाफ यूरोपीय संसद में प्रस्तावित चर्चा और मतदान की पृष्ठभूमि में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है.

इस मामले को लेकर भाजपा ने ईयू संसद के सदस्यों की निष्पक्षता पर सवाल उठाया जबकि कांग्रेस ने भगवा दल पर नागरिकता मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का आरोप लगाया.

इस बीच, यूरोपीय संघ (ईयू) के संस्थापक सदस्य देशों में शामिल फ्रांस का मानना है कि नया नागरिकता कानून (सीएए) भारत का एक आतंरिक राजनीतिक विषय है. फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों ने सोमवार को यह कहा.

751 सदस्यीय यूरोपीय संसद में करीब 600 सांसदों ने सीएए के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए हैं जिनमें कहा गया है कि इस कानून का क्रियान्वयन भारतीय नागरिकता प्रणाली में खतरनाक बदलाव को प्रदर्शित करता है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

बिरला ने ईयू यूरोपीय संसद के अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को सोमवार को पत्र लिखा, ‘मैं यह बात समझता हूं कि भारतीय नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 को लेकर यूरोपीय संसद में ‘ज्वाइंट मोशन फॉर रेजोल्यूशन’ पेश किया गया है. इस कानून में हमारे निकट पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचार का शिकार हुए लोगों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान है.’

बिरला ने कहा कि इसका लक्ष्य किसी से नागरिकता छीनना नहीं है और इसे भारतीय संसद के दोनों सदनों में आवश्यक विचार-विमर्श के बाद पारित किया गया है. इससे पहले नायडू ने कहा कि वह ऐसे मामलों में विदेशी निकायों के हस्तक्षेप की प्रवृत्ति से चिंतित हैं जो पूरी तरह भारतीय संसद और सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास पूरी तरह अवांछनीय हैं और उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह के बयानों से बचा जाएगा. नायडू ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है.

यूरोपीय संसद में सीएए के खिलाफ प्रस्तावों पर विदेश मंत्रालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीएए भारत का पूरी तरह से एक आंतरिक विषय है और इस कानून को संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद लोकतांत्रिक तरीके से अंगीकार किया गया है.

इस बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘सच्चाई यह है कि यूरोपीय संघ सीएए पर चर्चा कर रहा है. इस सरकार ने नागरिकता कानून का अंतरराष्ट्रीयकरण कर दिया है.’

भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन करने वाले ईयू संसद के सदस्यों की निष्पक्षता एवं वस्तुनिष्ठा पर सवाल खड़े किए और सवाल किया कि क्या उन्होंने पाकिस्तान में हिंदू एवं सिख अल्पसंख्यकों पर ‘अत्याचार’ के खिलाफ कभी आवाज उठाई है.

Exit mobile version